खांसी है कि जाती नहीं, 10 प्वाइंट्स के जरिए समझें वजह
इस समय देश के अलग अलग हिस्सों से एक जैसी खबर है कि खांसी है कि जा नहीं रही। इससे पहले भी खांसी आती थी। लेकिन दो से तीन के बाद ठीक हो जाती थी। अब सवाल यह है कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है।
करीब करीब सभी घरों में लोग खांसी से परेशान
cough reasons: आपने गौर किया होगा कि खुद के घर में किसी ना किसी को खांसी आ रही है, लेकिन जा नहीं आ रही। अमूमन वायरल फीवर चार से पांच दिन तक रहता है और उसमें कुछ लोग कफ की शिकायत करते हैं। लेकिन इस समय जो खांसी की गिरफ्त में आ रहा है उसे ठीक होने में कम से कम 15 दिन समय लग रहा है। यह तस्वीर देश के किसी खास इलाके की नहीं है। करीब करीब देश के सभी हिस्सों से इस तरह की खबर है। अब सवाल यह है कि क्या इसके पीछे कोविड का साइड इफेक्ट तो नहीं या कोई और वायरस है। डॉक्टरों के मुताबिक देश के कई हिस्सों में इंफ्लुएंजा का प्रकोप है और इसके लिए इंफ्लुएंजा ए सबटाइप H3N2 वायरस जिम्मेदार है।संबंधित खबरें
10 प्वांइट्स में समझें वजह
- इस समय पूरे देश में बुखार और फ्लू के बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने कहा है कि यह इन्फ्लुएंजा ए उपप्रकार एच3एन2 वायरस के कारण है।
- H3N2 वायरस अन्य उपप्रकारों की तुलना में अधिक अस्पताल में भर्ती होने की वजह बनता है। जानकारों का कहना है कि पिछले दो-तीन महीनों से भारत के सभी हिस्सों में एक ही जैसी परेशानी देखी गई है।
- आमतौर पर बुखार के साथ लगातार खांसी है। हाल के मामलों में बहुत सारे रोगी लंबे समय तक लक्षणों की शिकायत कर रहे हैं।
- संक्रमण ठीक होने में समय ले रहा है। लक्षण मजबूत हैं। रोगी के ठीक होने के बाद भी लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं।
- विशेषज्ञों का कहना है कि H3N2 वायरस अन्य इन्फ्लूएंजा उपप्रकारों की तुलना में अधिक अस्पताल में भर्ती होने की वजह है।
- डॉ. अतीश आनंद का कहना है कि इन्फ्लूएंजा का नया स्ट्रेन जानलेवा नहीं है। कुछ मरीजों को सांस की समस्या के कारण भर्ती होना पड़ा। कुछ लक्षण कोविड जैसे ही हैं, लेकिन सभी मरीजो का टेस्ट निगेटिव है।
- ICMR ने लोगों को वायरस को अनुबंधित करने से बचाने के लिए क्या करें और क्या न करें की एक सूची भी सुझाई है।
- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने देश भर में खांसी जुकाम और मतली के बढ़ते मामलों के बीच एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग के खिलाफ सलाह दी है।
- एसोसिएशन ने डॉक्टरों से केवल रोग के हिसाब से उपचार लिखने के लिये कहा है एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल कम करने की सलाह दी है।
- हमने पहले ही कोविड के दौरान एजिथ्रोमाइसिन और इवरमेक्टिन का व्यापक उपयोग देखा है और इससे भी प्रतिरोध हुआ है। एंटीबायोटिक दवाओं को निर्धारित करने से पहले यह पता लगाना आवश्यक है कि संक्रमण जीवाणु है या नहीं।
इन लक्षणों को नजरंदाज ना करें
संक्रमण से सूजन कई लक्षण पैदा कर सकती है, जिसमें गले में खराश, नाक बहना, नाक बंद होना, छींकना और खांसी शामिल है।बहती नाक इसलिए होती है क्योंकि हिस्टामाइन नामक एक रसायन आपके रक्त वाहिकाओं को अधिक रिसता है। आपकी गाँठ साफ और बहने लगती है। समय के साथ यह गाढ़ा होने लगेगा।जैसे-जैसे आपकी प्रतिरक्षा कोशिकाएं संक्रमण से लड़ती हैं, कुछ श्वेत रक्त कोशिकाएं मर जाएंगी, स्नोट का रंग बदल जाएगा। जैसे ही प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उच्च गियर में आती है, न्यूट्रोफिल नामक श्वेत रक्त कोशिकाएं एक संक्रमण से लड़ने वाले रसायन (मायलोपरोक्सीडेज) का उत्पादन करती हैं जिसका रंग हरा होता है।संबंधित खबरें
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ललित राय author
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