New Study: घर-घर में फैल रहा जुकाम, अगर नाक साफ नहीं कर रहे हैं तो हो सकते हैं अल्जाइमर-डिमेंशिया के शिकार

New Study: ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में ग्रिफिथ विश्वविद्यालय की स्टडी में चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। इस स्टडी के अनुसार हमारी रोजमर्रा की कुछ आदतें हमें भविष्य के लिए बड़े खतरे में डाल सकती हैं। इनमें से एक आदत है नाक साफ न करना और दूसरी है नाक के बालों की वैक्सिंग करवाना। इन दोनों ही आदतों के कारण खतरनाक बैक्टीरिया हमारे ब्रेन में चले जाते हैं।

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ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में ग्रिफिथ विश्वविद्यालय की स्टडी में खुलासा

मुख्य बातें
  • ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में ग्रिफिथ विश्वविद्यालय की स्टडी में खुलासा
  • नाक के बालों को हटवाना भी हो सकता है खतरनाक
  • नाक साफ न करने से दिमाग तक पहुंच जाते हैं बैक्टीरिया

इन दिनों घर-घर में खांसी-जुकाम से पीड़ित लोग हैं। बदलते मौसम, पॉल्यूशन ने इसमें और इजाफा कर दिया है। पहले जो जुकाम पांच से सात दिन में ठीक हो जाता था, वो अब दस दिन में भी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पा रहा है। इस बीच ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में ग्रिफिथ विश्वविद्यालय की एक चौका देने वाली स्टडी सामने आई है। इस स्टडी के अनुसार जो लोग समय-समय पर नाक साफ नहीं करते वे मस्तिष्क से जुड़ी गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। इन बीमारियों में अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों के नाम शामिल हैं।

इसी के साथ विशेषज्ञों ने चेताया है कि आजकल नाक के बाल हटाने यानी नाक के बालों की वैक्सिंग का जो ट्रेंड चल रहा है वो भी बेहद खतरनाक है। इसके सिर्फ नुकसान ही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लाइफस्टाइल से जुड़ी ये दोनों ही आदतें मस्तिष्क के लिए खतरा हैं। ऐसा करने से बैक्टीरिया नाक के रास्ते मस्तिष्क यानी ब्रेन में प्रवेश कर जाते हैं और धीरे-धीरे हमें बीमारी घेर लेती है।

यूके में साढ़े आठ लाख से ज्यादा पीड़ित

स्टडी में ये भी सामने आया है कि, यूके में 65 साल की कम उम्र के लोग भी अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। अकेले यूके में ऐसे लोगों की संख्या 42 हजार से ज्यादा है। वहीं 80 साल से अधिक उम्र वाले छह में से एक शख्स इस रोग का शिकार है। अगर हर उम्र की बात करें तो अकेले यूके में अल्जाइमर और डिमेंशिया से पीड़ितों की संख्या साढ़े आठ लाख से ज्यादा है।

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बैक्टीरिया क्लैमाइडिया न्यूमोनिया खोजते हैं रास्ता

विशेषज्ञों के अनुसार, बैक्टीरिया क्लैमाइडिया न्यूमोनिया ब्रेन में पहुंचने के लिए नाक को एक रास्ते के रूप में काम में लेता है। ये उसके लिए सबसे आसान तरीका है ब्रेन तक पहुंचने का। जब हम नाक को बाहर छोड़ने की जगह उसे फिर से शरीर के अंदर खींचते हैं तो ये बैक्टीरिया दिमाग में चले जाते हैं। ठीक ऐसे ही जब हम नाक के बाल हटवा लेते हैं तो बैक्टीरिया के लिए रास्ता एकदम साफ हो जाता है। ऐसे में जरूरत है कि, हम अपनी आदतों को बदलें। आपको बता दें, अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों में इंसान हर बात भूलने लगता है। उसकी याददाश्त बहुत कमजोर हो जाती है।

(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)

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