क्या 21 की उम्र में लड़ सकेंगे विधानसभा और लोकसभा चुनाव? जानें कब-कब उठी मांग; क्या कहते हैं नियम
Election Candidates Age: क्या विधानसभा और लोकसभा चुनावों में दावेदारी पेश करने की उम्र 25 साल से घटाकर 21 साल की जाने वाली है? चुनाव लड़ने की आयु सीमा घटाए जाने की मांग लगातार उठ रही है। आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि ये मांग कब-कब उठी, किस-किसने उठाई और चुनाव लड़ने के नियम क्या हैं।
क्या घटेगी चुनाव लड़ने की उम्र सीमा?
Rules for Election: एक साल पहले यानी वर्ष 2023 की ही बात है, जब कानून और कार्मिक संबंधी समिति ने चुनाव लड़ने की न्यूनतम उम्र सीमा को घटाने का सुझाव दिया था। समिति ने इसे लेकर संसद में एक रिपोर्ट भी पेश की थी, जिसमें ये कहा गया था कि उम्र सीमा को 25 से घटाकर 18 कर देना चाहिए। देश की संसद में एक बार फिर चुनाव लड़ने की उम्र सीमा घटाने की मांग तेज हो गई है। आपको इस लेख में बताते हैं कि कब, किसने ये मांग उठाई और चुनाव लड़ने के नियम कानून क्या कहते हैं।
क्या चुनाव लड़ने की उम्र सीमा घटेगी?
लंबे वक्त से ये मांग उठाई जा रही है कि देश में होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तय उम्र सीमा को घटाया जाए। ये दलील पेश की जा रही है कि यदि कोई व्यक्ति 18 साल की उम्र में वोट डाल सकता है तो चुनाव लड़ क्यों नहीं सकता है। अलग-अलग समय पर अलग-अलग मांगे उठाई जाती रही हैं। कभी ये मांग उठती है और सलाह दी जाती है कि ये सीमा 25 वर्ष से घटाकर 18 साल कर देनी चाहिए, तो कई 21 साल करने की सुझाव देता है। सवाल यही है कि क्या मुख्य धारा की राजनीति में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के मकसद से चुनाव लड़ने की उम्र 25 साल से घटाकर 21 साल की जाने वाली है? पहले आपको समझाते हैं कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए क्या नियम कानून हैं, फिर ये बताएंगे कि किस-किसने कब-कब मांग उठाई।
चुनाव लड़ने के लिए जरूरी योग्यता
क्या आप जानते हैं कि भारत में विधानसभा सदस्य या लोकसभा सांसद बनने के लिए क्या योग्यता चाहिए? विधायक और सांसद बनने के लिए क्या उम्र चाहिए, विधायकी और सांसदी का चुनाव कौन लड़ सकता है? बता दें, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 84 संसद का सदस्य बनने के लिए योग्यताएं निर्धारित करता है। वहीं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 173 के अनुसार विधानसभा का सदस्य होने की योग्यता निर्धारित की गई हैं।
आइए जानते हैं विधायक और सांसद बनने के लिए क्या-क्या योग्यता होनी चाहिए।
कौन लड़ सकता है विधानसभा और लोकसभा चुनाव?
- विधानसभा और लोकसभा चुनाव (विधायकी और सांसदी का चुनाव) लड़ने के लिए भारत का नागरिक होना आवश्यक है।
चुनाव लड़ने के लिए कितनी उम्र होनी चाहिए?
- लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कम से कम 25 साल उम्र होना अनिवार्य है। नियमानुमार इससे कम उम्र का कोई भी इंसान चुनाव नहीं लड़ सकता है।
क्या सजा पाए व्यक्ति लड़ सकता है चुनाव?
- भारत के कानून के अनुसार वो शख्स जिसे किसी भी केस में दो साल या उससे अधिक की सजा हुई हो, वो विधानसभा और लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ सकता है। यदि वो विधायक या सांसद है तो उसकी सदस्यता भी रद्द हो जाती है।
वोटर लिस्ट में नाम होना जरूरी?
