शादी के 10 साल बाद Premature Delivery से मां बनी बालिका वधु फेम Neha Marda, देखें एसे जन्म का कारण और बेबी पर इसके असर
Causes of Premature Delivery (प्रीमैच्योर डिलीवरी के कारण क्या हैं): मां बनने का एहसास हर महिला के लिए बहुत खास होता है, लेकिन इन दिनों कई कारणों से औरतों को गर्भवती होने और गर्भ धारण के बाद हेल्दी बच्चे को जन्म देने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। जाने आखिर प्रीमैच्योर डिलीवरी के पीछे क्या कारण होते हैं और इससे बेबी पर कैसा असर होता है।
Neha marda gives birth to premature baby girl see what causes premature delivery and its side effect on baby
What causes
हाल ही में बालिका वधु फेम 37 साल की एक्ट्रेस नेहा मर्दा (Neha Marda) ने भी एक प्रीमैच्योर बेबी गर्ल को जन्म दिया है। नेहा और उनके पति आयुष्मान के घर शादी के दस साल बाद नन्ही परी का आगमन हुआ। नेहा की प्रीमैच्योर बेबी को जन्म के लगभग 3 हफ्तों तक अस्पताल में रखना पड़ा था, ताकि उसे जरूरत अनुसार प्रोटीन और उपयुक्त ट्रीटमेंट (Complications of preterm delivery) प्रदान किया जा सके। प्रीमैच्योर डिलीवरी के केसेस इन दिनों बहुत आम है, इसलिए गर्भावस्था में प्रेगनेंट महिलाओं का सही ढंग से ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होता है। ध्यान न रखने पर मां और बच्चे दोनों की सेहत पर खराब असर हो सकता है। प्रीमैच्योर डिलीवरी के पीछे कारण (Effects of premature birth on baby) कोई भी इससे बच्चे की सेहत कई तरह के बुरे असर होते हैं, यहां देखें ऐसा जन्म होने का कारण क्या है और इससे बेबी की सेहत कैसी रहती है।
Reasons of Premature Delivery , प्रीमैच्योर डिलीवरी क्यों होती है?
वैसे तो प्रीमैच्योर डिलीवरी होने के पीछे कई सारे इंटरनल एवं एक्सटर्नल कारण हो सकते हैं। वहीं हर महिला में अलग अलग कारण होने की वजह से इसके एक निश्चित या सभी मुख्य कारणों का पता नहीं लगाया जा सका है। कारण कुछ भी हो लेकिन ड्यू डेट से पहले ही प्रीटर्म डिलीवरी होने से बेशक बच्चे की सेहत पर बहुत नकारात्मक असर होता है। यहां देखें गर्भावस्था के 9 महीने पूरे होने से पहले जन्म देने के पीछे आमतौर पर क्या कारण होते हैं -
हाई ब्लड प्रेशर
गर्भवति मां को अगर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो बहुत हद तक संभावना होती है कि बेबी की प्रीमैच्योर डिलीवरी हो सकती है। ब्लड प्रेशर के साथ साथ डायबिटीज जैसी क्रॉनिक बीमारी भी प्रीटर्म डिलीवरी का रिस्क बढ़ा देती है।
यूट्रस, सर्विक्स, प्लासेंटा की दिक्कत
अगर जन्म देने वाली मां को पहले से ही यूट्रस यानी बच्चा दानी, सर्विक्स, और प्लासेंटा जैसी हिस्सों में किसी तरह की कोई दिक्कत या बीमारी है। तो ऐसी स्थिति में भी बेबी के ड्यू डेट से पहले ही पैदा हो जाने का खतरा रहता है।
खराब आदतें
अगर आप प्रेगनेंसी में शराब, धुम्रपान आदि जैसा किसी प्रकार का नशा करती हैं, तो इन बुरी आदतों के कारण भी आपके बच्चे की सेहत बहुत ज्यादा खराब हो सकती है। तथा आपको प्रीटर्म डिलीवरी के दर्द और तकलीफ से गुजरना पड़ सकता है।
दो प्रेगनेंसी में कम अंतर
अगर आप मात्र 18 हफ्तो से कम के समय में दोबारा प्रेगनेंट हो जाती हैं, तो इस वजह से भी आपके बेबी का प्रीमैच्योर बर्थ हो सकता है। इसलिए दोनों बच्चों में 18 हफ्तो से ज्यादा का अंतर रखना अत्यधिक आवश्यक है। इससे प्रीमैच्योर डिलीवरी के साथ इंटिमेट एरिया में इंफेक्शन का रिस्क भी हो सकता है।
बढ़ती उम्र
उम्र के साथ आपके शरीर की ताकत कम हो जाती है, ऐसे में बच्चा दानी की भी बेबी होल्ड करने की क्षमता बढ़ती उम्र के साथ बहुत कम हो जाती है। 30 से 34 साल की महिलाओं में प्रीमैच्योर डिलीवरी का रिस्क बढ़ने लगता है। वहीं 35 से 40 साल की महिलाओं की एडवांस्ड मैटरनल आयू में प्रीटर्म बर्थ का रिस्क सबसे अधिक होता है।
तनाव
कुछ मामलों में प्रेगनेंसी का जुड़ाव मानसिक दिक्कतों से भी हो जाता है। प्रेगनेंट महिलाएं अक्सर बेबी को लेकर काफी चिंतित हो जाती हैं, जिस वजह से उनके शरीर पर मानसिक दबाव पड़ता है। और इसी दबाव का सीधा असर कोख में पल रहे बच्चे की सेहत, दिमाग और विकास पर पड़ता है।
अबॉर्शन, मिसकैरेज, मां का अत्यधिक या जरूरत से कम वजन होना, इंफेक्शन, थायरॉइड, बांझपन या कोई बीमारी आदि मां न बन पाने या प्रीमैच्योर डिलीवरी के पीछे का कारण हो सकता है।
Effects of premature delivery on kids, प्रीमैच्योर बच्चे को क्या दिक्कत होती है?
- सांस लेने में दिक्कत
- दिल से जुड़ी कोई बीमारी
- दिमाग की कमजोरी या अन्य मानसिक समस्या
- गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम
- खून से जुड़ी समस्या
- सुनने की क्षमता में कमी
- कमज़ोर आंखे
- बिहेवियर या साइकोलॉजी से संबंधित दिक्कत
- इम्यून सिस्टम की परेशानी
बच्चे की हेल्थ और प्रीमैच्योर डिलीवरी से बचाव करने के लिए प्रेगनेंसी सही तरीके से प्लान करना अथवा मां का खूब ख्याल रखना बहुत जरूरी है। समय समय पर डॉक्टर से परामर्श लेते रहें और खान पान तथा जीवनशैली के साथ ज़रा भी समझौता न करें। हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि, आप दिन भर बैठे रहे या खुदको बीमार महसुस करें। अपनी क्षमता और जरूरत के हिसाब वाले काम पर ज्यादा ध्यान दें और खुश रहें।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर ट्रेनी कॉपी राइटर कार्यरत हूं। मूल रूप से मध्य प्रदेश के उज्जैन की रहने वाली लड़की, जिसे कविताएं लिखना, महिलाओं से ज...और देखें
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