भारतीय कुश्ती महासंघ का क्यों हुआ निलंबन? जानें इनसाइड स्टोरी और 3 मुख्य कारण
Inside Story: जबसे भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव में पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह ने जीत हासिल की, विवाद गहरा गया है। इसी बीच खेल मंत्रालय ने डब्ल्यूएफआई को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया है। इसकी वजह बताई गई कि WFI संविधान का पालन नहीं किया गया।
WFI के निलंबन की 3 मुख्य वजहें।
Wrestling Federation Of India News: भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया गया है। बीते 21 दिसंबर को डब्ल्यूएफआई के चुनाव में पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र संजय सिंह और उनके पैनल ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। जिसके बाद संजय सिंह के अध्यक्ष बनने विरोध में ओलंपिक विजेता पहलवान साक्षी मलिक ने अपने संन्यास की घोषणा कर दी। दिग्गज पहलवानों ने उनका समर्थन किया। इसी कड़ी में बजरंग पूनिया और वीरेंद्र सिंह यादव ने अपना पद्मश्री सम्मान लौटा दिया। इस विवाद के गरमाने के साथ ही खेल मंत्रालय का ये बड़ा एक्शन सामने आया।
खेल मंत्रालय WFI के निलंबन की क्या वजह?
डब्ल्यूएफआई को अगले आदेश तक निलंबित करने के पीछे का कारण बताया गया कि नवनिर्वाचित संस्था ने उचित प्रकिया का पालन नहीं किया और पहलवानों को तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिए बिना अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप के आयोजन की जल्दबाजी में घोषणा कर दी। मंत्रालय ने साथ ही कहा कि नई संस्था 'पूरी तरह से पूर्व पदाधिकारियों के नियंत्रण' में काम कर रही थी जो राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुरूप नहीं है।
तो क्या बृजभूषण के इशारों पर हो रहा है काम?
'नई संस्था 'पूरी तरह से पूर्व पदाधिकारियों के नियंत्रण' में काम कर रही थी', मंत्रालय के इस कारण के कई सारे मायने समझ आते हैं। पूर्व पदाधिकारियों से क्या तात्पर्य है। क्या बृजभूषण के करीबी संजय सिंह सिर्फ एक कटपुतली थे और वो बृजभूषण शरण सिंह के इशारों पर काम कर रहे थे।
'नए निकाय ने नहीं किया संविधान का पालन'
इसी बीच खेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने तो ये तक कह दिया कि 'नए निकाय ने डब्ल्यूएफआई संविधान का पालन नहीं किया।' सरकार की ओर से ये स्पष्ट कर दिया गया है कि महासंघ अगले आदेश तक निलंबित रहेगा। मतलब ये कि कुश्ती के दैनिक कामकाम को फिलहाल डब्ल्यूएफआई नहीं देखेगा। उन्हें उचित प्रक्रिया और नियमों का पालन करने की जरूरत है।
कहीं न कहीं इस फैसले से पहलवानों के विरोध पर लगाम लगने की उम्मीद है। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विनेश फोगाट और साक्षी मलिक ने कई गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने बृजभूषण के खिलाफ आंदोलन किया और शीर्ष पहलवान बजरंग पूनिया ने भी उनका समर्थन किया। अब पूर्व अध्यक्ष के करीबी संजय सिंह के डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बनने के विरोध में शुक्रवार को अपना पद्मश्री पुरस्कार सरकार को लौटा दिया था। इससे एक दिन पहले साक्षी ने भी कुश्ती को अलविदा कह दिया था। इसी कड़ी में गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर वीरेंद्र सिंह यादव ने भी अपना पद्मश्री लौटाने का ऐलान कर दिया।
संजय कुमार सिंह ने कर दी ये बड़ी गलती
डब्ल्यूएफआई के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने 21 दिसंबर 2023 को अध्यक्ष चुने जाने के दिन ही घोषणा की कि कुश्ती के लिए अंडर-15 और अंडर-20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप साल खत्म होने से पहले ही उत्तर प्रदेश के गोंडा के नंदिनी नगर में होगी। मंत्रालय ने एक्शन लेते हुए ये कहा कि 'यह घोषणा जल्दबाजी में की गई है। उन पहलवानों को पर्याप्त सूचना दिए बिना जिन्हें उक्त राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना है। डब्ल्यूएफआई के संविधान के प्रावधानों का पालन भी नहीं किया गया।'
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