बिना भारत के काम नहीं चलेगा, मालदीव की मोईज्जू सरकार को आखिरकार समझ में आ गई बात

India Maldives Relation : चुनाव में इंडिया आउट का नारा देकर सत्ता में आने वाले मोईज्जू ने अपने कारनामो और फरमानों से अपनी छवि भारत विरोधी बना ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनवरी के पहले सप्ताह में जब लक्षद्वीप गए थे। तो उन्होंने लक्षद्वीप की खूबसूरती दिखाने और वहां पर्यटन बढ़ाने के मकसद वहां की प्राकृतिक सौंदर्य की तस्वीरें एक्स पर पोस्ट कीं।

Muizzu

तीन दिनों के दौरे पर मालदीव गए थे विदेश मंत्री एस जयशंकर।

India Maldives Relation : बड़ी-बड़ी बातें करने वाले मालदीव के तेवर ढीले हो गए हैं। बीते सात -आठ महीनों में ही उसे महसूस हो गया कि भारत के रहमो करम के बिना वह बदहाल हो जाएगा, उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी और वह सड़क पर आ जाएगा। भारत की नाराजगी उसे बहुत भारी पड़ जाएगी। इसलिए जितना जल्दी हो सके नई दिल्ली को मनाकर उससे रिश्ते पहले की तरह किए जाएं। दरअसल भारत और मालदीव के मजबूत रिश्ते में एक बड़ी दरार बीते जनवरी महीने में उस वक्त आ गई जब राष्ट्रपति मोहम्मद चीन के दौरे से लौटे।

राष्ट्रपति बनने के बाद चीन दौरे पर गए थे मोईज्जू

राष्ट्रपति बनने के बाद मोहम्मद मोईज्जू चीन के दौरे पर गए थे। उनका यह चीन दौरा परंपरा के विपरीत था क्योंकि मालदीव में जब भी सरकार बदलती है तो देश का मुखिया चाहे जो भी बने उसकी पहली आधिकारिक यात्रा भारत की होती रही है। चूंकि, मोईज्जू चीन समर्थक माने जाते हैं, इसलिए उनकी बीजिंग यात्रा पर किसी को हैरानी नहीं हुई। मोईज्जू जब चीन से लौटे तो वह भारत पर गुर्राने लगे या कहिए कि चीन को खुश करने के लिए उसकी सिखाई-पढ़ाई बातों को दोहराने लगे। उनके फैसले और बयान भारत विरोधी थे। यहां तक कि मालदीव के लोगों को आपात स्थिति से निकालने के लिए वहां मौजूद भारतीय सैन्यकर्मियों को वापस लेने के लिए भारत को डेडलाइन दे दी। यह भी कहा कि मालदीव छोटा देश जरूर है लेकिन वह किसी की दादागिरी बर्दाश्त नहीं करेगा।

बयानों से भारत विरोधी छवि बनाई

चुनाव में इंडिया आउट का नारा देकर सत्ता में आने वाले मोईज्जू ने अपने कारनामो और फरमानों से अपनी छवि भारत विरोधी बना ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनवरी के पहले सप्ताह में जब लक्षद्वीप गए थे। तो उन्होंने लक्षद्वीप की खूबसूरती दिखाने और वहां पर्यटन बढ़ाने के मकसद वहां की प्राकृतिक सौंदर्य की तस्वीरें एक्स पर पोस्ट कीं। यह बात मालदीव के तीन मंत्रियों को बहुत ही बुरी लगी। इन मंत्रियों ने पीएम मोदी के बारे में बेहद अपमानजनक टिप्पणी की। इन मंत्रियों के खिलाफ भारत में जब गुस्सा बढ़ा तो मोईज्जू सरकार को इनका इस्तीफा लेना पड़ा। बात भारतीय प्रधानमंत्री के मान, सम्मान से जुड़ी थी, तो बात यहीं रुकने वाली नहीं थी देखते ही देखते 'हैशटैग बॉयकॉट मालदीव' ट्रेंड करने लगा। इसका असर यह हुआ कि मालदीव का पर्यटन उद्योग धड़ाम से नीचे आ गिरा। भारतीय विमानों ने मालदीव के लिए उड़ानें सस्पेंड कर दीं, लोग छुट्टियां मनाने कहीं और जाने लगे। इसका सीधा असर मालदीव की अर्थव्यवस्था पर पड़ा।

