प्रचंड जीत से वापसी करने वाले डोनाल्ड ट्रंप क्या डीप स्टेट पर भी पाएंगे विजय? कतनी बड़ी है चुनौती

US and its Deep State: डीप स्टेट को कबाल भी कहा जाता है तो इसे ऐसे समझिए-सरकार के ताकतवर मंत्रालयों, विभागों, संस्थाओं के ऐसे अधिकारी जिनका अपने विभाग में पूरा दबदबा, हेकड़ी और रसूख होता है जिनके इशारे के बगैर एक फाइल इधर से उधर नहीं होती, इनकी बड़ी-बड़ी निजी कंपनियों, कारोबारियों और ऐसे उन सभी ताकतवर लोगों के साथ मिलीभगत होती है जो अपने फायदे के लिए राष्ट्रीय हितों तक की परवाह नहीं करते।

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति हैं डोनाल्ड ट्रंप।

US and its Deep State: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज करने वाले डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को व्हाइट हाउस में कदम रख देंगे। इस दिन से राष्ट्रपति के रूप में उनकी दूसरी पारी की शुरुआत हो जाएगी। एक्सपर्ट मानते हैं कि राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप का दूसरा कार्यकाल आसान नहीं रहने वाला है। घरेलू और वैश्विक मोर्चों पर उन्हें कई तरह की चुनौतियों, मुश्किलों और संकट का सामना करना है। 2020 में अमेरिका और दुनिया को जहां वह छोड़कर गए थे, तब से चीजें काफी बदल गई हैं। युद्ध, टकराव, संघर्ष, आर्थिक मंदी जैसी चुनौतियों से उनका तो सामना तो होगा ही। अमेरिका के डीप स्टेट से भी उन्हें निपटना होगा। ट्रंप इस डीप स्टेट को खत्म करने की बात कहते आए हैं। माना जाता है कि उनके पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप और उनके प्रशासन को इस डीप स्टेट से बहुत चुनौतियां मिलीं। तबसे ट्रंप इससे खार खाए हुए हैं। अटकलें यह भी लगती हैं कि इसी डीप स्टेट ने उन्हें रास्ते से हटाने के लिए दो बार साजिशें रचीं। इन्हीं में से एक बीते 13 जुलाई को चुनावी रैली में हुआ उन पर हमला था। हालांकि, ट्रंप की किस्मत अच्छी थी कि गोली उन्हें लगी नहीं, गोली उनके कान को रगड़ती हुई निकल गई और वह बाल-बाल बच गए।

डीप स्टेट के लोग बहुत शक्तिशाली

अपने चार साल के कार्यकाल के लिए ट्रंप ने अपनी टीम तैयार कर ली है। अहम पदों पर नियुक्तियां हो गई हैं। खासकर सुरक्षा, खुफिया विभागों के शीर्ष पदों पर ट्रंप ने जैसे लोगों की नियुक्तियां की हैं, वे उनके बेहद भरोसेमंद और इस डीप स्टेट के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए जाने जाते हैं। नेशनल डाइरेक्टर के पद पर तुलसी गबार्ड, सीआईए के डाइरेक्टर पद पर जॉन रैटक्लिफ और एफबीआई के डाइरेक्टर के पद पर कश्यप प्रमोद पटेल यानी काश पटेल की नियुक्ति हुई है। ये तीनों ट्रंप के बेहद खास और काउंटर टेररिज्म, इंटेलिजेंस के माहिर लोग हैं। तुलसी गबार्ड तो डीप स्टेट के खिलाफ अभियान चला चुकी हैं। जाहिर है कि ट्रंप अपने वादे के मुताबिक इस डीप स्टेट पर नकेल कसने के लिए आगे बढ़ेंगे लेकिन यह इतना भी आसान नहीं होने वाला है। क्योंकि अमेरिका में इस डीप स्टेट की जड़ें राजनीति, कारोबार, ब्यूरोक्रेसी हर जगह बहुत गहरी हैं। दशकों से सिस्टम पर इसकी पकड़ बहुत मजबूत है। डीप स्टेट के लोग बहुत शक्तिशाली और प्रभाव वाले होते हैं। इनसे दुश्मनी मोल लेना खुद को खतरे में डालने जैसा होता है। यहां यह समझना जरूरी है कि डीप स्टेट आखिर है क्या-

एक नेक्सस की तरह काम करते हैं

डीप स्टेट को कबाल के नाम से भी जाना जाता है, इसे ऐसे समझिए-सरकार के ताकतवर मंत्रालयों, विभागों, संस्थाओं के ऐसे अधिकारी जिनका अपने विभाग में पूरा दबदबा, हेकड़ी और रसूख होता है जिनके इशारे के बगैर एक फाइल इधर से उधर नहीं होती, इनकी बड़ी-बड़ी निजी कंपनियों, कारोबारियों और ऐसे उन सभी ताकतवर लोगों के साथ मिलीभगत होती है जो अपने फायदे के लिए राष्ट्रीय हितों तक की परवाह नहीं करते। ये अपने फायदे जो कि राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक किसी भी तरह का हो सकता है, उसके लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते हैं। यहां तक कि किसी देश में हंगामा खड़ा कराना या तख्तापलट कराना इनके बाएं हाथ का खेल होता है। ये सभी मिलकर एक नेक्सस की तरह काम करते हैं। ये चुनी हुई सरकार को चलने नहीं देते। ये ऐसी परिस्थितियां खड़ी कर देते हैं कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अपनी नीतियां और आदेश लागू नहीं कर पाते। उन नीतियों को या तो छोड़ना पड़ता है या वे जैसा चाहते हैं उनमें बदलाव करना पड़ता है।

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