- भारत के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 4(डी) के अनुसार, वो शख्स जिसका नाम मतदाता सूची में नहीं है, वह चुनाव नहीं लड़ सकता है।
चुनाव में कितनी जमानत राशि देनी पड़ती है?
- लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, कानून के मुताबिक लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों को नॉमिनेशन के समय 25 हजार रुपये की जमानत राशि देनी होती है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कैंडिडेट्स को जमानत राशि में छूट मिलती है। SC-ST कैंडिडेट को 12,500 हजार रुपये देने होते हैं।
राज्यसभा में उठी आयु सीमा 25 से 21 वर्ष करने की मांग
हाल ही में देश की संसद में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की आयु सीमा कम करने की मांग एक बार फिर उठने लगी है। राज्यसभा में विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष किए जाने की मांग की गई। वर्तमान में यह 25 वर्ष है। सदन में शून्यकाल के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के राघव चड्ढा ने इस मामले को उठाते हुए हवाला दिया कि भारत एक युवा देश है लेकिन इस अनुपात में युवा राजनीति में नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'भारत सबसे युवा देशों में आता है। हमारे देश की औसत आयु 29 वर्ष है। देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। हमारी आधी आबादी 25 वर्ष से कम आयु की है। लेकिन क्या हमारे चुने हुए प्रतिनिधि भी इतने युवा हैं?'
चड्ढा ने कहा कि पहली लोकसभा में चुने गए 26 प्रतिशत लोग 40 वर्ष से कम आयु के थे जबकि 17वीं लोकसभा में मात्र 12 प्रतिशत सांसद ही 40 वर्ष से कम आयु के थे। उन्होंने कहा, 'जैसे-जैसे देश जवान हो रहा है, हमारे चुने हुए प्रतिनिधि उस जवानी से काफी दूर होते जा रहे हैं।' उन्होंने कहा कि हम युवा देश हैं और राजनीतिज्ञ भी युवा होने चाहिए। आप सदस्य ने बताया कि ऐसा इसलिए हो रहा है कि कोई भी अपने बच्चे को नेता नहीं बनाना चाहता है। उन्होंने कहा, 'आज, हमें युवाओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत है ताकि युवा भारत के मुख्यधारा की राजनीति में आएं। इस देश में चुनाव लड़ने की आयु 25 वर्ष है। लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का चुनाव हो। चुनाव लड़ने के कम से कम आयु 25 वर्ष होने चाहिए। इस आयु को 25 से घटकर 21 वर्ष करें।'
नियम बदलने के लिए आप सांसद ने सदन में दी ये दलील
चड्ढा ने दलील दी कि 21 वर्ष का युवा अगर मुख्यधारा की राजनीति में आना चाहता है और चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे अनुमति मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'जब देश का युवा 18 वर्ष की आयु में वोट डालकर अपनी सरकार चुन सकता है और देश का भविष्य चुन सकता है तो 21 वर्ष की आयु में वह चुनाव भी अवश्य लड़ सकता है।' वर्तमान कानून के मुताबिक लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु 25 वर्ष है जबकि राज्यसभा और विधान परिषद के सदस्य का चुनाव लड़ने की आयु 30 वर्ष है। देश में मतदान के लिए 18 वर्ष की न्यूनतम आयु तय की गई है। पिछले वर्ष कानून और कार्मिक संबंधी समिति ने संसद में पेश अपनी एक रिपोर्ट में चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु सीमा को घटाने का सुझाव दिया था।
चुनाव लड़ने की उम्र को लेकर संसदीय समिति का सुझाव
