Gestational diabetes से जा सकती है पेट में पल रहे बच्चे की जान, जानें क्या हैं इसके लक्षण
Gestational diabetes: जेस्टेशनल डायबिटीज यानी गर्भकालीन या गर्भावधि मधुमेह काफी खतरनाक हो सकता है। जानें इसके लक्षण और बचाव। सामान्य से ज्यादा पेशाब आना, ब्लड प्रेशर बढ़ना, मुंह सूख जाना और बहुत थकान महसूस होना इसके लक्षण हैं।
Gestational diabetes: गर्भावस्था के दौरान अगर आपको बार बार बहुत प्यास लगती है? सामान्य से ज्यादा पेशाब आती है? ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ रहता है? मुंह सूख जाता है? या बहुत थकान महसूस होती है? तो इन लक्षणों को बिल्कुल नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ये जेस्टेशनल डायबिटीज यानी गर्भकालीन या गर्भावधि मधुमेह के लक्षण हो सकते हैं। ऐसा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन हार्मोनल बदलाव और पहले से अनडायनोज्ड डायबिटीज मुख्य कारण माने जाते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि, अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो इससे मां और बच्चे दोनों की सेहत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। तथा कुछ मामलों में स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर होने की वजह से बच्चे की जान तक जाने का खतरा रहता है। इसलिए प्रेग्नेंट महिलाओं को मधुमेह के इस विकार को कंट्रोल में रखना अत्यधिक आवश्यक है। हालांकि दवा, लाइफस्टाइल चेंजेस और डाइट के माध्यम से इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है। लेकिन कई बार हम इन आम लगने वाले लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। जिससे समस्या बढ़ जाती है, इसलिए नियमित रूप से रक्त शर्करा की जांच करते रहना, खानपान का ध्यान रखना और चेकअप करवाते रहना जरूरी है।
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क्या होता है जेस्टेशनल डायबिटीज?
गर्भावधि मधुमेह, वो बीमारी है जिसमें प्रेगनेंट बॉडी में हार्मोनल बदलावों के चलते ब्लड शुगर का स्तर बहुत बढ़ जाता है। दरअसल गर्भावस्था में शरीर में प्लेसेंटा हार्मोन पैदा होता है। जो खून में शक्कर का निर्माण करने में सक्षम होता है। और जब बॉडी में शक्कर का लेवल बढ़ जाता है, तो इस लेवल का मुकाबला करने के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन बनना भी चालू हो जाता है। लेकिन जब इंसुलिन की मात्रा जरूरत अनुसार नहीं होती है। तब इस असफलता के कारण रक्त शर्करा का स्तर अधिक हो जाता है।
क्या हैं लक्षण?
वैसे तो प्रेग्नेंट बॉडी में बहुत तरह से बदलाव आते ही हैं। मांओ को कई तरह की तकलीफों से गुजरना पड़ सकता है। हालांकि हर स्थिति में पैनिक न करना और हर स्थिति को नजरअंदाज कर देना दोनों ही गलत है। इसलिए बीमारी के लक्षण पता होना जरूरी है। थकान, बार बार पेशाब आना, बहुत ज्यादा प्यास लगना, खर्राटे लेना, वजन सामान्य से ज्यादा बढ़ जाना, दिखाई देने में दिक्कत होना, स्किन या वेजाइनल इन्फेक्शन आदि आम लक्षण माने जाते हैं।
बच्चे पर होता है ऐसा असर
शरीर में बढ़ते शुगर और ब्लड प्रेशर के स्तर का सीधा असर पेट में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। जब मां के पेट में शकर की मात्रा ज्यादा होती है, तो बच्चा भी उस एक्स्ट्रा शुगर को फेट के रूप में अपनी बॉडी में स्टोर करता जाता है। जन्म के पहले और उसके बाद बहुत सी दिक्कतें होती हैं।
- शरीर में स्टोर की हुई अत्यधिक शुगर से बच्चे का साइज सामान्य से ज्यादा बढ़ जाता है।
- बड़े साइज के कारण डिलीवरी में दिक्कत आ सकती है। तथा बच्चे को चोट लगने का खतरा होता है।
- जन्म के बाद बच्चे को लो ब्लड शुगर या मिनरल की कमी जैसी समस्या हो सकती है।
- जन्म के वक्त पीलिया हो जाना
- प्रीमैच्योर बर्थ तथा जन्म के वक्त सांस लेने में तकलीफ।
ऐसे करें बचाव
- आपकी प्रेगनेंसी में इस तरह की समस्या खड़ी न हो, ऐसा सुनिश्चित करने के लिए। आपको कुछ बातों का और बदलावों का खास ध्यान रखना आवश्यक है।
- हेल्दी खाना खाएं, जिससे आपके शरीर को नियमित रूप से पोषण मिलता रहे।
- मैदा, आलू ज्यादा मात्रा में खाने से खास परहेज करें या फिर उन चीजों को जिन्हें पचाने में दिक्कत हो। तथा गैस/एसिडिटी की समस्या बढ़े।
- आहार में फल, सब्जियां, दाल, फलियां, चोकर, जई, ब्राउन राइस, सलाद जरूर खाएं।
- लाइफस्टाइल पर खास ध्यान दें। कोशिश करें कि आप प्रॉपर नींद लें रही हैं। आपको किसी बात का स्ट्रेस नहीं है। तथा आप नियमित रूप से हर काम कर रही हैं।
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कुलदीप सिंह राघव 2017 से Timesnowhindi.com ऑनलाइन से जुड़े हैं।पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर यूपी के बुलंदशहर जिले के छोटे से कस्बे खुर्जा का रहने वाला ह...और देखें
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