इस गैंगस्टर से निपटने के लिए बनी थी यूपी STF, आज खौफ से कांपते हैं अपराधी और माफिया

एसटीएफ ने कई अपराधियों को ढेर कर इनके बीच खौफ पैदा कर दिया है। आइए इसी सिलसिले मे जानते हैं कि इसका गठन क्यों और कब किया गया था।

यूपी स्पेशल टास्क फोर्स

History of UP STF: पिछले कुछ वर्षों में यूपी एसटीएफ (UP STF) अपनी कार्रवाई को लेकर चर्चा में रहा है। इसने यूपी में एक से बढ़कर एक गैंगस्टर को ठिकाने लगाया है। हाल ही में अतीक अहमद के बेटे हत्यारोपी असद अहमद और उसके साथी गुलाम को मुठभेड़ में ढेर किया था। अब एक दिन पहले ही मेरठ में कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना को भी एसटीएफ ने एनकाउंटर में मारकर अपनी ताकत का अहसास कराया है। यूपी एसटीएफ का खौफ अपराधियों के सिर चढ़कर बोल रहा है। एसटीएफ ने कई अपराधियों को ढेर कर इनके बीच खौफ पैदा कर दिया है। आइए इसी सिलसिले मे जानते हैं कि इसका गठन क्यों और कब किया गया था।

4 मई 1998 को गठन

यूपी स्पेशल टास्क फोर्स (STF) का गठन 4 मई, 1998 को लखनऊ में किया गया था। कहते हैं कि यूपी में स्पेशल टास्क फोर्स बनाने का विचार 90 के दशक के कु्ख्यात माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला से निपटने के दौरान आया था। माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला यूपी में बड़ा गैंगस्टर बन चुा था। उन दिनों श्रीप्रकाश शुक्ला अपराध की दुनिया में बड़ा नाम था। बताते हैं कि शुक्ला इतना दुस्साहसी था कि उसने एक बार उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी ले ली थी।

शुक्ला का हौसला और अपराध दिन ब दिन बढ़ते जा रहे थे। तब पुलिस के दिमाग में एसटीएफ के गठन का विचार आया। 4 मई, 1998 को लखनऊ में इसका गठन किया गया। तब एसटीएफ ने ही शुक्ला को ठिकाने लगाया था। एसटीएफ की टीम ने कई महीनों तक शुक्ला की रेकी की, तकनीक का सहारा लिया और एक दिन वह जाल में फंस गया। एसटीएफ के साथ एनकाउंटर में वह मारा गया।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव ...और देखें

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