कानून के मुताबिक फिलहाल विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु 25 वर्ष निर्धारित है। वहीं विधान परिषद और राज्यसभा का चुनाव लड़ने के नियमों का जिक्र करें तो इसके लिए उम्मीदवारों की उम्र 30 साल होनी जरूरी है। पिछले साल यानी 2023 में कानून और कार्मिक संबंधी समिति ने ये सुझाव दिया था कि चुनाव लड़ने की उम्र सीमा घटाकर 25 से 18 वर्ष कर देनी चाहिए। इसे लेकर संसद में एक रिपोर्ट भी पेश की गई थी। तभी से ये माना जा रहा है कि सरकार इसे लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकती है।
दिवंगत भाजपा नेता सुशील मोदी के राज्यसभा सांसद रहने के दौरान उनकी अगुवाई वाले पैनल ने कनाडा, यूके और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की व्यवस्था की पड़ताल करने के बाद चुनाव लड़ने की आयु घटाने का सुझाव दिया था। अपनी रिपोर्ट में उन्होंने इसका जिक्र किया था कि उम्र सीमा को 25 से घटाकर 18 कर देना चाहिए। इससे युवाओं को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने का बराबर मौका मिलेगा।
चुनाव आयोग को उम्र घटाने को लेकर रहा है ऐतराज
संसदीय समिति की रिपोर्ट पर इलेक्शन कमीशन उस वक्त सहमत नहीं हुई थी। दरअसल, रिपोर्ट में ये जिक्र किया गया था कि संसद, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव लड़ने के लिए और वोटिंग के लिए न्यूनतम उम्र को एक समान करने के मुद्दे पर पहले ही चुनाव आयोग विचार कर चुका है। हालांकि उसकी ये मानना है कि 18 साल के लोग इन जिम्मेदारियों के लिए जरूरी एक्सपीरिएंस और मैचुएरिटी नहीं रखते हैं। ऐसे में ये उम्र चुनाव लड़ने के लिए सही नहीं होगा।
उम्र घटाने पर कौन-कौन सी पार्टियां सहमत?
कई राजनीतिक पार्टियां ये भी तर्क देती रही हैं कि यदि नगर निगम-परिषद में चुनाव लड़ने के लिए उम्र सीमा 21 साल है तो फिर विधानसभा और लोकसभा के लिए 25 साल क्यों निर्धारित है, इसे भी कम किया जा सकता है। राष्ट्रीय लोकदल (RLD), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), बीजू जनता दल (BJD), वाईएसआरसीपी, शिवसेना (उद्धव गुट) समेत कई ऐसे दल हैं, जो चुनाव लड़ने की आयु सीमा घटाने के पक्ष में हैं। भाजपा और कांग्रेस के कई सांसद भी चाहते हैं कि चुनाव लड़ने की उम्र घटा दिया जाए।
जयंत चौधरी ने संसद में पेश किया निजी विधेयक
केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने इस संबंध में संसद में एक निजी विधेयक पेश किया था। उनका यह बिल भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों की आयु सीमा से संबंधित था। जयंत ने उस वक्त ट्वीट कर लिखा था कि 'संसद और राज्य विधानसभाओं के लिए उम्मीदवारी की आयु को घटाकर 21 वर्ष करने के वास्ते भारत के संविधान (अनुच्छेद 84 और 173) में संशोधन करने के लिए एक निजी सदस्य विधेयक पेश किया!' उन्होंने आगे लिखा था कि 'युवा भारत को राजनीतिक मुख्यधारा में लाने के लिए मेरी पहल! सिर्फ मतदान नहीं, विधानपालिका में सदस्य के रूप में देश को कुशल नेतृत्व प्रदान करने का अधिकार।'
अब गेंद सरकार और चुनाव आयोग के पाले में है। लंबे वक्त से ये मांग उठ रही है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने की उम्र सीमा को घटाना चाहिए। आयोग ने पहले ही इसे लेकर असहमति जताया था, हालांकि कहते हैं न राजनीति अनिश्चितताओं का खेल है।
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