मालदीव में आखिर क्या करते हैं भारत के 70 सैन्यकर्मी, इन्हें वापस क्यों भेजना चाहते हैं राष्ट्रपति मोइज्जू?
India Maldives Row: पड़ोसी देशों के महत्व को समझते हुए और उनके साथ अपने रिश्ते को और मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार ने अपनी 'नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी' शुरू की। इस नीति के तहत सबसे ज्यादा लाभान्वित होने वाले देशों में मालदीव भी शामिल है।
चीन से लौटने के बाद ज्यादा आक्रामक हुए हैं राष्ट्रपति मोइज्जू।
India Maldives Row: मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी के लिए समय सीमा तय करने के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू ने फिर बयान दिया है। मोइज्जू ने कहा कि सैनिकों की वापसी पर उन्हें भारत सरकार के निर्देशों का इंतजार है। चीन की यात्रा से लौटते ही मुइज्जू ने सैनिकों को वापस बुलाने के लिए भारत सरकार को 15 मार्च तक का समय दिया। उनके इस ताजा बयान पर भारत सरकार की अभी प्रतिक्रिया नहीं आई है। भारत सरकार क्या अपने सैनिकों को वापस बुलाने के बारे में फैसला करेगी? या उसका क्या रुख रहता है? इस पर सभी की नजरें बनी हुई हैं।
मालदीव में क्यों हैं भारतीय सैनिकों की मौजूदगी
पड़ोसी देशों के महत्व को समझते हुए और उनके साथ अपने रिश्ते को और मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार ने अपनी 'नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी' शुरू की। इस नीति के तहत सबसे ज्यादा लाभान्वित होने वाले देशों में मालदीव भी शामिल है। हिंद महासागर में भारत की सामुद्रिक सीमा मालदीव से मिलती है। सागर को लेकर बनाई गई भारत सरकार की 'सागर' (सेक्युरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन) एवं 'नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी' जैसी योजनाओं में मालदीव विशेष महत्व रखता है।
मिनिकॉय द्वीप से महज 70 नॉटिकल मील दूर है मालदीव
लक्षद्वीप के मिनिकॉय द्वीप से मालदीव की दूरी महज 70 नॉटिकल मील है जबकि भारत के पश्चिमी तट से 1192 द्वीपों और करीब 800 किलोमीटर तक फैले इस देश की दूरी 300 नॉटिकल मील है। हिंद महासागर में मालदीव की भौगोलिक उपस्थिति उसे खास बना देती है। मालदीव के पास से ही व्यापारिक समुद्री मार्ग गुजरता है जिससे होते हुए मालवाहक जहाज दूसरे देशों तक पहुंचते हैं। मालवाहक जहाजों के लिए एक प्रमुख व्यापारिक रास्ता मालदीव की सामरिक महत्व को बहुत बढ़ा देता है।
मालदीव में दो हेलिकॉप्टर, एक डोर्नियर विमान
दरअसल, मालदीव की पूर्व सरकारों के अनुरोध पर ही भारत ने इस देश में अपनी सैन्य उपस्थिति बनाई। मालदीव के पास समुद्री रास्तों की निगरानी करने के लिए विमान, हेलिकॉप्टर एवं तकनीकी क्षमता एवं दक्षता नहीं है। यही नहीं, मेडिकल एवं आपात स्थिति में लोगों को द्वीप से निकालकर सुरक्षित जगहों पर ले जाने में इन हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल होता आया है। यहां पर दो हेलिकॉप्टर एवं समुद्री मार्ग की निगरानी के लिए एक डोर्नियर विमान है।
मालदीव में करीब 70 भारतीय सैन्यकर्मी
जाहिर है कि हेलिकॉप्टरों एवं निगरानी विमान के रखरखाव एवं परिचालन के लिए जरूरी क्रू एवं इंजीनियरों की जरूरत होगी। इसके लिए करीब 70 भारतीय सैन्यकर्मियों की मौजूदगी इस देश में है। रिपोर्टों के मुताबिक दो हेलिकॉप्टरों की देखरेख एवं उसके परिचालन से जुड़ा काम 50 सैन्य कर्मी देखते हैं जबकि डोर्नियर विमान की देखरेख मे 25 सैन्यकर्मी लगे हैं। बिना इनके ये विमान सेवा नहीं दे पाएंगे। इसलिए ये कहना कि मालदीव में भारत की सैन्य मौजूदगी किसी सैन्य इरादे के लिए है, वह उचित नहीं। भारत ने मालदीव को ये हेलिकॉप्टर एवं विमान मुफ्त में दिए हैं।
मोइज्जू इसलिए चाहते हैं भारतीय सैनिकों की वापसी
गत सितंबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव में मोइज्जू की जीत हुई। अपने चुनाव प्रचार के दौरान इन्होंने 'इंडिया आउट' का नारा दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने पर वह भारतीय सैनिकों को वापस भेजेंगे। चूंकि, अब वह चुनाव जीत चुके हैं इसलिए भारत विरोधी उनकी गतिविधि और तेज हो गई है।
मालदीव पर चीन का 1.37 अरब डॉलर का कर्ज
विश्व बैंक के मुताबिक मालदीव पर चीन का 1.37 अरब डॉलर का कर्ज है। यह उसके सार्वजनिक कर्ज का करीब 20 फीसद है। जानकार मानते हैं कि चीन मुइज्जू के जरिए मालदीव में अपना पैर जमाना चाहता है। भारत विरोधी मुइज्जू उसकी चाल का बड़ा मोहरा साबित हो सकते हैं। श्रीलंका की तरह मालदीव भी उसके कर्ज के जाल में फंस सकता है और हो सकता है कि कर्ज न चुकाने पर उसे श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह की तरह अपने कुछ द्वीप गिरवी रखने पड़ें। श्रीलंका जब कर्ज नहीं दे पाया तो चीन ने उसका हंबनटोटा पोर्ट 99 साल के लिए लीज पर ले लिया।
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