इन लोगों को H3N2 वायरस से सबसे अधिक खतरा, एक्सपर्ट से जानिए लक्षण और बचाव के तरीके
H3N2 Virus News In Hindi: भारत में H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस से अब तक 7 मौतें हो चुकी हैं। जिसमें पहली मौत कर्नाटक के हासन जिले के एक 82 वर्षीय व्यक्ति की बताई गई है।
H3N2 वायरस के लक्षण और बचाव के तरीके
अब तक डॉक्टर और विशेषज्ञ केवल अनुमान लगा रहे थे कि H3N2 वायरस कितना खतरनाक हो सकता है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से इस वायरस ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है। भारत में H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस से अब तक 7 मौतें हो चुकी हैं। जिसमें पहली मौत कर्नाटक के हासन जिले के एक 82 वर्षीय व्यक्ति की बताई गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2 जनवरी से 5 मार्च के बीच H3N2 वायरस के 451 मामले दर्ज किए गए हैं। मंत्रालय स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है और इस महीने के अंत तक मामलों में कमी आने की उम्मीद है। भारत में इस वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और सरकार द्वारा जागरूकता बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। लोगों से मास्क पहनने की भी अपील की जा रही है।
H3N2 वायरस के लक्षण
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में CHC टोड़ाभीम, करौली राजस्थान के सीनियर मेडिकल ऑफ़िसर डॉक्टर लोकेश मीणा ने बताया कि H3N2 के लक्षण फ्लू के अन्य रूपों के समान ही होते हैं। इसमें जिन मरीजों को पहले से कोई गंभीर बीमारी जिसमें डायबिटीज, कमजोर फेफड़े, कमजोर इम्युनिटी है उन्हें यह फ़्लू आसानी से संक्रमित कर सकता है। लक्षणों की बात करें तो सीडीसी के अनुसार, इनमें शामिल हो सकते हैं:
- बुखार या शरीर गर्म महसूस होना
- खांसी
- गला खराब होना
- बहती या भरी हुई नाक
- मांसपेशियों या शरीर में दर्द
- सिर दर्द
- थकान
- उल्टी और दस्त (वयस्कों की तुलना में बच्चों में अधिक आम)
H3N2 वायरस क्या है?
H3N2 वायरस इन्फ्लुएंजा A के H1N1 के म्यूटेशन का रूप है, जो किसी भी उम्र और किसी भी उम्र के लोगों को संक्रमित कर सकता है। सीडीसी के अनुसार, इस वायरस के लक्षण खांसी, नाक बहना, मतली, शरीर में दर्द, उल्टी और दस्त सहित किसी भी अन्य मौसमी फ्लू के समान हो सकते हैं।
H3N2 वायरस कैसे फैलता है?
इन्फ्लूएंजा का H3N2 स्ट्रेन सूअरों से मनुष्यों में और मनुष्यों से सूअरों में फैल सकता है। वायरस मुख्य रूप से खांसने और छींकने से उत्पन्न बूंदों के माध्यम से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। वायरस संक्रमित सतहों या मल के संपर्क में आने से भी फैल सकता है। डॉक्टर लोकेश के मुताबिक COVID के बाद से फ्लू और किसी भी फ्लू जैसी बीमारी में वृद्धि हुई है क्योंकि स्कूल खुल गए हैं और लोग उस तरह की स्वच्छता का उपयोग नहीं कर रहे हैं जैसा कि नियमित रूप से मास्क और नियमित रूप से हाथ धोने के साथ किया जाता था और लोग बिना सावधानी के बहार निकल रहे हैं, इसलिए निश्चित रूप से फ्लू के मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
H3N2 वायरस कितने लोगों के लिए खतरनाक है?
डॉक्टर लोकेश के मुताबिक 5 साल से कम उम्र के बच्चे और 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को यह वायरस आसानी से संक्रमित कर सकता है। यदि आपके पास कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली है तो आप जोखिम में हैं। साथ ही अस्थमा, मधुमेह, हृदय रोग जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीज और न्यूरोलॉजिकल या न्यूरोडेवलपमेंटल स्थितियों के साथ रहने वाले मरीज इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।
H3N2 वायरस से बच्चों को कितना खतरा है?
दिल्ली शालीमार बाग स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के बाल रोग विभाग के HOD डॉ परविंदर सिंह नारंग ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से बातचीत में बताया कि बच्चों में फ्लू बहुत आम है, यह इन्फ्लूएंजा टाइप ए या इन्फ्लूएंजा टाइप बी है, और 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 20% बच्चों को फ्लू जैसी बीमारी हो सकती है। ज्यादातर बच्चे 1 हफ्ते में ठीक हो जाते हैं और उन्हें कोई परेशानी नहीं होती है। लेकिन फ्लू के लक्षण तेज बुखार, बदन दर्द, सिरदर्द, गले में खराश, नाक बंद, खांसी, उल्टी और दस्त के साथ बहुत गंभीर हो सकते हैं।
आम तौर पर बच्चे ठीक हो जाते हैं लेकिन वे दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं। अन्य बीमारियों वाले बच्चे जैसे श्वसन रोग- निमोनिया, हृदय रोग पीड़ित बच्चों में संक्रमण गंभीर हो सकते हैं। इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम फ्लू को अच्छी स्वच्छता और टीकाकरण से रोकें।
H3N2 वायरस से बचाव के लिए क्या करें?
