वंदे भारत-वाटर मेट्रो की सौगात, पादरियों से मुलाकात, समझिए बीजेपी का केरल प्लान
न सिर्फ 2024 चुनाव, बल्कि 2026 के केरल विधानसभा चुनाव पर भी BJP की नजर लगी है। क्या यहां मोदी-शाह की नई रणनीति काम आएगी, समझने की कोशिश करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केरल दौरा
PM Modi Kerala Visti: सुदूर दक्षिणी राज्य केरल भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा से एक चुनौतीपूर्ण राज्य रहा है। लंबे समय से बीजेपी यहां पैर जमाने की कोशिश में लगी है। लेकिन उसकी कोशिशें कभी सिरे चढ़ती नजर नई आई है। लेकिन अब केंद्र सरकार की नीतियों और मोदी-शाह की रणनीति के जरिए बीजेपी आगामी चुनावों में यहां बड़ी कामयाबी हासिल करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। न सिर्फ 2024 चुनाव, बल्कि 2026 के केरल विधानसभा चुनाव पर भी उसकी नजर लगी है। क्या यहां मोदी-शाह की नई रणनीति काम आएगी, समझने की कोशिश करते हैं।
केरल को बड़ी-बड़ी सौगातें
सियासी मायने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केरल दौरा बेहद अहम है। वह केरल को बड़ी-बड़ी सौगातें देकर विकास की नई लकीर खींच रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ केरल में पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई है बल्कि, देश की पहली वाटर मेट्रो भी यहां से चलाई जा रही है। वंदे भारत एक्सप्रेस और वाटर मेट्रो की सौगात के अलावा केरल को कई और सौगातें भी वह दे रहे हैं। तिरुवनंतपुरम में पहले डिजिटल साइंस पार्क की आधारशिला रखना इसी सिलसिले का हिस्सा है। मोदी का संदेश साफ है, विकास के जरिए केरल के लोगों का दिल जीता जाए।
पहली वंदे भारत एक्सप्रेस
पीएम मोदी ने मंगलवार को (25 अप्रैल) तिरुवनंतपुरम में बहुप्रतीक्षित वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डे पर उतरने के बाद पीएम मोदी मध्य रेलवे स्टेशन तक रोड शो के अंदाज में पहुंचे। कई घंटे पहले सड़कों के किनारे खड़े होकर लोगों ने उनका अभिवादन किया और फूलों की बारिश की। वह केरल की खास पारंपरिक पोशाक में नजर आए। उनका अंदाज बताता है कि वह केरल में बीजेपी को नई पहचान और ताकत देना चाहते हैं।
पहली वाटर मेट्रो
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कोच्चि में देश की पहली वाटर मेट्रो सेवा को हरी झंडी दिखाने जा रहे हैं। अपने दो दिवसीय केरल दौरे के दौरान पीएम मोदी कई अन्य कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि वह चर्च के पादरियों के साथ बैठक करेंगे। केरल की सियासत में ये घटना बेहद अहम है। अल्पसंख्यक समुदाय के बीच पहुंच बनाने के लिए पीएम मोदी की पहल को बड़ा समर्थन मिला है। पहली बार केरल के शीर्ष पादरी खुलकर उनसे मुलाकात कर रहे हैं।
बीजेपी का प्रदर्शन
चुनाव परिणामों के लिहाज से देखें तो केरल में बीजेपी की हालत अच्छी नहीं रही है। 2016 के विधानसभा चुनावों में सहयोगी भारत धर्म जन सेना (बीडीजेएस) के साथ उसे अच्छे खासे 15 प्रतिशत वोट मिले थे। पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनावों में इस आंकड़े को बनाए रखा लेकिन इसके बाद 2021 के विधानसभा चुनावों में यह घटकर 11.3 प्रतिशत रह गया। साथ ही उसने अपनी अकेली सीट भी गंवा दी। जब अमित शाह 2016-17 में केरल आए, तो उन्होंने 15 प्रतिशत मतों के आधार पर दावा किया था कि 2021 तक बीजेपी एक प्रमुख ताकत बनकर उभरेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यहां पार्टी के प्रदर्शन का एक प्रमुख कारण के. सुरेंद्रन का नेतृत्व भी माना जाता रहा है। सबरीमाला विरोध के दौरान हिंदुत्व के पोस्टर बॉय के रूप में सुरेंद्रन के उभरने के बाद वह शीर्ष पद पर पहुंच गए। अब उनके सामने पार्टी को अहम सफलता दिलाने की चुनौती है।
आठ प्रमुख पादरियों से मुलाकात
राज्य के विभिन्न चर्चों के आठ प्रमुख पादरियों को ताज मालाबार होटल में पीएम से मिलने के लिए आमंत्रित किया गया है, जहां मोदी ठहरे हुए हैं। केरल में बीजेपी युवाओं और अल्पसंख्यकों को अपने पाले में लाने के लिए अपने प्रचार अभियान के लिए पीएम की यात्रा को एक मंच के रूप में उपयोग करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। अगर ये अभियान सफल रहता है तो बीजेपी को इस राज्य में पैर जमाने का बड़ा मौका मिलेगा।
चर्च की भूमिका
बहरहाल, हिंदुत्व के एजेंडे के साथ ही बीजेपी ने ईसाई समुदाय को भी लुभाना जारी रखा। बीजेपी ने केरल में सीरो-मालाबार चर्च से लगातार संवाद बनाए रखा। यह 2016 में नोटबंदी के दौरान चर्च को पहली बार भाजपा के करीब आता देखा गया। ये चर्च अपने वित्तीय हितों की रक्षा के लिए सक्रिय हुए। सत्ता के केंद्र माने जाने वाली एर्नाकुलम-अंगमाली में भूमि घोटाले मामले ने बीजेपी की ताकत बढ़ाई। दरअसर, आर्कबिशप पामप्लानी की पेशकश से बहुत पहले कार्डिनल जॉर्ज एलेनचेरी ने 2016 में घोषणा की थी कि बीजेपी अछूत नहीं है।
भूमि घोटाले के मद्देनजर चर्च में फूट पड़ना भी भाजपा के लिए कार्डिनल के नेतृत्व वाले चर्च के आधिकारिक गुट के करीब आने का एक अवसर था। जब पाला बिशप जोसेफ कल्लारंगट की नारकोटिक जिहाद टिप्पणी विवाद में घिरी, तो यह बीजेपी ही थी जो उनके बचाव में उतरी। चर्च के मुखपत्र दीपिका की बीजेपी पर नरमी और उसका राजनीतिक रुख भी इस बात का संकेत था कि पार्टी अपने प्रयास में सफलता से आगे बढ़ रही है।
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