भारत के लिए कितने फायदेमंद वामपंथी रुझान वाले अनुरा कुमारा, किस ओर जाएंगे कोलंबो-नई दिल्ली के रिश्ते
Anura Kumara Dissanayake: माना जा रहा है कि 2022 के आर्थिक संकट से श्रीलंका को उबारने के लिए भारत सरकार ने जिस तरीके से आर्थिक एवं मानवीय सहायता कोलंबो को पहुंचाई, उससे दिसानायके प्रभावित हुए। अब वह भारत को लेकर संतुलित बयान देते हैं। उन्हें पता है कि श्रीलंका को आर्थिक तंगी से निकालने में भारत की बड़ी भूमिका निभा सकता है।
श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके।
- श्रीलंका के नए राष्ट्रपति बने हैं वामपंथी विचारधारा वाले अनुरा कुमार दिसानायके
- इनकी राजनीति भारत विरोधी की रही है लेकिन अब इनकी सोच में बदलाव आया
- दिसानायके ने कहा है कि वह भारत के साथ काम करने के इच्छुक हैं
Anura Kumara Dissanayake: अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के नए राष्ट्रपति बने हैं। देश में आर्थिक संकट के कारण 2022 में हुए व्यापक जन आंदोलन के बाद यह पहला चुनाव है। इस जन आंदोलन में गोटबाया राजपक्षे को अपदस्थ कर दिया गया था। दिसानायके की इस जीत में युवाओं एवं छात्रों की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। हाल के वर्षों में अनुरा श्रीलंका के एक बड़े तबके की आवाज बनने में सफल रहे हैं। एक राष्ट्रपति के तौर पर वह कितना सफल हो पाते हैं, इस पर अब सभी की नजरें लगी हुई हैं। दिसानायके के समक्ष कई चुनौतियां हैं। घरेलू मोर्चे पर उनकी सबसे बड़ी चुनौती देश को आर्थिक संकट से निकालना और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई तेज करना है। विदेशी मोर्चे पर भारत सहित पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को नई दिशा और उनमें एक नई रवानगी भरनी होगी।
भारत की मदद चाहेंगे दिसानायके
चूंकि, दिसानायके वामपंथी विचारधारा से आते हैं और उनकी पृष्ठभूमि काफी हद तक भारत विरोधी रही है। वह भारत का प्रभाव कम करने वाले हिंसक प्रदर्शनों में भी शामिल होते रहे हैं लेकिन हाल के वर्षों में उन्होंने अपने भारत विरोधी रुख एवं तेवरों को नरम किया है। माना जा रहा है कि 2022 के आर्थिक संकट से श्रीलंका को उबारने के लिए भारत सरकार ने जिस तरीके से आर्थिक एवं मानवीय सहायता कोलंबो को पहुंचाई, उससे दिसानायके प्रभावित हुए। अब वह भारत को लेकर संतुलित बयान देते हैं। उन्हें पता है कि श्रीलंका को आर्थिक तंगी से निकालने में भारत की बड़ी भूमिका निभा सकता है।
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पीएम मोदी ने दी बधाई
दिसानायके के राष्ट्रपति बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई देने में देरी नहीं की। पीएम ने अपने बधाई संदेश में कहा कि वह भारत-श्रीलंका के बीच बहुआयामी सहयोग को और मजबूत करने के लिए उनके साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हैं। साथ ही पीएम ने कहा कि भारत की पड़ोस प्रथम नीति के तहत श्रीलंका विशेष स्थान रखता है। जाहिर है कि पीएम ने अपने संदेश के जरिए यह साफ कर दिया कि भारत की ओर से जारी मदद और सहायता पहले की तरह जारी रहेगी। कोलंबो में भारतीय राजदूत भी दिसानायके से मिले और उन्हें नई दिल्ली की तरफ से बधाई दी।
बीजिंग के बहकावे में नहीं आना होगा
कूटनीति के जानकारों का मानना है कि दिसानायके की वैचारिक प्रतिबद्धता अपनी जगह है लेकिन देश की जरूरतें ज्यादा अहम हैं। उन्हें देश के लिए काम करना है। उन्हें श्रीलंका के हितों के लिए काम करना होगा। युवाओं को रोजगार, नौकरी उपलब्ध कराना और महंगाई पर काबू पाना उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए। चीन श्रीलंका में नई सरकार के साथ काम करते हुए अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश करेगा। हालांकि, श्रीलंका अपने पिछले अनुभवों को देखते हुए शायद ही बीजिंग के किसी बहकावे में आए। भारत को अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना है। हिंद महासागर में चीन अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसलिए वह चाहेगा कि दिसानायके भी महिंदा राजपक्षे की राह पर चलें।
भारतीय हितों की सुरक्षा करने का वादा
हाल के दिनों में भारत को लेकर दिसानायके के रुख में बदलाव देखने को मिला है। अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने भारत विरोधी बातें नहीं कहीं। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने पर वह श्रीलंका के समुद्र, भूमि और हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल भारत और क्षेत्रीय सुरक्षा के खिलाफ नहीं होने देंगे। राष्ट्रपति बनने के बाद अनुरा ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को लेकर प्रतिबद्ध हैं। अनुरा ने X पर अपने एक पोस्ट में लिखा कि हम साथ मिलकर अपने लोगों और पूरे क्षेत्र के लाभ के लिए सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर सकते हैं। जाहिर है कि श्रीलंका के इस नए राष्ट्रपति ने भारत के प्रति सकारात्मक संकेत दिया है। श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव की आहट से पहले ही भारत सरकार ने कूटनीतिक प्रयास शुरू कर दिए थे, अनुरा दिसानायके करीब 7 महीने पहले सरकार के बुलावे पर भारत आए थे। दिल्ली में उनकी मुलाकात विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से हुई। माझा जाता है कि इन मुलाकातों के बाद भारत के बारे में दिसानायके की सोच में बदलाव आया।
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