Delhi NCR Pollution: दिल्ली के प्रदूषण से बचने के लिए फॉलो करें ये टिप्स, अस्थमा के मरीज इन बातों का रखें ध्यान

Delhi NCR Pollution Tips: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के कारण सांस की तकलीफ, स्ट्रोक, आंखों में जलन जैसी समस्या लगातार सामने आ रही है। प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए आप कुछ टिप्स को फॉलो कर सकते हैं। अस्थमा के मरीज इन दिनों कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। जानिए ये टिप्स।

Health-Hazards

Delhi Pollution

मुख्य बातें
  • दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है।
  • प्रदूषण के कारण कई गंभीर बीमारी का खतरा भी बढ़ गया है।
  • प्रदूषण में अस्थमा के मरीजों को ज्यादा सावधानी बरतनी होगी।

Delhi NCR Pollution Health Tips: दिल्ली एनसीआर की आबोहवा (Delhi NCR Pollution) लगातार बद से बदतर हो रही है। दिल्ली में बुधवार को AQI 374 दर्ज (Delhi AQI) किया गया। वहीं, नोएडा में ये 469 (Noida AQI) है। ये दोनों ही बहुत ही खराब श्रेणी में आता है। इस कारण आंखों और गलों में जलन, सूजन, लगातार पानी आपना, आंखों में सूखापन, सांस लेने में में तकलीफ, अस्थमा और स्ट्रोक जैसी समस्या सामने आ रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक दिल्ली एनसीआर के इस प्रदूषण से लंबे वक्त तक होने वाली स्वास्थय संबंधित समस्याओं का भी खतरा है।

डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स के मुताबिक प्रदूषण से बचने के लिए एन 95 रेटिंग वाले मास्क का प्रयोग करना चाहिए। वहीं, कुछ दिन के लिए सुबह और शाम की सैर पर न जाएं। हालांकि, आप अच्छे वेंटिलेटेड जिम या फिर घर के अंदर एक्सरसाइज को जारी रख सकते हैं। इसके अलावा बहुत जरूरी हो तभी आप बाहर निकलें। घर के अंदर अच्छी गुणवत्ता वाले एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। इसके अलावा घर के अंदर आइस पैक्स के जरिए अपनी आंखों की देखभाल कर सकते हैं। इससे आंखों को आराम मिलेगा।

अस्थमा के मरीज इन बातों का रखें ध्यान

अस्थमा से पीड़ित मरीज दिल्ली के इस प्रदूषण में कुछ खास सावधानियां बरतनी चाहिए। सबसे पहले आप अपने पास इन्हेलर जरूर रखें। वहीं, बाहर निकलते वक्त इसका इस्तेमाल करें। यदि आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। इंडिया टुडे से बातचीत में बच्चों के डॉक्टर प्रवीण कुमार ने कहा, 'बच्चों को वायु प्रदुषण से सबसे अधिक खतरा है। सांस के मीरजों की संख्या में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। दो साल के बच्चों में भी अस्थमा के केस सामने आ रहे हैं।'

फेलिक्स अस्पताल नोएडा के चेयर डॉ. डीके गुप्ता ने कहा, 'हवा में जहरीले कण होने के कारण कई मामलों में प्री मैच्योर डिलीवरी के केस भी सामने आ रहे हैं। ये नवजात शिशु के फेफड़ों को विकास में भी लंबे समय तक समस्या हो सकती है।'

(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)

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शिवम पांडे author

शिवम् पांडे सिनेमा के आलावा राजनीति, व्यापार और अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों में खास रुचि है। पत्रकारिता में लगभग सात साल का अनुभव रखने वाले शिवम् पांडे बॉ...और देखें

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