Green Potatoes: क्या हरा आलू खाना सेहत के लिए है खतरनाक, जानिए सच है या मिथ्या
Eating Green Potatoes Dangerous for Health : प्राकृतिक तौर पर आलू का कलर ब्राउन या हल्का मटमैला होता है। आजकल रेड आलू भी लोग घर में काम ले रहे हैं। लेकिन यदि आपके घर में रखे आलू का कलर बदल कर इसके प्राकृतिक रंगों से अलग ग्रीन, ब्लैक अथवा बैंगनी होने लगा है तो इन्हें खाने से बचें। एक रिसर्च के मुताबिक आलू का रंग बदलने के संकेत हैं, इनमें न्यूरोटॉक्सिन की मात्रा बढ़ जाना। ऐसे आलू को भोजन में शामिल करने से डायरिया, सिर दर्द व उल्टी और कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
आलू का रंग बदला तो सावधान, खाने से करें परहेज। (सांकेतिक तस्वीर)
- अगर आलू का नेचुरल कलर बदल गया है तो उसे खरीदने से बचें
- मटमैले अथवा भूरे रंग के आलू ही खाने में प्रयोग करें
- हरे, काले रंग के आलू में कैंसर के कारक सोलनिन का स्तर ज्यादा
Eating Green Potatoes Dangerous for Health : सब्जियों के राजा कहे जाने वाले आलू की पहुंच हर घर की रसोई में होती है। आलू सबकी पसंद भी होता है। इसकी महक व इससे बनें कई तरह के चटपटे व्यंजन सबको भाते हैं। आलू एक ऐसी सब्जी है जो किसी भी व्यंजन का जायका बढ़ा देते हैं।
मगर सावधान! अगर आपके घर में रखे आलू का कलर बदल गया है या फिर उसका आकार सिकुड़ गया है तो उसे यूज करने से पहले ये सतर्कता बरतें। नहीं तो आलू आपकी सेहत का जायका बिगाड़ सकता है। आलू के बदले रंग व आकार का कैसे पता लगाया जाए, इसके क्या दुष्प्रभाव होते हैं हमारे शरीर में। तो आइए इन सब बातों का जवाब जानते हैं हम, जिससे आलू हमारी सेहत का रखवाला बना रहे।
इन रंगों के आलू से परहेज करें
प्राकृतिक तौर पर आलू का कलर ब्राउन या हल्का मटमैला होता है। यदि आपके घर में रखे आलू का कलर बदल कर इसके प्राकृतिक रंगों से अलग हो ग्रीन, ब्लैक अथवा बैंगनी होने लगे तो इनसे बचें। एक रिसर्च के मुताबिक आलू का रंग बदलने के संकेत हैं। इनमें न्यूरोटॉक्सिन की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसे आलू को भोजन में शामिल करने से डायरिया, सिर दर्द व उल्टी और कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। बता दें कि अगर सब्जी बेचने वाले आपको बदले रंगों वाले आलू बेचने की कोशिश करें तो आप आलू ना खरीदें। सतर्कता बरतें व नेचुरल कलर के आलू ही खरीदें।
क्यों होता है ग्रीन पोटैटो से कैंसर का कारण
गौरतलब है कि सब्जी खरीदते समय आलू का कलर ग्रीन दिखे तो समझ लें ये खाने योग्य नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक ग्रीन पोटैटो कैंसर का कारण होता है। आलू खोद कर जमीन से बाहर निकालने के बाद उस पर सूरज की सीधी रोशनी पड़ती है। यही वजह है कि आलू में सौलनिन तत्व का स्तर बढ़ जाता है। जिसके चलते आलू का कलर बदल कर ग्रीन, ब्लैक अथवा बैंगनी हो जाता है। मेडिकल साइंस से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक सोलनिन मानव शरीर में कैंसर उत्पन्न करता है।
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ये आलू खाने से तंदुरुस्ती खतरे में
अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर कैसा आलू खाएं, जिससे हमारी तंदुरुस्ती बरकरार रह सकें। क्योंकि आलू हमारे भोजन का प्रमुख स्त्रोत है। तो जानिए किस तरह के आलू खाने से हमें नुकसान नहीं होता। आलू अगर पड़े-पड़े सिकुड़ जाए तो उससे बचें। क्योंकि उसमें टॉक्सिन की मात्रा बढ़ जाने से उसका आकार बदल गया है। इसे हमारे शरीर में ऑक्सिडेंट्स का स्तर बढ़ सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक जर्मिनेटेड आलू से भी दूर रहें। जर्मिनेटेड आलू में सोलनिन व चासोनिन का स्तर बढ़ जाने से ये दोनों ही तत्व ग्लाइकोल कॉल्ड नामक जहर में परिवर्तित हो जाते हैं। जो कि मानव शरीर में तंत्रिका तंत्र के लिए घातक होता है। वहीं स्प्राउटेड पोटैटो के इस्तेमाल से भी बचना बहुत जरूरी है।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
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