Blue baby Syndrome causes: क्या होता है ब्लू बेबी सिंड्रोम, जिसमें बच्चों का शरीर नीला पड़ने लगता है - जाने कारण और इलाज

Blue Baby Syndrome (क्यों होता है ब्लू बेबी सिंड्रोम): ब्लू बेबी सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जिसमें बच्चों के शरीर का रंग नीला पड़ने लगता है। ऐसा जन्म के बाद से हो सकता है, यहां देखें आखिर क्या होता है ब्लू बेबी सिंड्रोम, ब्लू बेबी सिंड्रोम की कारणों की वजह से होता है और इसके लक्षण व इलाज क्या है।

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Blue Baby syndrome is caused by Symptoms of Blue Baby: ब्लू बेबी सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी या विकार है जिसमें बच्चों के शरीर या स्किन का रंग ऑक्सीजन की कमी के कारण धीरे धीरे नीला पड़ने लगता है। छोटे नवजात बच्चों में ये बीमारी जन्म के कुछ समय के बाद से ही शुरु हो जाती है। त्वचा का रंग नीला पड़ने को साइनोसिस कहते हैं, बता दें कि अगर किसी बच्चे को इस तरह की स्थिति से जुझना पड़ रहा है। तो आमतौर पर उसके होंठ, कान के लोब्स और नाखुन के बड्स प्रभावित होते हैं। वैसे तो बहुत ही कम बच्चों में ऐसी स्थिति देखने को मिलती है, हालांकि इसके पीछे का कारण दिल का कोई विकार, प्रदूषण, पर्यावरण और जेनेटिक कारक भी हो सकता है। यहां देखें ब्लू बेबी सिंड्रोम के कारण क्या है और इसके लक्षण समझ कैसे इलाज कर सकते हैं।

क्या होता है ब्लू बेबी सिंड्रोम, What is Blue Baby Syndrome

ब्लू बेबी सिंड्रोम में बच्चे के शरीर में होने वाली ऐसी बीमारी है जिसमें बेबी के शरीर और दिल में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न पहुंच पाने के कारण बच्चा नीला पड़ जाता है। ब्लू बेबी सिंड्रोम में बच्चे के शरीर से ऑक्सीजन की मात्रा कम और नाइट्रेट जैसे हानिकारक अणुओं की मात्रा बढ़ने लगती है। और खुन में जब ऑक्सीजन और हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है, तो बच्चे की स्किन धीरे धीरे ब्लू कलर की होने लगती है।

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नाइट्रेट इनटेक

अगर बच्चे ने दूध, पानी या खाने में नाइट्रेट का सेवन कर लिया है, तो उसके शरीर में नाइट्रेट जाकर नाइट्राइट में जाकर बदल जाते हैं और शरीर में नाइट्रेट बढ़ने के कारण और ऑक्सीजन कम होने के कारण बच्चे के शरीर का रंग नीला पड़ने लगता है। ऐसा कुएं का पानी पीने के कारण हो सकता है, क्योंकि उसमें अत्यधिक मात्रा में नाइट्रेट होता है।

जन्मजात विकार

बच्चे के शरीर के नीले पड़ने के पीछे टीओएफ फैलोट जैसी गंभीर जन्मजात बीमारी भी हो सकती है। इस जन्मजात ह्रदय रोग में कुछ असमानताओं की वजह से खुन में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इन असमानताओं में पलमोनरी आर्टरी का पतला होना, वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट, एरोटा का ऊपर आ जाना या फिर दाहिने वेंट्रिकल का बड़ा हो जाना शामिल हो सकते हैं।

फेफडों की दिक्कत

जन्म के समय से अगर बेबी के दिल में किसी प्रकार की कोई असमानता है, तो उस कारण दिल, फेफड़ों या खून में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे बेबी का रंग नीला पड़ने लगता है।

इसी के साथ साथ ब्लू बेबी सिंड्रोम के पीछे के अन्य कारणों में इनहेल्ड नाइट्रिक ऑक्साइड, किसी प्रकार की हानिकारक एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल, अल्सर, गैस्ट्रिटिस, किडनी फेल्योर या फिर दिल से जुड़ा कोई और डिफेक्ट शामिल है। वहीं अगर आप वेस्ट डंप या खुले शौचालयों के आस पास रहते हैं तो भी इस बीमारी के होने का रिस्क बहुत हद तक बढ़ जाता है।

लक्षण और इलाज क्या है, Symptoms of Blue Baby Syndrome

ब्लू बेबी सिंड्रोम में लक्षणों में ये चीजे शामिल हैं, जिन्हे नजरअंदाज करने की गलती बिल्कुल न करें -

  • सांस की दिक्कत
  • सायनोसिस
  • सिरदर्द
  • थकान
  • एक्सरसाइज करने में परेशानी
  • चक्कर आना
  • बेहोशी
  • चिड़चिड़ापन
  • सुस्ती

इस बीमारी का इलाज डॉक्टर्स द्वारा किए गए टेस्ट्स के बाद ही संभव है। इसके इलाज में आमतौर पर सबसे पहले नाइट्रेट प्वाइजनिंग की दवा दी जाती है और रोकने के उपाय बताए जाते हैं। हालांकि घर पर अपने आप इस स्थिति का इलाज करने का प्रयास न करें।

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