Fatty Liver Disease: लिवर खराब होने के मुख्य कारण क्या है? एक्सपर्ट से जानिए रिस्क फैक्टर

Synopsis: Chronic Liver Disease in Hindi: लिवर हमारे शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है। लिवर को यकृत, जिगर और कलेजा भी कहते हैं। लिवर हमारे शरीर के अंदर रहते हुए एक साथ कई काम करता है। इसका मुख्य कार्य भोजन और पेय को ऊर्जा और पोषक तत्वों में परिवर्तित करना है। इसके अलावा यह खून से हानिकारक और जहरीले पदार्थों को फिल्टर कर अलग करता है। एक्सपर्ट से जानिए लिवर ख़राब होने के कारण और रिस्क फैक्टर-

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Fatty Liver: फैटी लिवर होने पर क्या परेशानी होती है?

Liver Disease : लिवर शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है, जो कई महत्वपूर्ण कार्यों जैसे कि विषहरण, चयापचय और पोषक तत्वों के भंडार के लिए जिम्मेदार है। नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट, सीनियर कंसल्टेंट डॉ सुदीप खन्ना ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में बताया कि लिवर की बीमारियां किसी को भी प्रभावित कर सकती हैं और वे विभिन्न प्रकार के फैक्टर्स के कारण हो सकती हैं। इनमें जेनटिक, अनहेल्दी लाइफस्टाइल और कुछ विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना शामिल है। आइये एक्सपर्ट से जानते हैं कि लिवर की बीमारियों के कुछ सबसे सामान्य कारण और रिस्क फैक्टर्स क्या हैं?

वायरल इंफेक्शन - Viral Infection

डॉक्टर खन्ना ने बताया, "वायरल संक्रमण जैसे हेपेटाइटिस बी और सी दुनिया भर में लिवर की बीमारी के प्रमुख कारणों में से हैं। हेपेटाइटिस बी और सी ब्लड या शारीरिक लिक्विड डाइट के माध्यम से फैल सकते हैं, और वे क्रोनिक लिवर डिजीज, लिवर कैंसर और यहां तक कि लिवर फेलियर का कारण बन सकते हैं। हेपेटाइटिस बी के खिलाफ टीकाकरण की सिफारिश सभी शिशुओं और वयस्कों के लिए की जाती है, जबकि हेपेटाइटिस सी का इलाज एंटीवायरल दवा से किया जा सकता है।"

अल्कोहल का सेवन - Consumption of Alcohol

अत्यधिक शराब के सेवन से लिवर काफी बीमार हो सकता है। फैटी लिवर रोग, एल्कोहलिक हेपेटाइटिस और सिरोसिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। जब बड़ी मात्रा में शराब का सेवन करते हैं तो यह लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है। इससे सूजन और घाव हो सकते हैं। शराब की मात्रा और अवधि के साथ लिवर की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।

मोटापा और मेटाबोलिक सिंड्रोम - Obesity and Metabolic Syndrome

लिवर की बीमारी के लिए मोटापा और मेटाबोलिक सिंड्रोम को तेजी से जोखिम वाले कारकों के रूप में पहचाना जाता है। गैर मादक वसायुक्त यकृत रोग (NAFLD) एक ऐसी स्थिति है जहां फैट लिवरमें जमा हो जाती है, जिससे सूजन और जलन होती है। NAFLD मोटापे, इंसुलिन प्रतिरोध और हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ा हुआ है, और यह सिरोसिस और लिवर कैंसर में प्रगति कर सकता है। वजन कम करना, एक हेल्दी डाइट आहार और व्यायाम NAFLD और अन्य लिवर रोगों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।

जेनेटिक फैक्टर्स - Genetic Factors

कुछ यकृत यानी लिवर रोगों में एक आनुवंशिक कांस्टिटुएंट होता है। उदाहरण के लिए, हेमोक्रोमैटोसिस एक ऐसी स्थिति है जहां शरीर बहुत अधिक आयरन जमा करता है। इससे लिवर की क्षति और अन्य जटिलताएं होती हैं। विल्सन रोग एक अन्य जेनेटिक स्थिति है जिसके कारण तांबा लिवर और अन्य अंगों में जमा हो जाता है। ये स्थितियां दुर्लभ हैं, लेकिन अगर इनका इलाज न किया जाए तो वे यकृत क्षति का कारण बन सकती हैं।

विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना - Exposure to Toxins

कुछ विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से लिवर खराब हो सकता है। उदाहरण के लिए, विनाइल क्लोराइड और एफ़्लैटॉक्सिन जैसे इंडस्ट्रियल केमिकल्स के संपर्क में आना, फंगस द्वारा प्रोड्यूस एक प्रकार का पॉइजन, लिवर कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। दवाएं और सप्लीमेंट भी कुछ लोगों में लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। कोई लिवर से सम्बंधित समस्या महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क कर निर्धारित दवाइयां समय पर लेते रहें।

ऑटोइम्यून डिजीज - Autoimmune Disease

ऑटोइम्यून रोग तब होते हैं जब प्रतिरक्षा प्रणाली लिवर सहित शरीर के अपने टिश्यू पर हमला करती है। ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस एक ऐसी स्थिति है जहां इम्यून सिस्टम लिवर पर हमला करती है, जिससे सूजन और लिवर डैमेज होता है। अन्य ऑटोइम्यून रोग जैसे कि प्राथमिक पित्त सिरोसिस और प्राथमिक स्केलेरोजिंग चोलैंगाइटिस भी लिवर की क्षति का कारण बन सकते हैं।

डॉक्टर खन्ना का कहना है कि, "यकृत यानी लिवर रोग विभिन्न प्रकार के कारकों के कारण हो सकते हैं, जिनमें वायरल संक्रमण, शराब का सेवन, मोटापा और मेटाबॉलिक सिंड्रोम, जेनेटिक फैक्टर्स, विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना और ऑटोइम्यून रोग शामिल हैं। प्रारंभिक पहचान और उपचार यकृत रोग की प्रगति को रोकने या देरी करने में मदद कर सकता है। एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखना महत्वपूर्ण है, हेपेटाइटिस बी के खिलाफ टीका लगवाएं और लिवर स्वास्थ्य के बारे में किसी भी चिंता के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।

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प्रणव मिश्र author

मीडिया में पिछले 5 वर्षों से कार्यरत हैं। इस दौरान इन्होंने मुख्य रूप से टीवी प्रोग्राम के लिए रिसर्च, रिपोर्टिंग और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए काम किया...और देखें

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