टॉपर प्राची निगम की फोटो पर हार्मोन्स की तरह बिगड़े लोगों के बोल, जानिए लड़कियों को क्यों आती है मूंछ, क्या है इसके लक्षण और उपचार

Unwanted hairs on female's Face: लोग यह नहीं समझ पाते कि लड़कियों के चेहरे पर मूंछ और दाढ़ी के रूप में अनचाहे बालों का आना एक मेडिकल प्रॉब्लम है जो कि इलाज और साधारण ब्यूटी ट्रीटमेंट से संभल जाती है।

क्या मूंछ आने से कम हो गई टॉपर की उपलब्धि?

Prachi Nigam Trolled: अभी हाल ही में यूपी बोर्ड एग्जाम के रिजल्ट आए। नतीजों में यूपी के सीतापुर जिले की प्राची निगम (Prachi Nigam) को टॉपर घोषित किया गया। प्राची 600 में से 591 अंक लाकर 98.50 प्रतिशत के साथ यूपी बोर्ड के 10वीं की टॉपर (UP Board Topper) बनीं। नतीजों के साथ ही प्राची की एक तस्वीर वायरल हुई। इस तस्वीर के सामने आने के बाद से ही प्राची के चेहरे पर लोग कमेंट करने लगे। सोशल मीडिया में कई तरह के मीम्स भी वायरल होने लगे। दरअसल तस्वीर में प्राची की मूंछ नजर आ रही है। इसी मूंछ के कारण कुछ विकृत मानसिकता के लोग उनपर कमेंट कर रहे हैं। हालांकि किसी महिला या लड़की की बॉडी शेमिंग भारत में कोई आम बात नहीं है। दशकों से लोग दूसरों के शरीर की बनावट को लेकर कमेंट करते आ रहे हैं। उन्हें शायद इस बात का अंदाजा नहीं होता है कि उनका इस तरह का बर्ताव सामने वाले पर कितना बुरा असर डालता है। ऐसा ही कुछ हुआ प्राची के साथ भी। प्राची की काबिलियत को उनके चेहरे पर दिखने वाली मूंछ से ढंकने की तमाम शर्मनाक कोशिशें हुईं।

लड़कियों को क्यों आती है मूंछलड़कियों के चेहरे पर मूंछ या दाढ़ी के रूप में अनचाहे बाल आने का कारण उनके शरीर में हार्मोनल डिसबैलेंस है। डॉ. ममता ठाकुर (MBBS, MD - Obstetrics and Gynaecology) ने टाइम्स नाउ नवभारत के साथ बात करते हुए बताया कि ये समस्या पीसीओएस (PCOS) के कारण हो रही है। PCOS (पोलिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) हार्मोन्स से जुड़ी समस्या है जो आजकल काफी आम है। बकौल डॉ. ममता ये समस्या आम होने के साथ काफी गंभीर भी है। इस बीमारी से ना सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी लड़कियों को परेशान होना पड़ता है।

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डॉ. ममता ने बताया कि लड़कियों में मूंछ आने के पीछे की बड़ी वजह उनके शरीर में मेल हॉर्मोन्स का एक्टिव होना है। कुछ मर्दों में भी फीमेल हार्मोन्स एक्टिव हो जाते हैं जिनके कारण उनकी आवाज का पतला होना या फिर ब्रेस्ट बड़े हो जाने जैसी दिक्कतें आती हैं। थायराइड का बढ़ना भी लड़कियों के चेहरे पर बाल उगाने का कारण बनते हैं। ऐसी समस्याएं कुछ हद तक जीन्स पर भी निर्भर होती हैं। यह विकार जन्मजात और बाद में भी हो सकता है।

क्यों होता है हार्मोनल डिसबैलेंसडॉ. ममता का कहना है कि हार्मोन्स का डिसबैलेंस होने में खराब दिनचर्या का बहुत बड़ा हाथ होता है। वह कहती हैं कि आजकल के बच्चे फिजिकल एक्सरसाइज नहीं करते। डाइट भी अनियंत्रित रहती है। बच्चे पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीते। बच्चियों की ऐसी ही बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल को हार्मोनल डिसबैलेंस का कारण बताया जाता है। हार्मोनल डिसबैलेंस का बहुत बड़ा कारण स्ट्रेस लेवल का बढ़ना भी है। तमाम एक्सपर्ट्स और डॉक्टर्स सलाह भी देते हैं कि तनाव से दूरी बनाए रखनी है। हालांकि जो महिलाएं हार्मोनल संबंधी प्रेग्नेसी समस्याओं से जूझ रही हैं उन्हें गायनोकोलॉजिस्ट से बराबर संपर्क में रहकर अपना इलाज करवाना चाहिए।

भारत में कितनी आम है यह दिक्कतसिस्टमैटिक एनालिसिस और मेटा रिव्यू के आंकड़े बताते हैं कि साल 2010 से 2021 के बीच 11.34 प्रतिशत महिलाएं PCOS से ग्रसित हैं। वहाीं लाइब्रेट जैसे दूसरे सोर्स का मानना है कि भारत में हर पांच में से एक महिला पीसीओएस से पीड़ित है। मतलब कि 20 प्रतिशत महिलाएं इस बीमारी की चपेट में हैं। महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 22 प्रतिशत के करीब है।

हार्मोनल डिसबैलेंस किन परेशानियों को देता है न्योतामहिलाओं में हार्मोनल डिसबैलेंस कई तरह की गंभीर बीमारियों को न्योता देता है। इसमें मोटापा, डायबिटीज, बांझपन (इंफर्टिलिटी), चेहरे पर मुंहासे आने और दाढ़ी मूंछ के बाल बढ़ने जैसी समस्याएं शामिल हैं। जिन महिलाओं में हार्मोनल डिसबैलेंस की दिक्कत होती है उनके चिड़चिड़ापन और कम सोने की बीमारी भी देखी जाती है।

यह तस्वीर सोशल मीडिया में काफी वायरल हुई थी। (Source: Twitter)

क्या है PCOS/PCOD का उपचारPCOS/PCOD का उपचार प्रत्येक पीड़िता की व्यक्तिगत जरूरत और दिक्कत के हिसाब से अलग हो सकता है। हालांकि डॉ. ममता ठाकुर के हिसाब से मेडिकल साइंस में कुछ ऐसे आम ट्रीटमेंट हैं जो PCOS/PCOD के लगभर हर तरह के मरीज के इलाज में इस्तेमाल हो सकती है। इसमें से दो इलाज काफी कारगर हैं। पहला है वजन घटाना। पीसीओएस के मरीजों को रोजाना हैवी एक्सरसाइज की सलाह दी जाती है। वजन में 5 प्रतिशत तक की कमी लाकर भी बड़े अनुपात में इस समस्या को मात दे सकते हैं। दूसरा है मेडिटेशन। मेडिटेशन और योग भी इस तरह के मरीजों के लिए कारगर है। दरअसल योग और मेडिटेशन हमारे स्ट्रेस लेवल को कम करते हैं जो कि इस बीमारी के प्रमुख कारकों में से एक हैं।

स्कूल और कॉलेज की बच्चियों को खास सलाह दी जाती है कि वो शारीरिक श्रम पर जोर दें। खेलना कूदना, नियमित वर्कआउट करना, योगा करना उनके शरीर को फिट रखेगा। जैसा कि आजकल देखा जाता है कि बच्चे तनाव बहुत ज्यादा लेते हैं। ऐसा ना करें। तनाव से बचने के लिए मेडिटेशन शुरू करें।

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