Kamal Nath News: समझिए कहां बिगड़ गया कमलनाथ का 'कमल समीकरण', कहीं सिख दंगा तो नहीं बना कारण?
Kamal Nath News: कमलनाथ पर सिख दंगों के दाग लगे हैं, आरोप लगे हैं। इसे लेकर बीजेपी में कुछ नेता, कमलनाथ की एंट्री पर सहज नहीं थे। भाजपा नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने इसे लेकर अपना विरोध भी जता दिया।
पीएम मोदी के साथ कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ
Kamal Nath News: कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ के बीजेपी में जाने की अटकलें लगनी अब बंद हो गई। पिछले 3-4 दिनों तक इसकी खूब चर्चा रही। कमलनाथ के करीबी तक बीजेपी में उनकी एंट्री का इशारा कर चुके थे। उनके समर्थक विधायक दिल्ली पहुंच चुके थे, बेटे नकुलनाथ अपने सोशल मीडिया से कांग्रेस का लोगो हटा चुके थे, खुद कमलनाथ मीडिया के सामने आए, लेकिन इन अटकलों को सीधे खारिज नहीं किया। दिल्ली में डेरा जमाए रहे और अटकलें लगती रहीं, लेकिन फिर खेल बदलने लगा।
सिख दंगों के आरोपों ने खेल कर दिया?
कमलनाथ पर सिख दंगों के दाग लगे हैं, आरोप लगे हैं। इसे लेकर बीजेपी में कुछ नेता, कमलनाथ की एंट्री पर सहज नहीं थे। भाजपा नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने इसे लेकर अपना विरोध भी जता दिया। जिसके बाद कहा जाने लगा कि कमलनाथ, बीजेपी में नहीं जाएंगे, नकुलनाथ बीजेपी में शामिल होंगे और कमलनाथ कांग्रेस में ही रहेंगे। क्योंकि नकुलनाथ को लेकर बीजेपी में कोई विरोध नहीं है।
बदलने लगी हवा
इसके बाद समीकरण बदलने लगा। बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इसे लेकर कुछ नहीं बोला। अटकलों का दौर चलते रहा। इसके बाद सोमवार को कमलनाथ के करीबी सज्जन वर्मा मीडिया के सामने आए और कहा कि न तो कमलनाथ और न ही नकुलनाथ, बीजेपी में जा रहे हैं। दोनों कांग्रेस में ही रहेंगे। ये वही सज्जन वर्मा हैं, जिन्होंने कमलनाथ को लेकर लग रही अटकलों के बीच सोशल मीडिया से कांग्रेस का लोगो हटा दिया था।
कहां बिगड़ा समीकरण
कमलनाथ के बीजेपी में जाने का समीकरण कई जगहों पर बिगड़ा। पहला तो बीजेपी में विरोध का स्वर उठा। सिख दंगों के आरोपियों पर हमलावर रहे तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने सीधे एक्स पर लिखा- "बहुत से मित्रों के फ़ोन आ रहे है और वो कमलनाथ के बारे में पूछ रहे हैं । मैंने उनसे फोन पर भी कहा है और यहां भी कह रहा हूं कि सिखों के हत्यारे और हिन्द दी चादर गुरु तेग़ बहादुर जी के गुरुद्वारे रकाबगंज साहिब को जलाने वाले कमलनाथ के लिए भाजपा के दरवाज़े ना खुले थे ना खुले हैं । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के होता हुए कभी ऐसा संभव नहीं हो पाएगा, ऐसा मैं आप सबको भरोसा दिलाता हूं।" अब लोकसभा चुनाव सिर पर है, ऐसे में बीजेपी कमलनाथ को शामिल कर कर सिख दंगों के आरोपों में अपना हाथ शायद ही झुलसाने की कोशिश करेगी। दूसरा फैक्टर है, मध्यप्रदेश में, जहां से कमलनाथ आते हैं, वहां कमलनाथ का अपने इलाके छिंदवाड़ा में सबसे ज्यादा प्रभाव है। जहां बीजेपी धीरे-धीरे सेंध लगा रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिंया भी एक फैक्टर हो सकते हैं, क्योंकि वो पहले से ही कांग्रेस को तोड़कर, बीजेपी में जा चुके हैं। नकुलनाथ बीजेपी में जा सकते थे, लेकिन तब कांग्रेस में कमलनाथ की स्थिति खराब हो जाती है। विधानसभा चुनाव में हार के बाद से कांग्रेस आलाकमान पहले ही कमलनाथ से नाराज है और उन्हें एक तरह से साइड किए हुए है। ऐसे में कमलनाथ न तो खुद बीजेपी में जा सकते हैं, न अपने बेटे को भाजपा में भेजकर कांग्रेस में अपना दबदबा खराब करना चाहेंगे।
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