Matter of The Heart: क्या युवाओं में बढ़ रहे हैं कार्डियक अरेस्ट के मामले... जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
भारत में कार्डियक अरेस्ट के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पिछले हफ्ते भारत में कार्डियक अरेस्ट के चलते दो यंगस्टर्स की मौत का मामला सामने आया था। ग्रेटर नोएडा में स्कूल में खेलते समय 15 वर्षीय एक बच्चे की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी।
क्या युवाओं में बढ़ रहे हैं कार्डियक अरेस्ट के मामले (Source:istock)
Matter of The Heart: भारत में कार्डियक अरेस्ट के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पिछले हफ्ते भारत में कार्डियक अरेस्ट के चलते दो यंगस्टर्स की मौत का मामला सामने आया था। ग्रेटर नोएडा में स्कूल में खेलते समय 15 वर्षीय एक बच्चे की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी, जबकि तेलंगाना में एक 16 वर्षीय लड़के की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई थी। पहले के जमाने में दिल की बीमारियां केवल उम्रदराज़ लोगों को ही होती थी लेकिन अब युवाओं में भी दिल से जुड़ी बीमारियां देखने को मिल रही हैं। कार्डियक अरेस्ट को लेकर कई राज्यों के डॉक्टर का मानना है कि माता-पिता और शिक्षकों को लगातार हो रहे हार्ट अटैक के मामलों को लेकर इसकी पहचान करना, रोकना और उनका इलाज करना बेहद महत्वपूर्ण है। संबंधित खबरें
युवाओं में बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले लगातार सुर्खियों में छाए रहते हैं। ये मामले दिल दहलाने वाले हैं। फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. महिन्दर सिंह धालीवाली का कहना है कि, ‘युवाओं में कार्डियक अरेस्ट के मामले बहुत कम होते हैं, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि मामले देखने को नहीं मिलते। इन दिनों लगातार कार्डियक अरेस्ट के मामले सामने आ रहे हैं। कार्डियक अरेस्ट होने पर अगर समय रहते इसका इलाज नहीं किया जाए तो व्यक्ति की मौत हो जाती है। बता दें कि अचानक कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब दिल धड़कना बंद कर देता है या इतना पर्याप्त नहीं धड़क रहा होता है कि शरीर को खून की आपूर्ति कर सके। कार्डियक अरेस्ट की शुरुआत दिल संबंधी वजहों से होती है और एक घंटे के भीतर लक्षण दिखने लगते हैं। संबंधित खबरें
धालीवाल का कहना है कि बच्चों में हार्ट अटैके से होने वाली मौतों का आंकड़ा बहुत कम है। आंकड़ों के मुताबित 100,000 बच्चों में से तीन से कम बच्चों की मौत कार्डियक अरेस्ट से होती है। पश्चिमी देशों का डेटा बताता है लगभग इनमें से 25 मामले व्यायाम और खेल के दौरान होते हैं। इसकी तुलना में, प्रत्येक 100,000 वयस्कों में से लगभग 135 में अचानक कार्डियक मौत होती है।संबंधित खबरें
कोविड कितना जिम्मेदारएक्सपर्ट्स का मानना है कि कोविड महामारी के बाद से ही कार्डियक अरेस्ट के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। दुनियाभर में हुए अध्ययनों के मुताबित इस बात का पचा चला है कि कोविड का हल्का संक्रमण भी दिल पर बहुत बुरा असर डालता है। फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में वयस्क जन्मजात हृदय रोग और बाल हृदय रोग विभाग के उप-प्रमुख डॉ. सुशील आजाद का मानना है कि , ‘कोविड के बाद मायोकार्डिटिस के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई थी, लेकिन यह SCD के खतरे को बढ़ाने की वजह हो सकता है, इसे लेकर मुझे यकीन नहीं है। उनका मानना है कि विशेष रूप से युवा वयस्कों (25 से ऊपर) में एक अन्य कारण कोरोनरी धमनी रोग की बढ़ती घटना हो सकती है।
