प्रेग्नेंसी में हृदय स्वास्थ्य को भूलकर भी न करें नजरअंदाज, मां और बच्चे को हो सकता है इस चीज का खतरा
Pregnancy Complications In Hindi: गर्भवती महिला के ऊपर डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों का खतरा भी मंडराता रहता है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए काफी गंभीर साबित हो सकता है। यह न सिर्फ गर्भवती महिला बल्कि उनके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
Pregnancy Complications
Pregnancy Complications In Hindi: प्रेग्नेंसी का समय महिलाओं के लिए बहुत नाजुक होता है। इस दौरान महिला को अपने साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे की चिंता भी सताती है। लेकिन इस दौरान महिलाओं को ऐसी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो उनकी गर्भावस्था की जर्नी को जटिलताओं से भर देती हैं। उनके लिए गर्भावस्था के समय को मुश्किल बनाती हैं। गर्भावस्था के महिला का वजन बढ़ता है यह तो सभी जानते हैं। लेकिन इसके साथ-साथ उनके ऊपर डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों का खतरा भी मंडराता रहता है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए काफी गंभीर साबित हो सकता है। यह न सिर्फ गर्भवती महिला बल्कि उनके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी नुकसान पहुंचा सकता है। आपको बता दें महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान हृदय संबंधी समस्याएं ज्यादातर महिलाओं को परेशान करती हैं। इस दौरान हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखना बहुत आवश्यक है, नहीं तो इसके गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
प्रेग्नेंसी में हृदय रोग कैसे घातक साबित हो सकता है?
आपको बता दें कि गर्भवती महिलाओं मे यह मैटरनल डेथ (मातृ मृत्यु) के लिए जिम्मेदार प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है। यह एक ऐसी गंभीर स्थिति है, जिसमें महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान किसी बीमारी की वजह से मृत्यु हो जाती है। या फिर डिलीवरी के बाद 42 दिनों के भीतर महिला की मृत्यु हो जाए, तो इसे भी मैटरनल डेथ कहा जाता है। गर्भावस्था के दौरान हृदय संबंधी समस्याओं का बढ़ता जोखिम भी मातृ मृत्यु का कारण बन सकता है। यह सिर्फ गर्भवती महिला को ही नहीं, बल्कि उनके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
हृदय रोग और मैटरनल डेथ में क्या संबंध है?
गर्भावस्था में हृदय का काम बढ़ जाता है। इस दौरान दिल और रक्त वाहिकाओं को अधिक काम करना पड़ता है। प्रेगनेंसी के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए उसे पर्याप्त पोषण प्रदान करने की आवश्यकता होती है। इसलिए इस दौरान महिला के शरीर में रक्त की मात्रा 30 से 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। ऐसे में हृदय लगातार रक्त को पंप करता रहता है। इस दौरान हार्ट रेट भी बढ़ जाती है। लेबर और डिलीवरी के समय भी लगातार हृदय ऐसे ही काम करता रहता है। जब डिलीवरी का समय आता है, तो शरीर में ब्लड फ्लो, ब्लड प्रेशर और मेटाबॉलिज्म में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। इन बदलावों के कारण महिलाओं में हृदय संबंधी समस्याओं के कारण मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | हेल्थ (health News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
हेल्थ की फ़िक्र हर किसी को होती है। दुनियाभर में कई ऐसी बीमारियां हैं जिनके बारे में हम सभी नहीं जानते हैं, तो कुछ ऐसी बीमारियां हैं जिनसे हम अपने रोजम...और देखें
हर बार लेट आते हैं पीरियड, खुलकर नहीं होती ब्लीडिंग तो अपनाएं ये देसी नुस्खे, एक्सपर्ट ने बताया हेल्दी पीरियड्स के लिए वरदान
हाई यूरिक एसिड का घरेलू इलाज हैं ये 5 सरल नस्खे, झटपट कम करते हैं जोड़ों का दर्द और सूजन
आंखों का चश्मा उतारने का दम रखती हैं ये देसी सब्जी, कमजोर नजर वालों के लिए हैं अमृत, चील जैसी निगाह के लिए आज से खाना कर दें शुरू
एंटीऑक्सीडेंट्स का सुपरडोज हैं ये चमत्कारी फल, इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए हैं बेस्ट,खतरनाक संक्रमणों रखे कोसों दूर
शरीर में बढ़े हुए यूरिक एसिड के होते हैं ये 5 बड़े लक्षण, हल्के में लेने की न करें गलती, जोड़ों की इस बीमारी से ऐसे बचें
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited