Ayurvedic Medicine Neeri KFT: किडनी को ठीक कर सकती है आयुर्वेदिक दवा Neeri KFT, रिसर्च में हुआ खुलासा

Ayurvedic Medicine Neeri KFT: शोधकर्ताओं ने बताया कि छह जीन- सीएएसपी, आईएल, एजीटीआर-1, एकेटी, एसीई-2 तथा एसओडी-1, किडनी की कार्यविधि को नियंत्रित करने में कारगर हैं। दूसरे शब्दों में, इन जीन से जुड़े प्रोटीन इस महत्वपूर्ण अंग के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में मदद करते हैं। इन अणुओं (मोलेक्यूल) में कोई भी बदलाव गुर्दे की संरचना को जटिल या क्षतिग्रस्त कर सकता है।

Ayurvedic Medicine Neeri KFT

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तस्वीर साभार : भाषा
Ayurvedic Medicine Neeri KFT: भारतीय पारंपरिक आयुर्वेद का एक फॉर्मूला नीरी केएफटी (Neeri KFT) गुर्दे (किडनी) की शिथिलता का कारण बनने वाले छह जीन स्वरूपों को नियंत्रित करने में प्रभावी पाया गया है। विश्व गुर्दा दिवस (नौ मार्च) से पहले किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ये बात कही है। जामिया हमदर्द के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) के शोधकर्ताओं ने पहली बार इन-सिलिको, इन-विट्रो और इन-विवो दृष्टिकोणों का उपयोग करके गुर्दे की शिथिलता से संबंधित जीन स्वरूपों के खिलाफ दवा (नीरी केएफटी) के ‘नेफ्रोप्रोटेक्टिव’ प्रभाव की जांच करने के लिए एक परीक्षण किया और सभी वर्गों में उत्साहजनक परिणाम सामने आए। हालांकि एमिल फार्मा द्वारा निर्मित यह आयुर्वेदिक दवा अपने चिकित्सकीय गुणों के लिए पहले से ही जानी जाती है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि छह जीन- सीएएसपी, आईएल, एजीटीआर-1, एकेटी, एसीई-2 तथा एसओडी-1, किडनी की कार्यविधि को नियंत्रित करने में कारगर हैं। दूसरे शब्दों में, इन जीन से जुड़े प्रोटीन इस महत्वपूर्ण अंग के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने में मदद करते हैं। इन अणुओं (मोलेक्यूल) में कोई भी बदलाव गुर्दे की संरचना को जटिल या क्षतिग्रस्त कर सकता है।
अध्ययन में पाया गया है कि गैलिक एसिड, कैफिक एसिड और फेरुलिक एसिड जैसे यौगिक नीरी केएफटी के प्रमुख घटक थे, जबकि नेटवर्क फार्माकोलॉजी विश्लेषण ने पॉलीफेनोल्स और किडनी रोग के पैथोफिजियोलॉजी में शामिल जीन के बीच एक मजबूत संपर्क का संकेत दिया। इसी तरह, इन-विवो अध्ययन में जैव-रासायनिक मार्कर्स और एंटीऑक्सिडेंट एंजाइम्स पर आयुर्वेदिक दवा का एक महत्वपूर्ण सुधारात्मक प्रभाव दिखा।
एमिल फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक डा. संचित शर्मा ने कहा कि गहन वैज्ञानिक अनुसंधान के बाद पुनर्नवा, गोखरू, वरुण, कासनी, मकोय, पलाश तथा गिलोय समेत 19 जड़ी-बूटियों के अर्क से नीरी केएफटी का निर्माण किया गया। जर्नल बायोमेडिसिन में प्रकाशित ये अध्ययन दुनिया के साथ-साथ देश में बढ़ रहे गुर्दे की बीमारियों वाले कई रोगियों के लिए आशा की किरण प्रदान करता है।
वास्तव में इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी की ओर से किए गए एक अखिल भारतीय अध्ययन के पहले चरण में पाया गया है कि मधुमेह और रक्तचाप से पीड़ित लोगों में से कम से कम 30 प्रतिशत दीर्घकालिक गुर्दा रोग से पीड़ित थे। ये एक ऐसी स्थिति है जिसके प्रारंभिक लक्षण विरल ही दिखते हैं और ये धीरे-धीरे गुर्दे की विफलता का कारण बनती है।
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