World TB Day 2023: जननांग टीबी या जेनिटल ट्यूबरकुलोसिस (Genital tuberculosis) टीबी महिला जननांगों को प्रभावित करता है। यह महिलाओं में बांझपन का कारण बन सकता है; क्योंकि यह फैलोपियन ट्यूब (Fallopian tubes), गर्भाशय ग्रीवा (Cervix), अंडाशय (Ovaries), गर्भाशय (Uterus) या योनि (Vagina) को प्रभावित कर सकता है।
Genital Tuberculosis: क्या टीबी इनफर्टिलिटी या प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लिकेशन का कारण बन सकती है? (Image: istockphoto)
Female genital tuberculosis: टीबी का नाम सुनते ही कई लोगों के पैरों तले जमीन खिसक जाती है। टीवी फेफड़ों की बीमारी है लेकिन यह पूरा सच नहीं है। जेनिटल ट्यूबरक्लोसिस (Genital tuberculosis) तब होती है जब फेफड़ों से माइकोबैक्टीरियम प्रजनन पथ या प्रजनन प्रणाली के किसी भी हिस्से में पहुंच जाता है। महिलाओं में यह रोग बांझपन का कारण बन सकता है।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल BLK के चेस्ट एवं रेस्पिरेटरी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर संदीप नायर ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में बताया कि महिलाओं में जेनिटल ट्यूबरक्लोसिस एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है। जो महिलाओं की फर्टिलिटी में होता है और यह महिलाओं में बांझपन से जुड़ा होता है। खास बात यह है कि इस बीमारी के शुरुआती लक्षण नहीं होते हैं। सबसे आम कारण माइकोबैक्टीरियम का फेफड़ों के माध्यम से प्रजनन मार्ग में प्रवेश करना है।
गर्भाशय का टीबी सबसे पहले फैलोपियन ट्यूब में होता है, जहां यह ट्यूब को अवरुद्ध कर सकता है या गर्भाशय और अंडाशय में फैल सकता है। कुछ दुर्लभ मामलों में, रोग गर्भाशय ग्रीवा और योनी तक पहुंच जाता है। गर्भाशय की टीबी को जेनिटल टीबी भी कहा जाता है। जननांग तपेदिक भारत में बांझपन का एक प्रमुख कारण है। जिसमें यह बीमारी बिना किसी लक्षण के 10 से 20 साल तक रहती है। डॉक्टरों को बांझपन की जांच के बाद इस बीमारी के बारे में जानकारी मिलती है। महत्वपूर्ण रूप से फैलोपियन ट्यूब प्रभावित होती हैं। इसके बाद 50% एंडोमेट्रियम, 20% अंडाशय, 5% गर्भाशय ग्रीवा और 1% से कम महिलाएं योनि और पल्मोनरी टीबी से प्रभावित होती हैं।
डॉक्टर संदीप ने बताया कि इस बीमारी में फैलोपियन ट्यूब पर टीबी के संक्रमण के कारण शुक्राणु फर्टाइल नहीं हो पाता है और ट्यूब के माध्यम से गर्भाशय में पहुंच जाता है। इसलिए महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है। इसी तरह टीबी के ये कीटाणु गर्भाशय की परत को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, फर्टाइल एग गर्भाशय की परत पर इम्पोज नहीं होता है। जाहिर है इससे गर्भधारण नहीं हो सकता। ओवेरियन संक्रमण अंडे की गुणवत्ता को कम कर देता है। इसी तरह गर्भाशय ग्रीवा, योनि और बाहरी जननांग का संक्रमण भी गर्भधारण की संभावना को कम कर देता है।
फैलोपियन ट्यूब का संक्रमण भी गर्भाशय में फैल जाता है और इसकी गुहा की परत (Cavity lining) को नुकसान पहुंचाता है। इससे कभी-कभी मासिक धर्म की समस्या हो सकती है। जेनिटल ट्यूबरक्लोसिस में महिलाओं में इनफर्टिलिटी की संभवना बढ़ जाती है। इसलिए 50 से 60 फीसदी महिलाएं इसी वजह से डॉक्टरी मदद लेती हैं। वास्तव में चूंकि इस टीबी के कोई अन्य लक्षण नहीं हैं, इस रोग का निदान अचानक होता है। जेनिटल ट्यूबरक्लोसिस (Genital tuberculosis) का शायद ही कभी परीक्षण द्वारा निदान किया जाता है। हालांकि, अल्ट्रासाउंड और हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राफी जैसे इमेजिंग TB के जरिये डायग्नोज किया जा सकता है। इसके अलावा, लैप्रोस्कोपी और टिशू कल्चर टीबी के डायग्नोज के लिए मानक तरीके हैं। समय पर इलाज से क्षय रोग पर काबू पाया जा सकता है। टीबी महिलाओं में प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। इसके लिए गर्भधारण से पहले फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से सलाह लें।
