बांग्लादेश के हालात बढ़ायेगें दक्षिण-एशिया में अस्थिरता? इस्लामाबाद और बीजिंग उठायेंगे मौका का फायदा

Bangladesh Situation: इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह के इल्जाम लगाए गए। लाज़िमी तौर पर इन हालातों के मद्देनजर भारत और बांग्लादेश के आपसी तालुक्कातों में खटास आयी। इन समीकरणों का असर बांग्लादेश को लेकर हमारी विदेशी नीति और सुरक्षा पर भी पड़ा है।

अविभाजित भारत से लेकर अब तक नई दिल्ली और ढ़ाका के तालुक्कात काफी दिलचस्प रहे हैं

Bangladesh Situation News: अविभाजित भारत से लेकर अब तक नई दिल्ली और ढ़ाका के तालुक्कात काफी दिलचस्प रहे हैं। खानपान, रहन सहन, और पहनावा लगभग एक जैसा होने के बावजूद दोनों मुल्कों के बीच पेचीदियां और दोस्ताना भी रिश्ते रहे। बीते कुछ सालों के दरम्यां कई दक्षिणी एशियाई मुल्कों के मुकाबले बांग्लादेश की इक्नॉमी ने शानदार रफ्तार दिखायी, इससे कई छोटी इक्नॉमी वाले पड़ोसी मुल्कों को रश्क भी हुआ। बांग्लादेशी जम्हूरी ढांचा और उनकी ग्रोथ काबिले तारीफ रही। नई दिल्ली के साथ मिलकर बांग्लादेशी हुक्मरानों ने तिजारत में खास तरक्की हासिल की।

ये सभी बातें पाक को नापाक लगी। इस्लामाबाद की निशानदेही पर आईएसआई और कट्टरपंथी इदारों ने यहां घुसपैठ की। पढ़ने लिखने वाले नौज़वानों को हसीना सरकार के खिलाफ खड़ा किया गया। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने बांग्लादेशी मुस्तकबिलों के कानों में नफरत का मंत्र फूंक दिया। पाक के नैरेटिव, एजेंडा और प्रोपेगेंडा का ही ये असर था कि बांग्लादेशी जम्हूरी अस्मत को सड़कों पर तार-तार कर दिया गया। ढ़ाका और चटगांव की सड़कें खून से लाल हो गयी। अल्पसंख्यकों को रौंदा गया, धर्म विशेष की महिलाओं के साथ जमकर बलात्कार किया गया। मंदिरों को लूटा गया और पुजारियों को मारकर भगा दिया गया। दंगों, बलवा और सियासी फसाद के चलते शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा।

इस्लामाबाद के दखल से सुलगा बांग्लादेश

शेख हसीना और अवामी लीग के खिलाफ हवा बनाने की तैयारी पाकिस्तान लंबे समय से कर रहा था। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, आईएसआई और कट्टरपंथी तंजीमों ने नफरत का ऐसा बीज़ बोया कि दुनिया को लगने लगा कि वहां की आवाम चुनी हुई सरकार में अपनी आस्था खो चुकी है। कथित दमन और भष्ट्राचार के नाम पर दंगों, आगजनी, बलात्कार, लूटमारी और हिंसा का अंजाम दिया गया। आवामी लीग, शेख हसीना और शेख मुजीबुर रहमान से जुड़ी पहचानों को मिटाया जाने लगा। बिगड़ रहे हालातों की जब नई दिल्ली ने मजम्मत की तो उसे भी आलोचना का शिकार होना पड़ा। भारत के खिलाफ वहां सुर बुलंद होने लगे। रही सही कसर उस वक्त पूरी हो गयी जब शेख हसीना को भारत में शरण मिली। भारत में उनकी मौजूदगी नयी बांग्लादेशी सरकार के लिए परेशानी का सब़ब बनी हुई है।

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