Fantasy Disorder: क्या आप भी हमेशा अपने सपनों की दुनिया में ही रहते हैं तो संभलें ये एक डिसऑर्डर है

Fantasy Disorder : हाल ही में हुए एक शोध के मुताबिक आमतौर पर इस बीमारी से पीड़ित आम लोग प्रतिदिन अपना 30 प्रतिशत तक का समय खुली आंखों से सपने देखने में ही नष्ट कर देते हैं। हालांकि इसमें एक भ्रामक खुशी की अनुभूति तो होती है, मगर इसके दुष्प्रभावों की सूची बहुत लंबी है। इस बीमारी से समूची दुनिया में करीब 20 करोड़ लोग प्रभावित हैं। ख्याली पुलाव पकाने के सिर्फ नुकसान ही है। विशेषज्ञों के मुताबिक इसके कुछ मायनों में फायदे भी हैं। जिसमें इसका एडिक्शन ना हो तो ये स्ट्रेस को कम करती है।

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फैंटेसी डिसऑर्डर बीमारी से समूची दुनिया में करीब 20 करोड़ लोग प्रभावित हैं। ( प्रतीकात्मक तस्वीर)

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • दुनिया भर में 20 करोड़ लोग इससे प्रभावित
  • दिन का 30 प्रतिशत सपने देखने में ही बिता देते हैं
  • ये एक फैंटेसी डिसऑर्डर हो सकता है
Fantasy Disorder: अगर आप हमेशा ख्यालों में खोए रहते हैं तो सावधान! यह एक फैंटेसी डिसऑर्डर भी हो सकता है। ताजा हुए शोध के मुताबिक आमतौर पर इस बीमारी से पीड़ित आम लोग प्रतिदिन अपना 30 प्रतिशत तक का समय खुली आंखों से सपने देखने में ही नष्ट कर देते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक जो लोग अपने आस-पास के वातावरण में ख्याली पुलाव पका कर सपने देखते हैं, तो उनके लिए ये खतरनाक हो सकता है।हालांकि इसमें एक भ्रामक खुशी की अनुभूति तो होती है, मगर इसके दुष्प्रभावों की सूची बहुत लंबी है। सपनों की दुनिया में रहने वाले लोगों का पढ़ाई में मन नहीं लगता। अपने वर्क प्लेस पर ड्यूटी सही तरीके से नहीं कर पाते, जिसके चलते उन्हें अक्सर बॉस की डांट सुननी पड़ती है।
दुनिया में इतने लोग हैं प्रभावित
बता दें कि दिन में सपने देखने वाले ज्यादा दिमाग वाले काम करने में एकाग्रता नहीं लगा पाते। जबकि वो काम जिनमें ज्यादा एकाग्रता नहीं लगानी होती वो वे अच्छे से कर लेते हैं। जैसे घरेलू काम कपड़े धोने से लेकर सफाई करने तक या फिर छोटो-मोटे काम वे आराम से कर लेते हैं। ब्रिटेन में हुए ताजा शोध में जानकारी सामने आई है कि अधिक देर तक दिन में सपने देखना खतरों से भरी स्थिति है। क्योंकि यह दिमाग को स्थिर नहीं होने देता।दुनियाभर में 20 करोड़ लोग इस डिसऑर्डर के शिकार हैं। हैरानी की बात तो ये है कि अधिकांश लोगों को इसका एहसास ही नहीं होता।
ये हैं इसके परिणाम
शोध में ये भी सामने आया है कि ख्याली पुलाव पकाने के सिर्फ नुकसान ही हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इसके कुछ मायनों में इसके फायदे भी हैं। जिसमें अगर इसका एडिक्शन ना हो तो ये स्ट्रेस को कम करता है। शोध में से भी नतीजे सामने आए हैं कि अकेलेपन की स्थिति में इंसान को ये बोर नहीं होने देती। कई तरह की समस्याएं सुलझाने में हेल्प करता है। कई बार तो इससे एकाग्रता और क्रियात्मकता बढ़ती है। वहीं हादसों से आघात से भी उबारती है। इसका असर ये है कि इंसान में भ्रामकता बढ़ती है तो वह अपने बुरे दौर से आसानी से निकल पाता है। लेकिन फिर भी लक्ष्य बनाकर सोचना ही फायदेमंद है। लेकिन बिना लक्ष्य के अधिक सोचना खतरनाक हो सकता है।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
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