मौसम की मार: प्रदूषण और मौसम से बिगड़ रही बच्चों की सेहत, निमोनिया के मामले बढ़े
सर्दी, प्रदूषण बढ़ने की वजह से बच्चे निमोनिया की चपेट में भी आ रहे हैं। जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगाई गई है उन्हें अधिक खतरा है। पीडियाट्रिशियन डॉ. डीके गुप्ता का कहना है कि ओपीडी में बच्चे निमोनिया से ग्रस्त मिल रहे हैं। निमोनिया के लक्षणों को समय से पहचान कर इलाज शुरू कर बच्चों का बचाव कर सकते है।
प्रदूषण और मौसम से बिगड़ रही बच्चों की सेहत।
तस्वीर साभार : IANS
बच्चे हो, बूढ़े हो या जवान, इस बार सब की सेहत हो रही है खराब। इस बार अगर बच्चों को सर्दी जुकाम (Cold and Cough) हो रहा है तो वह ठीक होने का नाम ही नहीं ले रहा है। चाहे जितनी दवाई (Medicine) आप करवा लें और सबसे बड़ी बात है कि डॉक्टर (Doctor) भी इस बात से हैरान हैं कि बच्चों को हुआ वायरल फीवर (Viral Fever) या सर्दी जुखाम जो महज 3 से 5 दिनों के अंदर ठीक हो जाए करता था, वह लंबे समय तक बना हुआ है। बढ़ते प्रदूषण (Pollution ) के चलते लोग लंबे समय तक बीमार पड़ रहे हैं। अस्पताल में पहुंचने वाले लोगों की संख्या भी करीब 15 प्रतिशत तक बढ़ गई है जिनको इस प्रदूषण से सांस लेने में दिक्कत हो रही है और तरह-तरह की बीमारियों का लोग सामना कर रहे हैं।
नोएडा के सेक्टर 93 में रहने वाली वैष्णवी ने बताया कि उनके 7 साल का बेटा काफी बीमार रहने लगा है। पहले उसे सर्दी खांसी जुखाम होता था तो जल्दी ठीक हो जाता था। लेकिन अब महीनों से उसे दिक्कत बनी हुई है कई डॉक्टर को दिखाया है लगातार दवाई दी है लेकिन इसका कोई खास असर होता दिखाई नहीं दे रहा है बच्चे को सांस लेने में दिक्कत, सर्दी और जुकाम लगातार बना हुआ है। जिससे पैरेंट्स को काफी प्रॉब्लम हो रही है। बच्चे को स्कूल में भेजना जरूरी है उसे रोककर नहीं रख सकते।
प्रदूषण और मौसम से बिगड़ रही बच्चों की सेहत
सर्दी, प्रदूषण बढ़ने की वजह से बच्चे निमोनिया की चपेट में भी आ रहे हैं। जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगाई गई है उन्हें अधिक खतरा है। पीडियाट्रिशियन डॉ. डीके गुप्ता का कहना है कि ओपीडी में बच्चे निमोनिया से ग्रस्त मिल रहे हैं। निमोनिया के लक्षणों को समय से पहचान कर इलाज शुरू कर बच्चों का बचाव कर सकते है। इस मौसम में बच्चों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। सर्दी में बच्चों को निमोनिया का खतरा अधिक होता है। बच्चों को ठंड से बचाना चाहिए। उन्हें पूरे कपड़े पहना कर रखें। कान ढककर रखें, सर्दी से बचाएं। बच्चों में तेज सांस लेना, सीने में घरघराहट आदि भी निमोनिया का संकेत हो सकते हैं।
पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने तथा दूध पीने में भी दिक्कत होती है। जबकि खसरा एक अत्यधिक संक्रामक रोग है जो खसरा वायरस के कारण होता है। बुखार और चकत्ते के अलावा कान में संक्रमण, दस्त और निमोनिया जैसी विभिन्न बीमारियां होने संभावना रहती है। खसरे से बचाव के लिए टीकाकरण अत्यधिक प्रभावी है।
संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने पर हवा में बूंदें फैलती हैं। नतीजतन, जब अन्य लोग उन्हें सांस लेते हैं, तो वे संक्रमित हो सकते हैं। कोरोना काल नियमित टीकाकरण प्रभावित रहा है। इसकी वजह से बच्चे वैक्सीन का पूरा कोर्स नहीं कर पाए हैं। इसलिए जरूरी है कि बच्चों का समय से टीकाकरण कराएं। फेफड़ों का संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस एवं फंगल संक्रमण से होता है। जुकाम एक तरह की एलर्जी है, जिसके कारण नाक बहना और गले से बलगम है। जब हमारे श्वसन तंत्र के साथ पस और पानी का मिश्रण बनना इंफेक्शन निमोनिया का संकेत है।
निमोनिया से बचने का सबसे अधिक और बेस्ट तरीका है टीकाकरण। न्यूमोकॉकल वैक्सीन, पीसीवी 13, हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप बी, यह वैक्सीन आपको बैक्टेरियल निमोनिया से बचा सकती हैं। इसके सात ही साबुन या हैंडवॉश से नियमित रूप से कई बार हाथों को धोते रहें। निमोनिया संक्रमित लोगों की ड्रॉपलेट से फैलता है इसलिए आप ऐसे लोगों से फेस टू फेस संपर्क न करें। खांसते और छींकते समय मुंह को ढंक लेना चाहिए। आप अपनी कोहनी पर छींक कर खुद के हाथों को संक्रमित करने से बच सकते हैं।
ये हैं निमोनिया के लक्षण:-
- छाती में दर्द, खासकर जब आप सांस लेते हैं या खांसते हैं
- कफ या बलगम पैदा करने वाली खांसी; बलगम पीले, हरे, यहां तक कि
- खून के रंग जैसे अलग-अलग हो सकते हैं
- अत्यधिक थकान
- भूख में कमी
- बुखार
- पसीना और ठंड लगना
- जी मचलाना और उल्टी
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