इस दिमागी समस्या से पीड़ित हैं आलिया भट्ट! जानिए क्या है वो डिसऑर्डर जिसमें गायब हो जाता है फोकस

Alia Bhatt : दिमाग से जुड़ा कोई डिसऑर्डर हो तो उससे व्यक्ति का पूरा जीवन प्रभावित हो जाता है। ऐसे ही एक दिमागी डिसऑर्डर की बात करते हुए बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट ने कहा कि वह भी एक दिमागी डिसऑर्डर से पीड़ित हैं। आइए विस्तार से जानते हैं क्या है ये डिसऑर्डर?

alia bhatt disorder

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कुछ दिनों पहले आलिया भट्ट ने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर है और उसकी वजह से बचपन में वो बातचीत के दौरान जोन आउट हो जाती थीं। क्या आपको पता है अटेंशन डेफिसिट / हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर या एडीएचडी क्या होता है और ये समस्या कितनी आम है? ये महज एक संयोग है कि अक्टूबर के महीने में ये बात चर्चा में रही, लेकिन अक्टूबर का महीना ‘एडीएचडी अवेयरनेस मंथ’ के रूप में मनाया जाता है। आइए इसके बारे में जानते हैं विस्तार से..

क्या है हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर ?

अटेंशन डेफिसिट / हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर या एडीएचडी एक न्यूरोडेवेलपमेंटल डिसऑर्डर है। जिन लोगों को ये समस्या होती है वे किसी काम में फोकस नहीं कर पाते हैं और किसी जगह पर देर तक बैठ नहीं पाते। किसी काम पर ध्यान लगाने में दिक्कत होना, भूलना, आसानी से ध्यान भटकना, लोगों को बोलने के बीच टोकना, एक जगह पर टिक के बैठ न पाना, एडीएचडी के कुछ सामान्य लक्षण हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि एडीएचडी के लक्षण उम्र बढ़ने के साथ बदल भी सकते हैं लेकिन अटेंशन में कमी, किसी चीज को समझने में दिक्कत और मिलने जुलने में परेशानी होती रहती है।

क्या हैं इस समस्या के लक्षण?

एडीएचडी के कुछ प्रकारों में पीड़ित लोगों को किसी चीज के लिए अपनी बारी का इंतजार करने में दिक्कत होती है, अगर पीड़ित बच्चा है तो उछलता कूदता ज्यादा है या लगातार दौड़ता है ऐसे में उसके ज्यादा चोटिल होने की आशंका बढ़ जाती है। मनोविशेषज्ञ बताते हैं कि खुद में बहुत खोया रहना, चीजों को भूलना, दौड़ने-भागने जैसे लक्षण बच्चों में ज्यादा दिखते हैं, बड़ों में हाइपरएक्टिविटी कुछ कम होती है। हालांकि वयस्क भी फोकस में कमी जैसी दिक्कतों का सामना करते हैं। एडीएचडी के इलाज के लिए मनोचिकित्सक से संपर्क करके टॉक थेरेपी या दवाएं लेनी चाहिए।

क्या कहते हैं आंकड़े?

वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ एडीएचडी की माने तो एडीएचडी काफी सामान्य समस्या है। दुनिया के लगभग 6% बच्चे और करीब 2.5% वयस्क इस समस्या का सामना कर रहे हैं। मनोविशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चों के एडीएचडी के लक्षण किशोरावस्था तक खत्म हो जाते हैं, लेकिन कुछ स्टडी के हिसाब से लगभग 60% बच्चे जिनको एडीएचडी होता है वो वयस्क होने के बाद भी कुछ लक्षणों को महसूस कर पाते हैं।

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मेधा चावला author

हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

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