जिस नेता का 1988 में हुआ था निधन, उसे 2024 में क्यों दिया जा रहा भारत रत्न? समझिए बीजेपी का गेम प्लान

BJP's Masterstroke: बिहार के पहले ऐसे मुख्यमंत्री जो गैर-कांग्रेसी थे। 17 फरवरी, 1988 को कर्पूरी ठाकुर का निधन हो गया था। अब जाकर साल 2024 में उन्हें भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की गई है। लोकसभा चुनाव से पहले सरकार का ये फैसला भाजपा के लिए कितना अहम साबित होगा?

कर्पूरी ठाकुर के जरिए किसने मारा मास्टरस्ट्रोक?

BJP Bharat Ratna Diplomacy: भारत रत्न के लिए कर्पूरी ठाकुर के नाम का ऐलान होते ही सियासी गर्मी बढ़ गई है। दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे ऐसे नेता जिनका निधन वर्ष 1988 में हो चुका है, उन्हें साल 2024 में देश का सर्वोच्च सम्मान देकर भाजपा की मोदी सरकार ने विरोधियों की सिट्टी-पिट्टी गुम कर दी। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुए इस फैसले का सियासीकरण होना लाजमी है। लेकिन इस फैसले से आखिर सबसे अधिक लाभ किसे होगा, आपको समझना चाहिए।

लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का मास्टरस्ट्रोक

बिहार में जाति की राजनीति सबसे मशहूर है। सरकार का ये फैसला भाजपा के लिए एक तीर से दो निशाने के समान होगा। भाजपा ने ऐसा गेम प्लान तैयार किया, जिसका असर आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में देखने को मिल सकता है। विपक्षी गठबंधन के तमाम दावों की पोल खुलती जा रही है। बिहार में नीतीश और लालू की जोड़ी कहीं न कहीं भाजपा की चिंता बढ़ा सकती है। वो कैसे आप नीचे समझिए।

भाजपा ने एक तीर से साधा दो निशाना, जानें कैसे

पिछले साल हुए जातिगत जनगणना के अनुसार बिहार की आबादी में ओबीसी और ईबीसी का 63% योगदान है। मतलब ओबीसी वोटबैंक के बिना बिहार में कुछ भी संभव नहीं है। दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे और बिहार में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की राजनीति के सूत्रधार माने जाने वाले कर्पूरी ठाकुर का नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। ऐसे में सरकार के इस फैसले से भाजपा काफी हद तक ओबीसी वोटबैंक में सेंधमारी कर पाने में सफल हो सकती है। अगर दूसरे निशाने का जिक्र करें तो सियासत में आम व्यक्ति खासकर गरीबों को नजरअंदाज करना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने के समान होगा। सरकार के इस फैसले का संकेत गरीब का सम्मान करना है।

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