डॉक्टर संदीप ने बताया कि जेनिटल ट्यूबरक्लोसिस के लक्षणों की बात करें तो इनमें शारीरिक संबंध बनाने के दौरान बेचैनी, मासिक धर्म के दौरान बेचैनी, एब्डोमिनल एरिया में बेचैनी शामिल हैं। इसके साथ ही पेट के निचले हिस्से में बेचैनी, बेचैनी और कमर दर्द होने लगता है। कुछ लोगों में जिस क्षेत्र में टीबी विकसित होता है, त्वचा, जननांगों, गर्भाशय ग्रीवा या योनि पर फफोले दिखाई पड़ सकते हैं। ऐसे में महिला के स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करने की संभावना बहुत कम होती है।
डॉक्टर संदीप के मुताबिक गर्भवस्था के दौरान टीबी का होना काफी चुनौती भरा होता है; क्योंकि उस दौरान एक्स-रे नहीं कराया जा सकता है। इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर नुकसान पहुंच सकता है। यदि किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान टीबी है, तो उसे पहले जांच करानी चाहिए। यदि टीबी का इलाज नहीं किया जाता है, तो बच्चे का वजन कम हो सकता है या जन्म के समय उसे टीबी हो सकती है। इससे मां का स्ट्रेस लेवल काफी बढ़ सकता है। उपचार से पहले सही स्थिति को समझना महत्वपूर्ण है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि किसी महिला को टीबी है तो वह प्रेग्नेंसी को अवॉयड करने की कोशिश करें. लेकिन अगर कोई प्रेग्नेंट है और तब टीबी है तो उस दौरान परेशान न हों; क्योंकि इस दौरान दी जाने वाली दवाएं बिलकुल सुरक्षित हैं। यदि किसी गर्भवती महिला में कई ऐसे लक्षण होते हैं जैसे, खांसी, सांस की दिक्कत, बुखार जैसी समस्या है तो डॉक्टर से इस बारे में जरुर चर्चा करें। साथ ही टीबी से पीड़ित महिलाएं डिलीवरी के बाद बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग करवा सकती है; बस मास्क लगायें और थोड़ी सावधानी अवश्य बरतें।
डॉक्टर संदीप के मुताबिक जितनी जल्दी जेनिटल ट्यूबरक्लोसिस को डायग्नोज कर इसका ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जाये और शुरू में कंट्रोल कर लेते हैं तो टीबी पूरी तरह से ट्रीट हो जाता है, नहीं तो महिला में बांझपन की संभवना बढ़ जाती है। अधिक देरी होने पर धीरे-धीरे जिस तरह से यह यूट्रस को इफ़ेक्ट करता, आसपास फाइब्रोसिस हो जाता है; इसमें महिला अगर प्रेग्नेंट हो भी जाती है तो बच्चा नहीं ठहरता है।
जननांग टीबी के कारण महिला गर्भपात बहुत कम देखा जाता है। टीबी की गंभीर प्रसूति संबंधी जटिलताओं में से एक गर्भपात है। क्योंकि तनाव भी इस बीमारी का एक अहम कारण हो सकता है।
बता दें कि कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जेनिटल टीबी से पीड़ित महिला मातृत्व का अनुभव नहीं कर सकती। साथ ही इलाज के साथ इसकी संभावना भी कम होती है। लेकिन आप आईवीएफ (IVF Treatment in Hindi) जैसे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की मदद ले सकती हैं। एनसीबीआई के अनुसार, जेनिटल टीबी महिला बांझपन का प्रमुख कारण है। आम तौर पर, संक्रमण की प्रकृति और डायग्नोस्टिक चुनौतियां इसके उपचार में कई कठिनाइयां पेश करती हैं।