क्या यूक्रेन के बिना तैयार होगा शांति समझौता? जेलेंस्की को झटके पे झटका दे रहे डोनाल्ड ट्रंप

Russia Ukraine Peace Deal : ट्रंप एक तरह से इस युद्ध के लिए जेलेंस्की को ही कसूरवार ठहरा दिया है। ट्रंप ने कहा है कि जेलेंस्की यदि चाहते तो बीते तीन सालों में पीस डील हो सकती थी। वह रूस के साथ कोई न कोई शांति समझौता कर लेते लेकिन उन्होंने समय गंवा दिया। यही नहीं, बैठक में जेलेंस्की को न बुलाने के पीछे ट्रंप की अपनी दलील है।

Russia Ukraine war

24 फरवरी 2025 को रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन साल पूरे हो जाएंगे।

Russia Ukraine Peace Deal : यूक्रेन और रूस के बीच क्या युद्ध थम जाएगा? दोनों देशों में क्या कोई पीस डील होगी? यह सवाल इसलिए कि युद्ध खत्म कराने के लिए बैठकों का दौर शुरू हो गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। पीस डील का रास्ता क्या हो सकता है, इस पर सऊदी अरब में अमेरिका और रूस के शीर्ष राजनयिकों की बैठक हुई। दिलचस्प बात यह है कि इस अहम बैठक में यूक्रेन को नहीं बुलाया गया। तो सवाल यह है कि क्या बिना यूक्रेन की बात और उसका पक्ष सुने बगैर शांति समझौते की रूपरेखा बनाई जाएगी? या उस पर पीस डील थोप दिया जाएगा। यह बात इसलिए क्योंकि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका का जो स्टैंड रहा है, उसमें बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।

जेलेंस्की को राष्ट्रपति के रूप में खारिज कर रहे हैं ट्रंप

इस बदलाव का संकेत कोई और नहीं बल्कि राष्ट्रपति ट्रंप दे रहे हैं। ट्रंप एक तरह से इस युद्ध के लिए जेलेंस्की को ही कसूरवार ठहरा दिया है। ट्रंप ने कहा है कि जेलेंस्की यदि चाहते तो बीते तीन सालों में पीस डील हो सकती थी। वह रूस के साथ कोई न कोई शांति समझौता कर लेते लेकिन उन्होंने समय गंवा दिया। यही नहीं, बैठक में जेलेंस्की को न बुलाने के पीछे ट्रंप की अपनी दलील है। ट्रंप का कहना है कि जेलेंस्की इस बातचीत में अपने लिए जगह चाहते हैं लेकिन यूक्रेन में राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं हुआ है। यह बीते अप्रैल में हो जाना चाहिए था। इस पीस डील में यूक्रेन के लोगों की आवाज होनी चाहिए जैसा कि चुनाव के बाद होता है। यह ट्रंप का बड़ा बयान है। वह राष्ट्रपति के रूप में जेलेंस्की को एक तरीके से खारिज कर रहे हैं। यही बात पुतिन ने भी कुछ दिनों पहले कही। दूसरा ट्रंप ने यह भी कहा है कि यूक्रेन में जेलेंस्की की लोकप्रियता काफी कम हो गई है। यह चार प्वाइंट तक आ गया है। युद्ध शुरू होने पर उन्हें एक हीरो में पेश किया गया था लेकिन अब स्थिति दूसरी है। जाहिर है कि ट्रंप ने युद्ध खत्म करने के लिए जेलेंस्की पर दबाव बढ़ा दिया है। जेलेंस्की को अमेरिका से वह समर्थन और सहयोग नहीं मिल रहा है जो बाइडेन प्रशासन के समय उन्हें मिल रहा था।

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युद्ध में बढ़त बना चुका है रूस

