गैस्ट्रोपेरिसिस का मुख्य कारण क्या है?
Gastroparesis - Symptoms and causes: एक हालिया जांच में पाया गया है कि ओज़ेम्पिक और वेगोवी लेने के बाद कुछ मरीज़ गंभीर गैस्ट्रोपेरेसिस से पीड़ित हुए, जिसे पेट का पैरालिसिस भी कहा जाता है। 25 जुलाई को प्रकाशित सीएनएन की एक रिपोर्ट में दो रोगियों ने बताया कि टाइप 2 मधुमेह की दवा ओज़ेम्पिक - एक सेमाग्लूटाइड इंजेक्शन जो अपने वजन घटाने के दुष्प्रभावों के लिए जाना जाता है, लेने के बाद उनका "पेट लकवाग्रस्त हो गया है"।
लुइसियाना की 37 वर्षीय जोनी नाइट ने सीएनएन को बताया कि “काश मैंने इसे कभी नहीं छुआ होता। काश मैंने अपने जीवन में इसके बारे में कभी नहीं सुना होता, इस दवा ने मेरा जीवन नरक बना दिया। इतना नरक कि इसमें मेरे पैसे खर्च हुए हैं। इससे मुझे बहुत तनाव झेलना पड़ा; इसमें मुझे दिन-रात और अपने परिवार के साथ यात्राएं करनी पड़ीं। यह मेरे लिए बहुत महंगा है।” आइये जानते हैं पेट में लकवा का अटैक कब और किस वजह से पड़ता है।
केयर हॉस्पिटल बंजारा हिल्स, हैदराबाद के कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. राहुल दुब्बाका ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में बताया कि इस स्थिति का सटीक कारण ज्ञात नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि मधुमेह इसके पीछे मुख्य कारण हो सकता है। गैस्ट्रोपेरेसिस का सबसे आम कारण मधुमेह मेलिटस है, खासकर जब इसे खराब तरीके से कंट्रोल किया जाता है। हाई ब्लड शुगर लेवल वेगस तंत्रिका को नुकसान पहुंचा सकता है, जो पेट और छोटी आंत की मांसपेशियों को रेगुलेट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
क्या आप जानते हैं यह स्थिति आपके पाचन तंत्र को रेगुलेट करने के लिए आवश्यक तंत्रिकाओं और आपके पेट में मौजूद कुछ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है। सर्जरी के कारण वेगस तंत्रिका में चोट, हाइपोथायरायडिज्म और पेट में इंफेक्शन के साथ-साथ गैस्ट्रोएंटेराइटिस, कुछ दवाएं, पार्किंसंस रोग और मल्टीपल स्केलेरोसिस भी इसके कारण हो सकते हैं।
जो भोजन हम खाते हैं और जो भोजन लंबे समय तक पेट में रहता है, वह बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा दे सकता है। पेट में बचा हुआ भोजन आगे चलकर मांस की गोलियों में बदल जाता है। इससे पेट में रुकावटें पैदा हो सकती हैं जो भोजन को छोटी आंत से गुजरने से रोकती हैं। इसी तरह, मधुमेह और गैस्ट्रोपेरेसिस वाले लोगों को अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है क्योंकि जब भोजन अंततः छोटी आंत से गुजरता है, तो ब्लड शुगर का लेवल तेजी से बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, बल्कि गैस्ट्रोपैरेसिस से पीड़ित लोग डिहाइड्रेट और कुपोषित भी हो सकते हैं। मधुमेह के अलावा, गैस्ट्रोपेरेसिस में योगदान देने वाले अन्य फैक्टर्स में शामिल हैं:
- पेट या छोटी आंत पर सर्जरी: गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी जैसी प्रक्रियाएं पाचन तंत्र के सामान्य कामकाज को बाधित कर सकती हैं, जिससे गैस्ट्रोपेरेसिस हो सकता है।
- वेगस तंत्रिका का डैमेज होना: वेगस तंत्रिका को प्रभावित करने वाली चोटें या स्थितियां पेट की मांसपेशियों के कंट्रक्शन में इंटरफेयर कर सकती हैं, जिससे गैस्ट्रिक खाली होने में देरी हो सकती है।
- ऑटोइम्यून रोग: स्जोग्रेन सिंड्रोम या ल्यूपस जैसी स्थितियां पेट की गतिशीलता में शामिल नसों में सूजन और डैमेज का कारण बन सकती हैं।
- दवाएं: कुछ दवाएँ, जैसे ओपिओइड, एंटीडिप्रेसेंट और कुछ एंटीबायोटिक्स, पेट खाली होने की गति को धीमा कर सकती हैं और गैस्ट्रोपेरेसिस में योगदान कर सकती हैं।
- इंफेक्शन: वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन अस्थायी गैस्ट्रोपेरेसिस का कारण बन सकता है, लेकिन इंफेक्शन का इलाज होने के बाद यह अक्सर ठीक हो जाता है।
गैस्ट्रोपेरेसिस के लक्षणों में उल्टी, मतली, पेट में सूजन, पेट में दर्द, ब्लड शुगर के लेवल में बदलाव, भूख न लगना, वजन कम होना और कुपोषण शामिल हैं। इसके परीक्षणों में गैस्ट्रोस्कोपी और रेडियोन्यूक्लाइड गैस्ट्रिक अध्ययन शामिल हैं।
स्थिति कितनी गंभीर है, इसके आधार पर उपचार व्यक्ति-दर-व्यक्ति भिन्न हो सकता है। इस स्थिति को प्रबंधित करने के लिए किसी को दवाएं, एंटीबायोटिक्स या इंजेक्शन दिए जा सकते हैं। याद रखें कि खुद से ट्रीटमेंट न करें क्योंकि ऐसा करना खतरनाक हो सकता है। एंडोस्कोपी के जरिए पेट में रुकावट के अन्य कारणों जैसे अल्सर या कैंसर के बारे में पता लगाने में मदद मिलती है। डोपरिडोन और मेटोक्लोप्रमाइड जैसी दवाएं फायदेमंद हो सकती हैं।
गैस्ट्रोपेरेसिस एक पुरानी स्थिति है जिससे प्रभावित व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सावधानीपूर्वक मैनेज करने की आवश्यकता होती है। गैस्ट्रोपेरेसिस से जुड़े लक्षणों और कॉम्प्लिकेशन को कम करने के लिए प्रत्येक रोगी की आवश्यकताओं के अनुरूप जल्दी से डायग्नोज करके सीके सही ट्रीटमेंट पर प्लान बनाना चाहिए। यदि आपको गैस्ट्रोपेरसिस का संकेत देने वाला कोई भी लक्षण अनुभव होता है, तो तुरंत समय पर डॉक्टरी मदद लेने से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।