कोलन कैंसर का पता लगाने के लिए नए Blood Test को FDA ने दी मंजूरी, अब झट से पकड़ में आएगा ये खतरनाक कैंसर

FDA Approves New Blood Test To Detect Colon Cancer: कोलन कैंसर का पता लगाने के लिए फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) नए ब्लड टेस्ट को मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि इस ब्लड टेस्ट की मदद से कम समय में ज्यादा लोगों में कोलन कैंसर का निदान किया जा सकता है। जानें क्या है ये टेस्ट।

FDA Approves New Blood Test To Detect Colon Cancer

FDA Approves New Blood Test To Detect Colon Cancer

FDA Approves New Blood Test To Detect Colon Cancer: कोलन कैंसर आंतों में होने वाला एक खतरनाक कैंसर है। यह हमार बड़ी आंत में होता है। इसकी शुरुआत आंतों में गैर-कैंसरयुक्त पॉलीप्स के रूप में शुरू हो सकती है। आमतौर पर आंतों में इसकी शुरुआत होने पर कोई लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं। इसका पता स्क्रीनिंग की मदद से लगाया जाता है। आमतौर पर कोलन कैंसर के दौरान दिखने वाले लक्षण आम पाचन संबंधी समस्याओं के समान होते हैं, जैसे बाउल मूवमेंट में परिवर्तन, मल के साथ खून आना, पेट में दर्द आदि। ऐसे में लोग इन्हें आम समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। डॉक्टर भी आमतौर पर स्क्रीनिंग की सलाह तब तक नहीं देते हैं, जब तक कि लक्षण बहुत गंभीर न हो जाएं। ऐसे में कोलन कैंसर का समय रहते पता नहीं चल पाता है।

लेकिन अब अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने सोमवार सुबह कुछ व्यक्तियों में कोलोरेक्टल कैंसर की जांच के लिए नए ब्लड टेस्ट को मंजूरी दे दी। माना जाता रहा है कि कोलन कैंसर का पता लगाने में यह टेस्ट बहुत मददगार साबित हो सकता है। इस लेख में जानें इस टेस्ट से जुड़ी जरूरी जानकारी।

क्या है नया ब्लड टेस्ट

कोलन कैंसर का पता लगाने के लिए किए जाने वाले इस नए ब्लड टेस्ट का नाम शील्ड है, यह गार्डेंट हेल्थ द्वारा निर्मित किया गया है। ब्लड टेस्ट पहले से व्यावसायिक रूप से उपलब्ध है, लेकिन अब एफडीए मंजूरी से उपलब्धता और बीमा कवरेज को व्यापक बनाने में मदद सकती है।

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कोलन कैंसर का पता लगाने में कितना प्रभावी ब्लड टेस्ट

इस ब्लड टेस्ट की मंजूरी कोलन कैंसर के "औसत जोखिम" वाले लोगों के लिए दी गई थी, जिनकी उम्र 45 वर्ष उससे अधिक है। लेकिन विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी है कि यह ब्लड टेस्ट कोलोनोस्कोपी के समकक्ष विकल्प नहीं है। हालांकि, ब्लड टेस्ट की मदद से कम समय में अधिक लोगों की जांच हो सकती है। लेकिन कोलोनोस्कोपी में अधिक सटीक परिणाम आते हैं। इसकी मदद से कैंसर से पहले के पॉलीप्स को हटाने में मदद मिल सकती है। ब्लड टेस्ट के लिए हर तीन साल के बजाय हर 10 साल में कराने का सलाह दी जाती है।

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ब्लड टेस्ट में कोलन कैंसर का पता कैसे चलता है

इस ब्लड टेस्ट की मदद से सैंपल में ट्यूमर द्वारा बहाए गए डीएनए का पता लगाकर कोलोरेक्टल कैंसर का पता लगाता है। लैब से सैंपल मिलने के बाद रिजल्ट आने में लगभग 2 सप्ताह का समय लगता है। यह ब्लड टेस्ट कोलन कैंसर के लिए उपलब्ध कोई पहला ब्लड स्क्रीनिंग उपकरण नहीं है। कोलोनोस्कोपी को अभी भी स्क्रीनिंग के लिए अधिक सटीक और लाभकारी माना जाता है।

हालांकि, ब्लड टेस्ट कोलन कैंसर की जांच के लिए एक और विकल्प प्रस्तुत करता है। यह कैंसर पहले की तुलना में लोगों को अब अधिक प्रभावित कर रहा है। अमेरिका में इसकी संख्या काफी तेजी से बढ़ी है।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

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Vineet author

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