तो क्या यह माना जाए कि जेलेंस्की के बिना ही कोई पीस डील हो जाएगी? ऐसा शांति समझौता जो बिना यूक्रेन की भागीदारी के तैयार हुआ हो क्या उसे जेलेंस्की मानेंगे? जेलेंस्की पहले ही कह चुके हैं कि वह इस तरह के शांति समझौते को अपनी मंजूरी नहीं देंगे और फैसला स्वीकार नहीं करेंगे। बावजूद इसके युद्ध खत्म करने को लेकर उन पर अमेरिकी दबाव बढ़ता जा रहा है। यह बातचीत ऐसे समय शुरू हुई है जब युद्ध में रूस बढ़त बना चुका है। यूक्रेन धीरे-धीरे लेकिन लगातार रूसी सैनिकों के खिलाफ अपनी जमीन खो रहा है। क्रुस्क इलाके के ज्यादातर भाग को भी पुतिन दोबारा हासिल कर चुके हैं। रूसी फौजें यूक्रेन में आगे बढ़ रही हैं। एक्सपर्ट की मानें तो युद्ध में यूक्रेन की हालत खराब हो रही है, उसकी फौज का आगे टिकना बहुत मुश्किल है। अमेरिकी मदद के अभाव में यूक्रेन की सेना मोर्चे से पीछे हटना भी शूरू कर सकती है।

रियाद में हुई अहम बैठक

रियाद में जो बैठक हुई है उसमें अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

बैठक के बाद रूबियो ने कहा कि दोनों पक्ष मोटे तौर पर तीन लक्ष्यों को प्राप्त करने पर सहमत हुए हैं। इनमें वाशिंगटन और मॉस्को में अपने-अपने दूतावासों में कर्मचारियों की बहाली, यूक्रेन शांति वार्ता का समर्थन करने के लिए एक उच्च स्तरीय टीम का गठन और घनिष्ठ संबंधों और आर्थिक सहयोग की संभावनाएं तलाशना शामिल है। जबकि अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि बैठक का उद्देश्य यह निर्धारित करना था कि रूस शांति के प्रति कितना गंभीर है और क्या विस्तृत वार्ता शुरू की जा सकती है।

क्या ट्रंप का विरोध कर पाएंगे यूरोपीय देश?

सवाल यह है कि यूक्रेन को आर्थिक एवं सैन्य मदद देने से अमेरिका अपने हाथ यदि पूरी तरह से खींच लेता है तो ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी जैसे यूरोप और नाटो के देश कितने समय तक और कब तक यूक्रेन की मदद कर पाएंगे? और उसके साथ खड़े रह पाएंगे। बातें करना अलग बात है और युद्ध में साथ खड़े रहना अलग। ट्रंप यदि चाहते हैं कि उनके मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध का समाधान निकले तो उनके रास्ते में कौन दीवार बनने का साहस दिखाएगा। फ्रांस, जर्मनी जैसे यूरोप के देश भी सीधे ट्रंप से टकराव लेना नहीं चाहेंगे। क्योंकि अगर ट्रंप नाराज हुए तो वह यूरोप और नाटो के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का एग्जीक्यूटिव ऑर्डर निकाल देंगे। इसलिए, यूरोप का कोई भी देश उनके फैसले पर सवाल उठाने की जहमत नहीं उठाएगा। एक्सपर्ट मानते हैं कि युद्ध खत्म कराने पर अमेरिका और रूस के बीच यदि कोई शांति समझौता तैयार होता है तो यह बहुत हद तक रूस के पक्ष में होगा। रूस, यूक्रेन की जितनी जमीन पर अपने पैर जमा चुका है, उस पर से शायद ही वह पीछे हटे। युद्ध विराम होने पर यूक्रेन को अपनी जमीन गंवानी पड़ सकती है।

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कुल मिलाकर जेलेंस्की के लिए कठिन समय का दौर शुरू हो चुका है। यूरोप और अमेरिका में हीरो बनकर घूमने वाले जेलेंस्की की असली परीक्षा अब शुरू हुई है। अब उन्हें अपनी उपयोगिता, प्रासंगिकता साबित करनी है और यूक्रेन की सुरक्षा भी।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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