डायबिटीज के मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है वायु प्रदूषण, विशेषज्ञों ने किया चौंकाने वाला खुलासा

कोलकाता के एक प्रमुख पर्यावरण कार्यकर्ता और हरित प्रौद्योगिकीविद् ने विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर मधुमेह रोगियों को वायु प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ से बचने की सलाह दी। ग्रीन टेक्नोलॉजिस्ट सोमेंद्र मोहन घोष ने कहा कि शहर में मधुमेह के रोगियों को इस मामले में विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत है। उनके अनुसार, वायु प्रदूषण न केवल इंसुलिन प्रतिरोध का एक प्रमुख कारण है, बल्कि टाइप 2 मधुमेह मेलिटस की घटनाओं को भी बढ़ाता है। घोष ने कहा, "यातायात से जुड़े प्रदूषकों, गैसीय, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सूक्ष्म कणों के लिए वायु प्रदूषण और मधुमेह के बीच संबंध अधिक मजबूत है।"

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कोलकाता के एक प्रमुख पर्यावरण कार्यकर्ता और हरित प्रौद्योगिकीविद् ने विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर मधुमेह रोगियों को वायु प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ से बचने की सलाह दी। ग्रीन टेक्नोलॉजिस्ट सोमेंद्र मोहन घोष ने कहा कि शहर में मधुमेह के रोगियों को इस मामले में विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत है। उनके अनुसार, वायु प्रदूषण न केवल इंसुलिन प्रतिरोध का एक प्रमुख कारण है, बल्कि टाइप 2 मधुमेह मेलिटस की घटनाओं को भी बढ़ाता है। घोष ने कहा, "यातायात से जुड़े प्रदूषकों, गैसीय, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सूक्ष्म कणों के लिए वायु प्रदूषण और मधुमेह के बीच संबंध अधिक मजबूत है।"
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राज्य की राजधानी में चिकित्सा जगत का मानना है कि शहर में प्रदूषण की उच्च दर को देखते हुए मधुमेह के रोगियों को घर के अंदर रहने के साथ-साथ बाहर निकलते समय भी कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। उनके अनुसार पहली अनिवार्य सावधानी घर से बाहर निकलते समय अनिवार्य रूप से फेसमास्क पहनना है, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान किया गया था।
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डॉक्टरों ने यह भी दावा किया है कि जहां तक संभव हो मधुमेह के रोगियों को कार्यस्थलों पर मास्क पहनना जारी रखने की भी सलाह दी जाती है। उनके अनुसार, इससे हवा में मौजूद पीएम 2.5 का प्रभाव शरीर पर कम हो जाता है और इस तरह कम नुकसान होता है।
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