मम्मी ये क्या खिला रहे हो... गर्भ में ही शुरू हो जाते हैं खाने को लेकर बच्चे के नखरे, पसंद नहीं आने पर बनाने लगता है मुंह!
बच्चों के खाने में पसंद और नापसंद को लेकर अगर आप परेशान रहते हैं तो जान लें कि ऐसा वो मां के पेट में होने के समय से ही करते हैं। बच्चा गर्भ में होने पर भी खाने के मामले में अपनी चॉइस रखता है और पसंद ना आने पर मुंह भी बनाता है।
Babies Food Choice: इस बात से तो सभी वाकिफ है कि, मां गर्भावस्था के दौरान जो कुछ भी खाती या पीती है। उसका सीधा असर बच्चे की सेहत और विकास पर पड़ता है। दुर्हम यूनिवर्सिटी के फीटल एंड नियोनेटल रिसर्च लैब द्वारा करवाई गई एक स्टडी के मुताबिक ये सामने आया है कि, न केवल बच्चे को गर्भ के अंदर ही स्वाद और सुगंध की समझ हो जाती है। बल्कि वे इन चीजों के संदर्भ में फेशियल एक्सप्रेशन के माध्यम से अपनी अलग अलग प्रतिक्रिया भी देते हैं। करीब 100 से ज्यादा प्रेग्नेंट ब्रिटिश औरतों पर ये शोध किया गया था, जिसमें 4 डी अल्ट्रासाउंड के माध्यम से इस बात का पता लगाया गया।
क्या थी स्टडी
इस स्टडी में 18 से 40 साल की करीब 100 गर्भवति महिलाओं को शामिल किया गया था। ये सभी महिलाएं प्रेग्नेंसी के 32 वें से लेकर 36 वें हफ्ते के बीच में थी। इस शोध को 35 औरतों के ग्रुप से साथ दो चरणों में किया गया था। पहले चरण में औरतों को 400 मिलीग्राम के कैप्सूल खिलाए गए थे। ये कैप्सूल गाजर के पाउडर के थे। और वहीं दूसरे चरण में भी इसी तरह के कैप्सूल खिलाए गए थे। लेकिन इस बार ये कैप्सूल केल के पाउडर से युक्त थे। इन्हें स्केन के 20 मिनट पहले खिलाया गया था और स्केन के 60 मिनट के अंदर कुछ नहीं खाने की सलाह दी गई थी। जिसके बाद भ्रूण के रिएक्शन को रिकॉर्ड किया गया।
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स्टडी में पाई गई ये खास बातें
टेस्ट के परिणामस्वरूप पाया गया था कि, कैसे दोनों बार भ्रूण के चेहरे पर अलग अलग तरह के हाव भाव साफ नजर आए। जिन महिलाओं ने गाजर पाउडर वाले कैप्सूल खाए थे, उनके भ्रूण के चेहरे पर खुशी वाले भाव दिख रहे थे। जिससे ये पता चला कि कैसे गाजर के मीठे स्वाद ने भ्रूण के मूड को अच्छा कर दिया। वहीं जिन महिलाओं ने केल के पाउडर वाले कैप्सूल खाए थे। उनके भ्रूण के चेहरों पर उल्टे होंठ और तनी हुई भौहों के साथ रोते हुए भाव थे।
भ्रूण में स्वाद और सुगंध का पता एम्नियाटिक फ्लुइड के जरिए पता चलता है। और इसी के माध्यम से भ्रूण की शुरुआती क्षमताओं और पैदा होने के बाद के फूड प्रेफरेंसेस का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। जिसका इस्तेमाल बच्चों का दूध छुड़ाने के समय पर किया जा सकता है। साथ ही ये इस बात का भी सबूत देता है कि कैसे आप गर्भावस्था के समय से ही बच्चों में अच्छे हेल्दी खाने को बढ़ावा दे सकते हैं।
इसी तरह का एक शोध पहले भी किया गया था, जिसमें सिगरेट या शराब पीने वाली, स्ट्रेस लेने वाली, डिप्रेशन तथा एंग्जाइटी का शिकार रही मांओ के बच्चों पर इनका नकारात्मक असर देखने को मिला था। सिगरेट पीने वाली महिलाओं के बच्चों में जन्म के बाद स्पीच प्रोसेसिंग क्षमता आम से थोड़ी धीमी देखी गई थी।
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मेधा चावला author
हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें
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