Allergies & Asthma : जानिए वास्तव में क्या है एलर्जी और अस्थमा, डॉक्टर से समाधान और इलाज!
Health Tips in Hindi: ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ 2019 के अध्ययन के मुताबिक दुनिया के 13 प्रतिशत अस्थमा के मामले भारत में पाए जाते हैं, जबकि अस्थमा के कारण होने वाली दुनिया की 42 प्रतिशत मौतें भारत में होती हैं । मरीज की दृष्टि से इस बड़े अंतर के दो मुख्य कारण हैं; पहला है इस बीमारी के प्रति जागरुकता की कमी, तो दूसरा है इसके इलाज के बारे में कई मिथक।
Asthma Causes: एलर्जी अस्थमा का कारण क्यों बनती है?
Allergies & Asthma : अस्थमा एक पुरानी फेफड़ों की बीमारी है। अस्थमा मुख्य रूप से सांस लेने में परेशानी का कारण बनता है। बहुत से लोग कम उम्र में ही अस्थमा से पीड़ित होने लगते हैं। हालांकि, हम आमतौर पर शुरुआत में इसे अनदेखा कर देते हैं। एक गलत धारणा है कि उम्र बढ़ने के साथ अस्थमा कम हो जाएगा।
औरंगाबाद छत्रपति संभाजीनगर के चेस्ट फिजिशियन, डॉ. नितिन चित्ते ने टाइम्स नाउ नवभारत से बातचीत में बताया कि अस्थमा को लोग समाज में छिपाते हैं, इसलिए इसके बारे में बात करने भी कतराते हैं और ज्यादातर मरीज अपनी बीमारी को ‘श्वास’, ‘दमा’, या ‘सर्दी और खांसी’ का नाम दे देते हैं। ऐसे में कुछ लोग इलाज कराने केवल तभी पहुंचते हैं, जब इसके लक्षण बिगड़कर असहनीय हो जाते हैं। ग्लोबल अस्थमा नेटवर्क (GAN) के एक अध्ययन में पाया गया कि अस्थमा के गंभीर लक्षणों वाले लगभग 70 प्रतिशत लोगों के क्लिनिकल डायग्नोज में अस्थमा सामने नहीं आता है ।
क्या है अस्थमा और अस्थमा के लक्षण - Symptoms of Asthma
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण लगातार सर्दी और बुखार के कारण सांस की नली में सूजन आ जाती है। उस समय वायुमार्ग में सूजन आ जाती है और हमें सांस लेने और छोड़ने में कठिनाई होती है। इसे दमा कहते हैं। कई लोग शुरुआत में अस्थमा की समस्या को नजरअंदाज कर देते हैं। इससे धीरे-धीरे समस्या गंभीर होती जा रही है। वर्तमान जीवनशैली ने बच्चों में अस्थमा की घटनाओं में भी वृद्धि की है। हालांकि, बच्चों का अस्थमा समय के साथ ठीक हो जाता है। लेकिन अगर बच्चों को सांस लेने या छोड़ने में कठिनाई हो तो डॉक्टर से परामर्श करना हमेशा बेहतर होता है।
अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को क्या करना चाहिए? - What should a person suffering from asthma do?
डॉक्टर नितिन मुताबिक इन्हेलेशन थेरेपी अस्थमा के नियंत्रण करने की एक इफेक्टिव ट्रीटमेंट है। अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को दवा का ठीक से पालन करना चाहिए और हर समय एक नेबुलाइज़र और इनहेलर को संभाल कर रखना चाहिए। अस्थमा से पीड़ित लोगों को स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा ताजी हवा लेनी चाहिए। सबसे बढ़कर, अस्थमा के रोगियों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहना चाहिए ताकि वे किसी भी स्थिति से जल्द से जल्द निपट सकें। कई बार लोग इनहेलर ले जाना भूल जाते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए खतरा भी हो सकता है।
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