5वें से पहले पायदान पर पहुंचा भारत

मालदीव एक तरह से भारतीयों की पहली पसंद बन गया था। पांच साल के भीतर वह पांचवें पायदान से पहले पायदान पर पहुंच गया। साल 2019 में भारत दूसरे स्थान पर था और इस साल 1.66 लाख टूरिस्ट मालदीव गए। यह 2018 के मुकाबले करीब दोगुना था। 2020 में कोरोना जैसी महामारी के बावजूद तकरीबन 63000 इंडियन टूरिस्ट मालदीव पहुंचे। 2021 और 2022 में तो भारतीय पर्यटकों ने तो रिकॉर्ड तोड़ दिया। इन दोनों साल भारत, मालदीव का सबसे बड़ा टूरिस्ट मार्केट रहा और यहां आने वाले कुल पर्यटकों में भारत का योगदान तकरीबन 23% रहा। साल 2021 में 2.9 लाख तो 2022 में 2.4 लाख टूरिस्ट वहां गए।

मालदीव की जीडीपी में 28 फीसदी हिस्सा पर्यटन का

दरअसल, पर्यटन मालदीव का सबसे बड़ा उद्योग है और यह वहां के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी का 28% है। लेकिन एक बार भारतीयों का मन जब दुखा तो उनका इस द्वीपीय देश से मोहभंग हो गया। पर्यटन पर इतनी बड़ी मार मालदीव बर्दाश्त नहीं कर पाया, उसकी कमर टूटने लगी थी...भारत से पंगा लेने की कीमत उसे समझ में आ गई, उसके होश ठिकाने आ गए। ऊपर से बढ़ता विदेशी कर्ज और आईएमएफ के चाबुक ने उसे मोईज्जू सरकार को भारत की तरफ देखने के लिए मजबूर कर दिया। उन्हें समझ में आ गया कि बिना भारत की मदद से उनकी नैया पार नहीं लगेगी।

तीन दिनों के दौरे पर मालदीव पहुंचे जयशंकर

फिर क्या था भारत की नाराजगी दूर करने की पहल होने लगी। पहले मालदीव के पर्यटन मंत्री का बयान आया। पर्यटन मंत्री इब्राहिम फैसल ने भारतीयों से उनके देश आने की अपील की। उन्होंने कहा- हमारी इकोनॉमी टूरिज्म पर निर्भर है। भारत हमारा पुराना दोस्त है। फिर भारत में रोड शो करने की बात आई। इसी बीच, पीएम मोदी का शपथ ग्रहण हुआ। उसमें मोइज्जू शामिल हुए। धीरे-धीरे परदे के पीछे भी बातें हुईं। दोबारा रिश्ते पटरी पर आना शुरू हुए। फिर विदेश मंत्री जयशंकर अपने तीन दिनों नौ से 11 अगस्त के दौरे पर मालदीव पहुंचे और उसे सौगातें दीं। भारतीय विदेश मंत्री की हालिया यात्रा को मालदीव द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण ‘मील का पत्थर’ बताया। जयशंकर ने कहा कि मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख साझेदार है तथा दोनों देश अपने सहयोग को आधुनिक साझेदारी में बदलने की आकांक्षा रखते हैं।
जाहिर है कि दोनों देश एक बार फिर दोस्ती के अपने पुराने अंदाज में वापस लौट रहे हैं। आने वाले समय में प्रधानमंत्री मोदी अगर मालदीव की यात्रा पर जाते हैं तो दोनों देशों के बीच थोड़ी-बहुत जो अनबन बची होगी, वह भी खत्म हो जाएगी क्योंकि पड़ोसी के साथ खटास और मिठास चलती रहती है।
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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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