डॉक्टर परविंदर सिंह ने बताया कि फ्लू अत्यधिक संक्रामक है, यह एक दूसरे से सांस की बूंदों के माध्यम से फैलता है, इसलिए बहुत अच्छी स्वच्छता रखना महत्वपूर्ण है और मास्क का उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
- किसी बीमार व्यक्ति से मिलने या वायरस के प्रकोप से लड़ने वाले किसी व्यक्ति के संपर्क में आने पर सावधान रहें।
- आमतौर पर ऐसी जगहों पर नहीं जाते।
- बाहर जाते समय मास्क का प्रयोग करें।
- हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखें।
- बीमार होने पर खुद को दूसरों से दूर करने की कोशिश करें ताकि आप संक्रमण को पास न कर सकें।
क्या H3N2 वायरस के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध है?
डॉक्टर परविंदर ने बताया कि 5 वर्ष से कम आयु के सभी बच्चों के लिए इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स द्वारा टीकाकरण की सलाह दी जाती है और हृदय, न्यूरोलॉजी, श्वसन से संबंधित किसी भी चिकित्सा स्थिति वाले व्यक्तियों में भी इसकी सलाह दी जाती है।
इसलिए 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों में टीकाकरण की योजना है। पहले वर्ष में 2 खुराक के साथ शुरू करने के लिए और बाद में बरसात का मौसम शुरू होने से पहले हर साल फ्लू का टीका दोहराएं। गर्भवती महिलाओं को भी इन्फ्लूएंजा वैक्सीन लेनी चाहिए, इससे गर्भ में पल से बच्चे की सुरक्षा होती है।
क्या कोरोना वैक्सीन H3N2 वायरस से बचा सकती हैं?
डॉक्टर लोकेश मीणा ने बताया कि, "नहीं, ऐसा नहीं होगा क्योंकि कोविड-19 और एच3एन2 दोनों वायरस एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं। किसी भी वायरस का टीका उस वायरस की नेचर, उसकी स्प्रेड करने की फ्रेंक्वेंसी आदि के आधार पर बनाया जाता है। कोविड-19 और एच3एन2 वायरस की नेचर और फ्रेंक्वेंसी अलग-अलग होती है इसलिए कोविड का टीका इस इन्फ्लुएंजा वायरस से बचाव में मदद नहीं करेगा। यदि किसी विषाणु यानि वायरस के लिए कोई विशेष टीका बनाया जाता है तो वह उस खास वायरस के अनुसार रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है।"
फ़्लू का टीका H3N2 के खिलाफ कितना कारगर है?
सीडीसी के मुताबिक, फ्लू के टीके आम लोगों में फ्लू के खतरे को 40 से 60 प्रतिशत तक कम करने में मददगार होते हैं। यह टीका H3N2 की तुलना में H1N1 और इन्फ्लुएंजा B वायरस से अधिक सुरक्षा प्रदान करता है। इसका मतलब है कि मौसमी फ्लू का टीका लगवाने के बाद भी आपको H3N2 वायरस का संक्रमण हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रत्येक वायरस साल दर साल उत्परिवर्तित यानि म्यूटेड होता रहता है, लेकिन H3N2 में अधिक आनुवंशिक परिवर्तन होते हैं। इसलिए वैक्सीन में मौजूद स्ट्रेन और मौजूदा दौर में फैल रहे स्ट्रेन में काफी अंतर हो सकता है, जिससे वैक्सीन अब कारगर नहीं रह गई है।
H3N2 में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाना चाहिए?
डॉक्टर परविंदर ने बताया कि फिलहाल लक्षणों को समझने की जरूरत है और एंटीबायोटिक दवाओं का कोई अनावश्यक उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। तेज बुखार, बदन दर्द, सिरदर्द इसके लक्षण हैं। श्वसन संबंधी लक्षण शुरुआत में नहीं बाद में शुरू होते हैं और रोगी को एंटीबायोटिक्स देने की कोई आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि फ्लू एक वायरल बीमारी है और यह अपने आप ठीक हो जाती है। एंटी वायरल दवा यदि पहले 2 दिनों में शुरू की जाती है तो लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है और एंटीवायरल दवा का उपयोग केवल ऐसे मामलों में किया जाता है जहां आप उनका निदान बहुत पहले ही कर लेते हैं। यह सभी रोगियों के लिए आवश्यक नहीं है जब तक कि उनमें कुछ अन्य बीमारी न हो जो ठीक होने में एक और समस्या पैदा कर सकती है।
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