झारखंड में विपक्ष मजबूत होगा या कमजोर? कहीं हेमंत सोरेन ने गलती तो नहीं कर दी; समझें 3 सियासी नफा-नुकसान

Jharkhand Politics: हेमंत सोरेन ने जेल से बाहर आते ही फिर से झारखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल ली। उनके सीएम बनने से सूबे में विपक्ष मजबूत होगा या कमजोर? ये सवाल इस दृष्टिकोण से सबसे अहम माना जा रहा है कि इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। सवाल ये भी है कि क्या हेमंत ने कोई गलती कर दी?

क्या होगी हेमंत सोरेन की रणनीति?

Hemant Soren's Next Plan: क्या दोबारा झारखंड के मुख्यमंत्री बनकर हेमंत सोरेन ने कोई गलती कर दी है? या फिर उनका ये फैसला आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों कांग्रेस, जेएमएम, आरजेडी के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित होगा? इस सवाल का जवाब तो चुनावी नतीजों में ही मिल पाएगा, लेकिन हेमंत के इस फैसले से झारखंड की सियासत किस ओर करवट लेती है, इसके लिए कयासों का दौर तेज हो चुका है। आपको इस लेख में हम उन सियासी पहलुओं को समझाते हैं, जिससे ये अनुमान लगाना आसान हो जाएगा कि उनके सीएम बनने से किसे नुकसान होगा और किसे फायदा...।

चंपई सोरेन Out, हेमंत सोरेन In

हेमंत सोरेन के दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) समेत विपक्षी दलों के नेताओं ने सोरेन को बधाई दी और खुशी जाहिर की। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने अपने पहले कदम के तौर पर चंपई सोरेन को रिप्लेस कर दिया है। उनके इस कदम के बाद सियासी नफा-नुकसान को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों की राय काफी मिली-जुली है। सूबे के सियासी हालात इस बात की गवाही दे रहे हैं कि हेंमत ने ये फैसला आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए लिया है। हालांकि इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि आने वाले दिनों में उनकी राह आसान नहीं रहने वाली है। आपको तीन नफा-नुकसान समझना चाहिए।

1). विधानसभा चुनाव में सीधा संदेश देने की कोशिश

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने इस फैसले से पहले काफी हद तक विचार-विमर्श किया। उन्होंने ये संदेश देने की कोशिश की है कि सूबे में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव उन्हीं के चेहरे पर लड़ा जाएगा। झारखंड की जनता को इस बात का जरा भी कन्फ्यूज ना रहे कि चुनावों के बाद हेमंत सीएम बनेंगे या फिर चंपई सोरेन को इस पद पर बनाए रखा जाएगा। कहीं न कहीं, हेमंत की गिरफ्तारी के बाद से झारखंड के लोगों का मिजाज बदला-बदला नजर आ रहा है। हेमंत से उनकी भावनाएं जुड़ी है और उनके प्रति सहानुभूति बढ़ी है। अगर हेमंत और चंपई सोरेन के चेहरे की तुलना की जाए तो हेमंत सोरेन के नाम पर चुनाव होने पर कहीं न कहीं जेएमएम और विपक्ष को अधिक लाभ होगा।

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