अपना यूरिन पीते थे यह भारतीय प्रधानमंत्री, क्या होती है यूरिन थेरेपी? जानिए अपना मूत्र पीना फायदेमंद या नुकसानदायक

Morarji Desai: भारत के प्रधानमंत्री रहे मोरारजी देसाई ने अमेरिका की सीबीएसई वीकली न्यूज मैगजीन के साथ इंटरव्यू में बताया था कि वह रोजाना सुबह खाली पेट 5 से 8 आउंस अपना यूरिन पीते हैं।

Urine Therapy

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मोरारजी देसाई भारत के चौथे प्रधानमंत्री थे। वह इस पद पर 24 मार्च 1977 से 28 जुलाई 1979 तक रहे। देसाई पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे। साल 1975 में इमरजेंसी के बाद साल 1977 में जो आम चुनाव हुए उसमें इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस बुरी तरह से हारी और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी। मोरारजी देसाई को भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों के सर्वोच्च नागरिक सम्मान (भारत रत्न और निशान-ए-पाकिस्तान) से नवाजा जा चुका था। वह अपनी एक आदत के लिए भी काफी चर्चित थे। दरअसल मोरारजी देसाई स्वमूत्र पान किया करते थे, मतलब कि अपना यूरिन पीते थे। ये बात उन्होंने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार भी की थी।

साल 1978 में एक बार मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर अमेरिका गए थे। वहां उन्होंने सीबीएसई वीकली न्यूज मैगजीन के साथ इंटरव्यू में बताया कि वह रोजाना सुबह खाली पेट 5 से 8 आउंस अपना यूरिन पीते हैं। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राशिद किदवई के मुताबिक देसाई स्वमूत्र को जीवनदायक जल बताते थे और दिन में दो बार इसका सेवन करते थे।

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मोरारजी देसाई क्यों पीते था अपना यूरिनसीबीएसई वीकली न्यूज मैगजीन डैन राथर के साथ इंटरव्यू में देसाई ने खुद का यूरिन पीने के कई फायदे गिनाए थे। बकौल देसाई - अपना यूरिन पीने से दो दिनों में शरीर शुद्ध हो जाता है। तीसरे दिन तक आपका यूरिन बिना किसी रंग, किसी गंध या किसी स्वाद के हो जाएगा और यह लगभग पानी की तरह शुद्ध हो जाएगा। आप बहुत अच्छा महसूस करेंगे क्योंकि आपके सिस्टम में काफी सुधार और सफाई हो जाती है।

मोरारजी देसाई ने स्वमूत्र पीने के फायदे गिनाते हुए तर्क दिया था कि कई जानवर भी फिट रहने के लिए अपना मूत्र पीते हैं। उन्होंने डैन राथर को बताया था कि भारत के कुछ हिस्सों में बीमार पड़ने पर माएं अपने बच्चों को उनका मूत्र पिलाती हैं। अपना यूरिन पीने के फायदे पर जोर देते हुए उन्होंने अमेरिकी पत्रकार से यहां तक कह दिया था कि आपका अमेरिका मूत्र का अर्क बनाकर दवाओं में इस्तेमाल कर रहा है। आप लोग दूसरों का यूरिन पी सकते हैं तो अपना मूत्र पीने में क्या दिक्कत है।

भारत में 'यूरिन थेरेपी'भारत में स्वमूत्र चिकित्सा को शिवांबू कल्प या शिवांबू चिकित्सा के नाम से भी जाना जाता है। स्वमूत्र चिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञों और लोगों के अनुसार अगर रोजाना अपना मूत्र पिया जाए तो इससे कई बीमारियां जड़ से खत्म हो जाती हैं, उम्र लंबी और रोग रहित होती है। शिवांबू चिकित्सा के अनुसार मूत्र को पीने के अलावा औषधि के रूप में अन्य तरीकों से भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

कई जगह हो रही 'यूरिन थेरेपी'आज सोशल मीडिया के युग में यूरिन थेरेपी के कई किस्से सामने आए हैं। नेविंगटन की एक महिला योग टीचर केली ओकली ने अपने ट्विवटर अकाउंट पर दावा किया था कि खुद का मूत्र पीने से उन्हें अपनी थायराइड जैसी बीमारी से निजात मिली है। ओकली ने कहा था कि शुरू में थोड़ा अजीब लगता था लेकिन कुछ समय बाद वह रोजाना एक जार अपना यूरिन पी जाती हैं। इतना ही नहीं वह एक कपड़े को अपने यूरिन में गीला करके चेहरे पर भी लगाती हैं। इससे उनकी स्किन भी हेल्दी रहती है। कुछ लोगों ने स्वमूत्रपान के अपने अनुभवों को साझा करते हुए सोशल मीडिया में बताया कि उन्हें वजन कम करने में भी फायदा मिला। कुछ का कहना है कि अपना मूत्र पीने से उन्हें मच्छर कम काटते हैं।