वहीं, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली में कार्डियक पेसिंग और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी की निदेशक डॉ अपर्णा जसवाल ने कहा कि देश में कार्डियक अरेस्ट की संख्या अचानक से बढ़ी है। संबंधित खबरें
उन्होंने कहा, "युवाओं में बढ़ रहे कार्डियक अरेस्ट के मामले खराब लाइफस्टाइल की वजह से हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कोविड की वजह से शरीर की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा है और यह दिल के दौरे की वजह हो सकती है। कोविड ने हमें इस बीमारी को लेकर और कमजोर बना दिया है।संबंधित खबरें
समय रहते संभलने की जरूरतएक्सपर्ट्स का कहना है कि लगातार बढ़ रहे कार्डियक अरेस्ट के मामले चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। इसे समय रहते संभालने की जरूरत है। डॉ मुन्ना दास, कार्डियोलॉजी, एडल्ट एंड इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी, नारायण मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, हावड़ा का कहना है यंगस्टर्स में दिल से जुड़ी बीमारियों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। दास ने कहा कि 25 से 35 वर्ष के बीच के व्यक्तियों में दिल के दौरे और आपात स्थिति के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिल रहे हैं और ये कोई आश्चर्यजनक बात नहीं हैं"।
उन्होंने कहा कि “म हर महीने ऐसे 3-4 मामलों को देखते हैं जिसमें मरीज की उम्र 25-35 होती है। हालांकि अब आधुनिक उपचार व्यवस्था उपलब्ध हैं लेकिन फिर भी सावधानी के तौर पर हमारी यही सलाह है कि स्कूल, कॉलेज, यहां तक कि धावकों के बीच व्यापक स्तर पर कार्डियक स्क्रीनिंग (दिल की संपूर्ण जांच) होनी चाहिए। इस स्क्रीनिंग में जोखिम कारकों, रक्तचाप, दिल से संबंधित लक्षण, पारिवारिक इतिहास और तनाव से संबंधित मुद्दों का पता चल सकता है। संबंधित खबरें
वहीं धर्मशिला नारायण सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में इंटरवेन्शनल कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ. आनंद कुमार पांडे ने कहा, यह हालात चिंता का विषय हैं और अब कोरोनरी धमनी से जुड़ी बीमारी बहुत आम होती जा रही है। इसके साथ ही युवाओं में ह्दय कोशिकाओं में असामान्य इजाफा, अनियमित दिल की धड़कन, एंजाइना, और कई दूसरी गंभीर स्थितियां देखी जा रही हैं जो दिल के दौरे के खतरे में इजाफा करती हैं। पांडे कहते हैं कि स्वस्थ जीवनशैली के प्रति अज्ञानता और खराब खाना, मोटापा, शारीरिक गतिविधि का कम होना इस खतरे को और बढ़ा रहा है।संबंधित खबरें
युवाओं में सडन कार्डियक अरेस्ट की वजहरोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) का अनुमान है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में 25 वर्ष से कम आयु के लगभग 2,000 युवाओं की मौत हर साल कार्डियक अरेस्ट की वजह से हो रही है। SCA युवा धावकों की मौत की अहम वजह है, लेकिन यह उन युवाओं पर भी असर डाल रहा है जो किसी तरह की खेल से जुड़े हुए नहीं है. कार्डियक अरेस्ट की वजह आमतौर पर व्यक्ति की उम्र पर निर्भर करती है।
