मेरठ में क्यों बार-बार उम्मीदवार बदल रहे हैं अखिलेश यादव? जानें इस सीट का इतिहास

Meerut Lok Sabha Chunav: उत्तर प्रदेश की मेरठ लोकसभा सीट इन दिनों खूब चर्चा में है। भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट से टीवी सीरियल में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस सीट से पहले बसपा ने अपना उम्मीदवार बदला और अब सपा ने भी अपना प्रत्याशी बदल दिया। आपको इसकी वजह समझाते हैं।

Akhilesh Yadav Plan For Meerut Lok Sabha Seat

मेरठ में क्या करना चाहती है समाजवादी पार्टी?

History of Meerut Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूजिव अलायंस (INDIA) के तहत उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक-दूसरे की सहयोगी हैं, लेकिन मायावती की बहुजन समाज पार्टी अलग चुनाव लड़ रही है। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का बड़ा मुद्दा है, जिसे देखते हुए मेरठ से भाजपा ने टीवी सीरियल में भगवान राम का किरदार निभाने वाले अभिनेता अरुण गोविल को अपना उम्मीदवार बनाया है। जिसके बाद से सपा और बसपा ने अपना उम्मीदवार उतारा और बदला। आखिर ये सिलसिला मेरठ में क्यों चल रहा है, आपको समझाते हैं।

राजेंद्र अग्रवाल का टिकट कटने से कितना पड़ेगा असर?

भाजपा ने इस सीट से सांसद राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काट दिया और अरुण गोविल को अपना उम्मीदवार बनाया। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को ये आस है कि अग्रवाल का टिकट कटने से भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। जिसका फायदा उठाने की कोशिश दोनों ही पार्टिया करना चाहेंगी। शायद ये वजह हो सकती है कि सपा और बसपा इस सीट पर प्रयोग कर रही हैं।

सपा ने मेरठ से अतुल प्रधान का काट दिया टिकट

मेरठ में समाजवादी पार्टी ने अब अपना लोकसभा का उम्मीदवार सुनीता वर्मा को बना दिया है। उन्हें अतुल प्रधान का टिकट काटकर मैदान में उतारा गया है। टिकट मिलते ही वह अपने पति योगेश वर्मा के साथ नामांकन करने पहुंची। टिकट कटने के बाद सरधना विधायक अतुल प्रधान ने कहा कि योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता वर्मा को सिंबल मिला है। राजनीति और सामाजिक जीवन में अलग तरह के मोड़ आते हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने हम लोगों से बुलाकर बातचीत की है। उन्होंने जो फैसला किया, वो स्वीकार है। पूरी रात से लखनऊ में थे। दोनों लोगों की सहमति बनाई गई है।

पहले सपा ने भानु प्रताप को दिया था मेरठ से टिकट

अतुल प्रधान ने कहा कि उम्मीदवार को पूरा सपोर्ट करेंगे, जो सपा ने तय किया है। जो भी निर्णय है, वो हमें स्वीकार है। बता दें कि सपा ने पहले भानु प्रताप को टिकट दिया था और फिर उनका टिकट काटकर अतुल प्रधान को थमाया। अतुल प्रधान ने नामांकन भी दाखिल कर दिया। लेकिन, अब उनका भी टिकट कट गया है और अब मेरठ की पूर्व मेयर सुनीता वर्मा को उम्मीदवार के तौर पर उतारा गया है।

सुनीता वर्मा मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी हैं। सुनीता वर्मा साल 2017 में बहुजन समाज पार्टी से मेरठ की मेयर भी रह चुकी हैं।

तो क्या मेरठ में मायावती भी बदलेंगी उम्मीदवार?

मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने मथुरा सीट पर अपने उम्मीदवार को बदलने का ऐलान कर दिया है। पहले इस सीट से बसपा ने कमल कान्त उपमन्यू को उतारा था, बाद में यहां मायावती ने प्रत्याशी बदल दिया और सुरेश सिंह को टिकट दे दिया। अखिलेश ने मेरठ में दो-दो बार अपना उम्मीदवार बदल दिया है, तो क्या बसपा भी देववृत्त त्यागी का टिकट काटकर किसी और उम्मीदवार को टिकट देगी?

मेरठ लोकसभा सीट का इतिहास, कब-कब कौन जीता?

लोकसभा चुनाव 2009 से ही मेरठ से भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल सांसद चुने जा रहे हैं। लेकिन 2004 में इस सीट से बसपा के मोहम्मद शाहिद अखलाक ने चुनाव जीता था। उससे पहले 1999 में कांग्रेस के अवतार सिंह भड़ाना मेरठ के सांसद थे। ऐसे में भाजपा ने राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काट दिया है, जिसका लाभ लेने के कोशिश में सपा और बसपा दोनों ही पार्टियां जद्दोजहद कर रही हैं।

मेरठ में भाजपा ने अब तक 6 बार लोकसभा चुनाव जीता है। जिसमें तीन बार अमर पाल सिंह सांसद रहे और तीन बार राजेंद्र अग्रवाल...। मेरठ के पहले सांसद शाह नवाज खान ने तीन बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता। इसके बाद संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के महाराज सिंह भारती सांसद चुने गए। 1971 में फिर कांग्रेस की वापसी हुई और शाह नवाज खान फिर सांसद बने। 1977 में जनता पार्टी के टिकट से कैलाश प्रकाश मेरठ के सांसद चुने गए। कांग्रेस ने 1980 में इस सीट पर वापस जीत हासिल की और दो बार मोहसिना किदवई यहां से सांसद बने। 1989 में मेरठ से जनता दल के हरीश पाल ने चुनाव जीता। फिर भाजपा के अमर पाल सिंह 1999 तक मेरठ के सांसद रहे।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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