Kidney Health : इन बीमारियों से फेल हो सकती है किडनी, समय रहते लक्षणों को पहचानें
Symptoms Of Kidney Problem: किडनी हमारे शरीर को फिल्टर करने और गंदगी को बाहर निकालने का काम करती है। किडनी से संबंधित बीमारी होने से पहले ही हमारा शरीर संकेत देना शुरू कर देता है। अगर इसकी पहचान और इलाज शुरू में ही हो जाए तो किडनी को स्वस्थ रखा जा सकता है।
Kidney Failure: किडनी खराब होने के शुरुआती लक्षण क्या हैं?
कई बीमारियां हैं जो किडनी को प्रभावित कर सकती हैं । हम अक्सर इन बीमारियों को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन समय के साथ, ये रोग आपके गुर्दे की विफलता के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इसलिए इस तरह की बीमारियों में ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है । आइए जानते हैं कौन सी हैं ये बीमारियां-
गुर्दे की विफलता की बीमारी - Kidney Failure Disease
डायबिटीज और गुर्दे की विफलता (Diabetes and Kidney Failure)- डायबिटीज दो प्रकार की होती है, टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज, आपको किसी भी प्रकार की डायबिटीज हो, दोनों ही किडनी को प्रभावित करती हैं। डायबिटीज की समस्या ज्यादा होने पर किडनी फेल होने की संभावना बढ़ जाती है। जब शुगर ज्यादा हो जाती है तो यह खून में मिल जाती है और किडनी के अंदर लाखों फिल्टरिंग सेल्स को नुकसान पहुंचाती है। धीरे-धीरे यह कोशिका क्षति का कारण बनता है और गुर्दे की विफलता का कारण बन सकता है। इसलिए शुगर को कंट्रोल में रखना जरूरी है।
हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)- उच्च रक्तचाप रक्त वाहिकाओं के संकुचन और संकुचन का कारण बन सकता है। हाई बीपी और किडनी फेलियर जो किडनी सहित पूरे शरीर को प्रभावित करता है। इससे रक्त प्रवाह प्रभावित होता है। ऐसे में किडनी की रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और किडनी फेल हो सकती है।
हेपेटाइटिस और किडनी फेलियर (Hepatitis and Kidney Failure)- हेपेटाइटिस से ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस नामक गुर्दे की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। हमारी किडनी में कई छोटे-छोटे फिल्टर होते हैं। उन्हें ग्लोमेरुली कहा जाता है। ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस इन ग्लोमेरुली, यानी फिल्टर की सूजन है, जिससे किडनी फेल हो सकती है। इसलिए हेपेटाइटिस होने पर किडनी की जांच कराना जरूरी है। डॉक्टर की सलाह से उचित आहार लेना जरूरी है।
यूटीआई UTI- यूटीआई यानी यूरिन इंफेक्शन को अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यह संक्रमण किडनी को भी प्रभावित कर सकता है। यदि आपको ऊपरी मूत्र पथ का संक्रमण है, तो इस बात की संभावना है कि संक्रमण गुर्दे तक पहुंच जाएगा। इससे किडनी की कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए यूरिन इन्फेक्शन न हो इसके लिए उचित देखभाल करना आवश्यक है। इसी तरह यूटीआई होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और इलाज कराना चाहिए।
गुर्दे की बीमारियों के अन्य कारण - Other Causes of Kidney Diseases
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ अन्य शारीरिक समस्याएं या स्थितियां किडनी की बीमारी का कारण बन सकती हैं। इसलिए इन बातों पर भी ध्यान देना जरूरी है। पॉलीसिस्टिक किडनी रोग एक अनुवांशिक बीमारी है। जिसमें किडनी में सिस्ट विकसित हो जाते हैं। शुरूआती दौर में इस सिस्ट से कोई परेशानी नहीं होती है। लेकिन समय के साथ यह दर्द पैदा कर सकता है।
अधिक मात्रा में दर्द निवारक दवाओं का सेवन करने से भी किडनी की समस्या हो सकती है। बच्चों में हेमोलिटिक यूरेमिक सिंड्रोम से किडनी की समस्या हो सकती है। धातु विषाक्तता या सीसा विषाक्तता गुर्दे पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
इनमें से कुछ अन्य कारणों से किडनी फेल भी हो सकती है। किडनी खराब होने या किडनी से जुड़ी गंभीर समस्या होने पर शरीर में कुछ लक्षण नजर आते हैं। अगर आप इस लक्षण को पहचान लेते हैं तो समय रहते ध्यान रख सकते हैं। थकान के साथ सांस फूलना, सीने में दर्द, पेशाब की मात्रा कम होना, पैरों में सूजन किडनी की समस्या के लक्षण हैं।
गुर्दे की विफलता के चरण -Stages of Kidney Failure
गुर्दे की विफलता के कई चरण होते हैं। प्रारंभिक अवस्था में अक्सर इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं। तीसरे चरण में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। तीसरी अवस्था में अक्सर हाथ पैरों में सूजन, पीठ में दर्द, पेशाब के रंग में बदलाव देखा जाता है। चौथी स्टेज में किडनी काम कर रही है लेकिन हालत गंभीर है। इससे एनीमिया, हाई ब्लड प्रेशर और हड्डियों से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं।
पांचवें चरण में गुर्दे पूरी तरह से विफल हो जाते हैं। इस समय कई लक्षण एक साथ नजर आते हैं। सांस लेने में दिक्कत, उल्टी, त्वचा में अत्यधिक खुजली जैसे कई लक्षण हैं। चूंकि किडनी शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, इसलिए लक्षण दिखते ही डॉक्टर के पास जाना और उचित जांच करवाना जरूरी है।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
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प्रणव मिश्र author
मीडिया में पिछले 5 वर्षों से कार्यरत हैं। इस दौरान इन्होंने मुख्य रूप से टीवी प्रोग्राम के लिए रिसर्...और देखें
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