चीन में तो बकायदा यूरिन पीने के लिए प्रोत्साहित करने वाली गैर सरकारी संस्था भी है। इस संस्था से बड़ी तादाद में लोग जुड़े हैं। संस्था से जुड़े लोगों के मुताबिक, अपना मूत्र पीने से घाव, कब्ज और गंजेपन से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा कई अन्य फायदे भी हैं। यहां लोग ना सिर्फ अपना मूत्र पीते हैं बल्कि उससे मुंह और आंखें भी धुलते हैं। इस संस्था का मानना है कि खुद के यूरिन को पीने वाले व्यक्ति को कोई भी बीमारी नहीं हो सकती है। हालांकि चीन हेल्‍थ डिपार्टमेंट ने इसे आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है।

अपना यूरिन पीने पर डॉक्टरों का रायइसपर दुनिया भर के अलग-अलग एलोपैथी डॉक्टरों की राय को मिलाकर देखा जाए तो अपना मूत्र पीना शरीर के लिए लाभदायक नहीं है। डॉक्टरों का मानना है कि भले लोगों में अपने यूरिन के फायदे सोशल मीडिया के जरिए बताए हैं लेकिन इसका प्रमाण नहीं मिला है कि ऐसा वाकई यूरिन थेरेपी से ही हुआ है। डॉक्टर्स कहते हैं कि पेशाब करना ऐसी क्रिया है जिसमें हम अपने शरीर के विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालते हैं। पेशाब करने की प्रक्रिया में हमारे गुर्दे खून को फिल्टर कर गंदगी को बाहर निकालते हैं।

एक स्वस्थ शरीर के पेशाब में 95 प्रतिशत पानी और पांच प्रतिशत पोटेशियम और नाइट्रोजन जैसे विषाक्त पदार्थ होते हैं। स्वमूत्र पान से ये विषैले पदार्थ वापस शरीर में जाते हैं जो गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं। डॉक्टर कहते हैं कि अपना यूरिन पीने वाले लोगों की आम धारणा है कि यूरिन में 95 प्रतिशत तक पानी होने के कारण वह साफ होता है। मगर हकीकत में ऐसा नहीं है। कुछ मेडिकल रिसर्च में बताया गया है कि जिस व्यक्ति के गुर्दे पूरी तरह से स्वस्थ होते हैं उनका यूरिन साफ होता है, लेकिन बाहर निकलते ही वह दूषित हो जाता है। और ये बात किसी से छिपी नहीं है कि कोई भी दूषित वस्तु हमारे शरीर को किसी भी हाल में फायदा नहीं पहुंचा सकती है।

स्वमूत्र पान पर क्या कहता है आयुर्वेदआयुर्वेद के जानकार सुनील आर्य कहते हैं क‍ि, 'स्‍वमूत्र से इलाज करने का तरीका काफी पुराना रहा है। हमारे वेदों में इसका जिक्र है। वह कहते हैं कि भारत के आयुर्वेद सहित कई शास्त्रों में 8 प्रकार के मूत्र का इस्तेमाल चिकित्सा के लिए बताया गया है, इनमें एक मानव मूत्र भी है। डॉक्‍टरी सलाह से औषधि के रूप में अपना यूरिन लिया जा सकता है लेकिन इसे सामान्य रूप से इस्‍तेमाल नहीं करना चाहिए।'

प्रयागराज में नेचुरोपैथी की प्रैक्टिस कर रहे सुनील यादव उस तर्क का विरोध करते हैं कि अंग्रेजी दवाओं में भी इंसानी मूत्र का इस्तेमाल होता है इसलिए अपना यूरिन पीना नुकसानदायक नहीं है। वह कहते हैं कि, 'ऐसे तो सांप के जहर का भी कई तरह की दवाओं में इस्तेमाल हो रहा है। इसका मतलब ये तो नहीं है कि हम सीधे जहर पी जाएं। जिन दवाओं में स्‍वमूत्र का इस्तेमाल होता है वो एक मेडिकल और साइंटिफिक प्रोसेस के तहत किया जाता है।'

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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