Depression Problem: किशोरों में मानसिक समस्याएं बनती जा रही है गंभीर, कैसे पता लगाएं किसी कौन है अवसाद से ग्रस्त

Depression Problem in Teenagers: आजकल की जीवनशैली के कारण मानसिक समस्याओं में लगातार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। किशोर भी इससे अछूते नहीं हैं। डब्ल्यूएचओ की हालिया रिपोर्ट कहती है कि हर सातवां बच्चा किसी न किसी मानसिक दिक्कत से जूझ रहा है। जिसमें एक बड़ा हिस्सा अवसाद का है। आइए समझते हैं कितनी बड़ी है ये समस्या और अवसाद का जल्दी पता कैसे लगाएं।

युवाओं में अवसाद के लक्षण

Depression Problem in Teenagers: हाल ही में आई डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की साझा रिपोर्ट ‘मेन्टल हेल्थ ऑफ चिल्ड्रन एंड यंग पीपल’ में खुलासा किया गया है कि दुनिया में दस से 19 वर्ष का हर सातवां बच्चा किसी न किसी मानसिक समस्या से जूझ रहा है। किशोरों में एक तिहाई मानसिक समस्याएं 14 साल की उम्र से पहले शुरू होती हैं, जबकि आधी समस्याएं 18 साल की उम्र तक दिखने लगती हैं।

भारत में कितनी गंभीर है किशोरों में अवसाद की समस्या

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में 97 करोड़ लोग किसी न किसी तरह की मानसिक दिक्कत से जूझ रहे हैं और जिनमें सबसे कॉमन है अवसाद। देश के किशोरों की बात करें तो पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च और स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एक स्टडी कहती है कि स्कूल जाने वाले 40 फीसदी किशोर किसी न किसी रूप में अवसाद का शिकार हैं। इनमें से 7.6 फीसदी बच्चे गहरे डिप्रेशन में हैं। डब्ल्यूएचओ की हालिया रिपोर्ट ये भी कहती है कि भारत जैसे देशों के 99 प्रतिशत किशोर इन समस्याओं से बाहर आने के लिए एक्सपर्ट की सहायता नहीं लेते हैं। साल 2016 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस ने देश के 12 राज्यों पर किए गए एक सर्वे में बताया कि देश में करीब 2.7 फीसदी लोग डिप्रेशन जैसे कॉमन मेंटल डिस्ऑर्डर से पीड़ित है।

युवाओं में अवसाद के लक्षण

अवसाद के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर कुछ भी हो सकते हैं लेकिन दिए गए लक्षण किसी के अवसादग्रस्त होने का संकेत दे सकते हैं।

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