आखिर क्यों BJP में पहली बार विधायक बने नेताओं की लग जाती है लॉटरी? गुमनामी से निकल बन जाते हैं CM
2014 के बाद से जिन राज्यों में पार्टी ने जीत हासिल की, वहां मुख्यमंत्री पद का चेहरा चुनते समय आलाकमान ने बड़े दावेदारों की बजाय गुमनाम विधायकों को ताज पहनाने की रणनीति अपनाई है।

पहली बार विधायक बने नेताओं पर बीजेपी लगाती है दांव
BJP First-time MLA Becomes Chief Minister: दिल्ली में रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही इस बात पर फिर मुहर लग गई कि भारतीय जनता पार्टी में पहली बार विधायक बने नेता की लॉटरी लग जाती है। बीजेपी हाईकमान चौंकाने भरा फैसला लेते हुए नए-नवेले विधायक को मुख्यमंत्री बना देता है। यानी बीजेपी में विधानसभा चुनावों में पहली बार विधायक बनना अच्छा होता है। 2014 के बाद से जिन राज्यों में पार्टी ने जीत हासिल की, वहां मुख्यमंत्री पद का चेहरा चुनते समय आलाकमान ने बड़े दावेदारों की बजाय गुमनाम विधायकों को ताज पहनाने की रणनीति अपनाई है।
हरियाणा से शुरू हुआ सिलसिला
मुख्यमंत्री पद के लिए पहली बार किसी नए विधायक को सीएम बनाने की पहल 2014 में हरियाणा में शुरू हुई थी जब पार्टी ने मनोहर लाल खट्टर को राज्य का मुख्यमंत्री चुना था। 2014 में खट्टर पहली बार विधायक बने थे। वह राज्य की राजनीति में एक अनजान चेहरा। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 47 सीटें जीती और फिर सीएम पद पर उनके नाम ने सभी को चौंका दिया था। चार दशकों से अधिक समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और 20 वर्षों तक भाजपा से जुड़े रहे खट्टर ने हरियाणा में भाजपा के संगठन सचिव के रूप में काम किया था और राज्य में पार्टी के लिए एक प्रमुख रणनीतिकार की भूमिका निभाई थी।
2024 में राजस्थान में चौंकाया
इसी तरह का कदम पार्टी 2024 में राजस्थान में उठाया था जब उसने भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री चुनकर सभी को चौंकाया। भाजपा की राज्य इकाई में महासचिव और जयपुर के सांगानेर निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार विधायक बने भजन लाल शर्मा अचानक सीएम पद मिल गया। इतने बड़े पद पर पहुंचने से पहले वह पार्टी में लो प्रोफाइल रहे थे। दिलचस्प बात यह है कि जब विधायक दल की बैठक से पहले भाजपा कार्यालय में एक ग्रुप फोटो ली गई, तो इसमें भजन लाल शर्मा सबसे आखिरी पंक्ति में दिखे थे। राजस्थान विधायक दल की बैठक के दौरान भजन लाल को नेता घोषित कर दिया गया।
गुजरात में खेला सबसे बड़ा दांव
इसी तरह का एक साहसिक प्रयोग बीजेपी ने 2021 में गुजरात में किया था। आलाकमान ने तत्कालीन विजय रूपाणी कैबिनेट के सभी 22 मंत्रियों को बदल दिया। राज्य में छह दिनों तक बदलाव की सुनामी ने खलबली मचा दी, जिसकी शुरुआत सीएम के पद से रूपाणी के अचानक इस्तीफे से हुई थी। तब पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री पद पर बिठाकर बीजेपी ने सियासी पंडितों को भी चौंका दिया था। भूपेंद्र पटेल ने नगरपालिका स्तर से राज्य की राजनीति में अपनी जगह बनाई थी। पटेल (59) ने 2017 में अहमदाबाद के घाटलोदिया निर्वाचन क्षेत्र से अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी।
सांसद योगी पर लगाया दांव
सीएम पद का चेहरा चुनने के मामले में बीजेपी सिर्फ विधायकों तक ही सीमित नहीं है, पार्टी ने 2017 में उत्तर प्रदेश में गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ को सीएम चुनकर सबसे बड़ा दांव खेला था। आज सीएम योगी देश के सबसे लोकप्रिय बीजेपी सीएम हैं। उन्हें बीजेपी में पीएम मोदी के बाद दूसरा सबसे लोकप्रिय नेता माना जाता है।
हर राज्य की यही कहानी
मुख्यमंत्रियों के चयन की बात करें तो बीजेपी की पटकथा लगभग एक जैसी रही है, राज्य दर राज्य ये फैसला दिखाई देता है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, ओडिशा, गुजरात, हरियाणा इन सभी भाजपा शासित राज्यों में ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो पार्टी में अपेक्षाकृत गुमनाम थे। इन राज्यों में दिग्गज और बड़े नेता सीएम पद की दौड़ में पीछे रह गए। बीजेपी ने ऐसे नाम पर दांव लगाया जिसकी दूर-दूर तक चर्चा नहीं थी।
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