कश्मीर में जन्म, चीन में कई साल रहे तैनात...जानिए नए विदेश सचिव विक्रम मिस्री की नियुक्ति क्यों है खास

अपने विदेश सेवा करियर में मिस्री चीन और म्यांमार में भारत के राजदूत रहे। उन्होंने एनएसए कार्यालय में नीतियों को लागू करने में अपनी पहचान बनाई। मिस्री की आखिरी राजदूत पोस्टिंग जनवरी 2019 से दिसंबर 2021 तक बीजिंग में थी।

विक्रम मिस्री बने नए विदेश सचिव

Vikram Misri: उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) विक्रम मिस्री अब भारत के नए विदेश सचिव हैं। उन्होंने 15 जुलाई से विनय क्वात्रा से पदभार ग्रहण किया है। यह घोषणा सरकार ने पिछले सप्ताह की थी, जिसने कई लोगों को हैरत में डाला। कैबिनेट की नियुक्ति समिति के फैसले के साथ ही डिप्टी एनएसए के रूप में मिस्री का कार्यकाल बीच में ही खत्म हो गया है। इस फैसले को कई कारणों से अपरंपरागत और महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

क्यों हटकर है मिस्री की नियुक्ति

विदेश सचिव के रूप में मिस्री की नियुक्ति को असामान्य बनाने वाली बात न सिर्फ उनका अब तक का असरदार करियर है, बल्कि उनके चयन का संदर्भ और समय भी कई मायनों में महत्वपूर्ण है। आमतौर पर, विदेश सचिव का पद राजनयिकों को दिया जाता है जो विदेश मंत्रालय में तैनात रहते हैं। लेकिन मिस्री डिप्टी एनएसए के रूप में कार्य कर रहे थे। मिस्री की इस हालिया भूमिका और सुरक्षा मुद्दों पर उनका विशेष नजरिया परंपरागत ढर्रों से थोड़ा हटकर है। नई नियुक्ति मौजूदा भू-राजनीतिक माहौल में विदेश नीति में सुरक्षा और रणनीतिक विशेषज्ञता को प्राथमिकता देने की दिशा में एक अहम बदलाव दिखाती है।

चीनी मामलों के विशेषज्ञ

अपने विदेश सेवा करियर में मिस्री चीन और म्यांमार में भारत के राजदूत रहे। उन्होंने एनएसए कार्यालय में नीतियों को लागू करने में अपनी पहचान बनाई। मिस्री की आखिरी राजदूत पोस्टिंग जनवरी 2019 से दिसंबर 2021 तक बीजिंग में थी। वह गलवान झड़प के दौरान चीन में भारत के राजदूत थे। उन्हें चीन मामलों को संभालने वाले शीर्ष अधिकारियों में से एक माना जाता है। इस मायने में मिस्री की नई नियुक्ति बेहद अहम है।

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