पापुआ न्यू गिनी में नरेंद्र मोदी: समझें- चीन के लिहाज से क्यों मायने रखता है हिंदुस्तानी PM का यह दौरा
Narendra Modi Papua New Guinea visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार सुबह (भारतीय समयानुसार) तीसरे इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कॉपरेशन (फिपिक) समिट में कहा, "मेरे लिए आप छोटी द्वीप देश नहीं बल्कि बड़े महासागर मुल्क हैं।" मोदी इससे पहले जापान में थे, जहां उन्होंने जी-7 के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और दुनिया के कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें की थीं।
Narendra Modi Papua New Guinea visit: हिंदुस्तान (India) के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) जापान से सीधे दुनिया के तीसरे सबसे बड़ी द्वीप देश पापुआ न्यू गिनी (Papua New Guinea) पहुंचे। द्विपक्षीय रिश्तों को बढ़ावा देते हुए सोमवार (22 मई, 2023) को तीसरी इंडिया पैसिफिक आइलैंड्स कॉपरेशन (India-Pacific Islands Cooperation) समिट के दौरान उन्होंने कहा कि इंडिया हर मदद के लिए तैयार है और उसके लिए पूरा विश्व परिवार की तरह है। इस बीच, सियासी गलियारों में मोदी के इस दौरे को दक्षिण प्रशांत में भारत की बढ़ती धमक के तौर पर देखा गया।
दरअसल, तीन मुल्कों के अपने दौरे के दूसरे चरण में मोदी प्रशांत के इस छोटे से द्वीप मुल्क पापुआ न्यू गिनी पहुंचे। रोचक बात है कि यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पापुआ न्यू गिनी की पहली यात्रा है। आम तौर पर वहां सूरज ढलने के बाद आने वाले किसी भी नेता का औपचारिक स्वागत नहीं किया जाता है, मगर मोदी के लिए यह अपवाद रहा और उनका औपचारिक स्वागत किया गया। यही नहीं, मोदी के समकक्ष (उम्र में 20 बरस छोटे) जेम्स मारापे ने हवाई अड्डे पर भारतीय प्रधानमंत्री का स्वागत किया और सम्मान के तौर पर उनके पैर भी छुए।
पापुआ न्यू गिनी के दौरे पर पहुंचे भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के पैर छूते हुए (प्रोटोकॉल तोड़ते हुए) वहां के प्रधानमंत्री।
तस्वीर साभार : IANS
पापुआ न्यू गिनी में मोदी भारत और 14 प्रशांत द्वीप देशों के बीच महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन हुआ, जिसकी मोदी ने मेजबानी की। यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुआ, जब चीन इस क्षेत्र में अपने सैन्य और कूटनीतिक प्रभाव को बढ़ाने के प्रयास कर रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि भारत से सात गुणा छोटे पापुआ न्यू गिनी (आबादी 95 लाख भी नहीं) को मोदी ने दौरे के इसलिए चुना क्योंकि पापुआ न्यू गिनी की प्रशांत महासागर में खासा अहमियत है।
यह द्वीप देश वहां (प्रशांत महासागर में) सुरक्षा के लिहाज से अहम मुल्क है और विस्तारवादी ड्रैगन (चीन) ने अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल किया है। चीन और पापुआ न्यू गिनी के अलावा कारोबार के अलावा सैन्य संबंध भी मजबूत हो रहे हैं। साल 2022 चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने वहां का दौरा किया था और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की बात पर बल दिया था। चीन ने वहां अपना मिलिट्री बेस भी बनाने के लिए प्रस्ताव भी रखा, मगर मीडिया में ये बातें सामने आने पर इसे खारिज कर दिया।
चूंकि, अमेरिका की चीन के कदमों पर नजर है और मोदी भी बैलेंसिंग एक्ट (संतुलन बनाने वाली स्थिति) वाले मोड में दिखाई दिए, क्योंकि ड्रैगन का प्रशांत महासागर में बढ़ता प्रभाव घातक साबित हो सकता है। ऐसे में भारत भी अपनी मौजूदगी का अहसास कर रहा है।
क्या है FIPIC? जानिए सरल भाषा में
भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग मंच (FIPIC: एफआईपीआईसी) का गठन 2014 में प्रधानमंत्री मोदी की फिजी यात्रा के दौरान किया गया था। एफआईपीआईसी शिखर सम्मेलन में 14 देशों के नेता भाग लेंगे। आम तौर पर कनेक्टिविटी और अन्य मुद्दों के कारण ये सभी शायद ही कभी एक साथ मिलते हैं। पीआईसी में कुक आइलैंड्स, फिजी, किरिबाती, मार्शल आइलैंड्स, माइक्रोनेशिया, नौरू, नीयू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, समोआ, सोलोमन आइलैंड्स, टोंगा, तुवालू और वानुआतु शामिल हैं।
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अभिषेक गुप्ता author
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