वहीं अमृता अस्पताल के डॉ. आजाद का कहना है कि 35 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में कार्डियक अरेस्ट की वजह कोरोनरी आर्ट्री बीमारी हो सकती है, लेकिन इससे कम उम्र के युवाओं में कार्डियक अरेस्ट की वजह अलग-अलग हो सकती है। उनका मानना है कि एक वजह ‘हायपरट्रॉपिक कार्डियोमायोपेथी’ हो सकता है, यह आमतौर पर अनुवांशिक होता है और अक्सर इसकी जांच नहीं हो पाती है, युवाओं में कार्डियक अरेस्ट होने की यह सबसे आम वजह है। संबंधित खबरें
अन्य कारणों की बता करें तो, ‘प्राइमरी अरदमिया या दिल के इलेक्ट्रिक गतिविधि की असामन्यता की वजह से भी कार्डियक अरेस्ट होते हैं। ऐसे लोग जिनका दिल सामान्य है, SCD कई बार निदान से चूक गए अनुवांशिक स्थितियों के कारण होता है, जिससे दिल की इलेक्ट्रिकल आवेग पर असर पड़ता है। संबंधित खबरें
मायोकार्डिटिस तीसरा कारण हो सकता है जो आमतौर पर एक संक्रमण से शुरू होता है जिसमें हृदय की दीवारों में सूजन आ जाती है। आजाद ने कहा, "बच्चों में ज्यादातर मायोकार्डिटिस के मामले वायरल संक्रमण के कारण होते हैं।"संबंधित खबरें
कोरोनरी धमनी की बीमारी 35 वर्ष से अधिक उम्र के युवा वयस्कों में भी आम है, लेकिन युवाओं में खराब लाइफस्टाइल की वजह ये असामान्य नहीं है, धूम्रपान, मोटापा, ड्रग्स और प्रारंभिक कोरोनरी धमनी रोग के लिए जिम्मेदार होते हैं। संबंधित खबरें
हालांकि, अमृता अस्पताल के धालीवाल ने स्पष्ट किया कि "दिल की बीमारी वाले सभी बच्चों को अचानक कार्डियक अरेस्ट होने का खतरा नहीं होता है"। उन्होंने यह भी कहा कि "यहां तक कि अगर उनके निदान के कारण जोखिम में वृद्धि हुई है, तब भी कई लोग अपने डॉक्टरों के अनुसार उचित प्रतिबंधों और निगरानी और अनुमति के साथ व्यायाम करके खुद को इस खतरे से बचा सकते हैं। संबंधित खबरें
कैसे लगाएं ऐसी घटनाओं पर रोकथामविशेषज्ञों के अनुसार, आपको इस बीमारी से जुड़े अपने पारिवारिक इतिहास को जानना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे भविष्यवाणी करने और इस तरह की घटनाओं को रोकने में मदद मिल सकती है।
धालीवाल ने कहा, "किशोरों के संबंध में, यह आवश्यक है स्कूल खेल प्रशिक्षक, जिम प्रशिक्षक, शारीरिक प्रशिक्षक को बेसिक लाइफ सपोर्ट ट्रेनिंग यानी BLS दी जानी चाहिए। डॉक्टरों का कहना है कि शिक्षकों या शारीरिक प्रशिक्षकों को एईडी (स्वचालित बाहरी डीफिब्रिलेटर) का उपयोग करने के बारे में भी पता होना चाहिए, यह एक तरह का स्वचालित उपकरण होता है जो असामान्य दिल की धड़कन जो जान के लिए जोखिम पैदा कर सकती है। उसकी पहचान कर लेता है.। अगर जरूरी हो तो इलेक्ट्रिक शॉक भी दिया जा सकता है जो धड़कनों पर असर डाल कर दिल को फिर से स्थापित करने में मदद करता है। संबंधित खबरें
किसी भी तरह की खेल गतिविधि के लिए डॉक्टर या बाल रोग विशेषज्ञ से मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त करना बहुत महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके अलावा अगर परिवार में किसी को 50 की उम्र से पहले अचानक कार्डियक अरेस्ट हुआ है तो स्कूल में इसकी जानकारी मुहैया कराई जानी चाहिए। संबंधित खबरें
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Ritu raj author
शुरुआती शिक्षा बिहार के मुजफ्फरपुर से हुई। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन पूरा ...और देखें
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