High Cholesterol Symptoms: सावधान! आंखों के आसपास ऐसे धब्बे हो सकते हैं बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के लक्षण

Foods that Low Cholesterol Fast: कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना एक गंभीर समस्या है जो आपके हृदय रोग, दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है। कुछ खान-पान खराब कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। इसके कुछ लक्षण आपकी आंखों में देखे जा सकते हैं। आइये जानते हैं -

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Cholesterol symptoms in eyes: आंखों में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का क्या कारण है?

High Cholesterol के लक्षण: बदलती जीवनशैली, गलत खान-पान और तनावपूर्ण रहन-सहन के कारण कोलेस्ट्रॉल की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। कम उम्र में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या के कारण युवाओं में हार्ट अटैक की घटनाएं भी बढ़ी हैं। कम उम्र में दिल से जुड़ी बीमारियों की शुरुआत होने से चिंता बढ़ रही है। हाई कोलेस्ट्रॉल चेतावनी संकेत (High Cholesterol Warning Symptoms) आंखों के चारों ओर देख सकते हैं।

बहुत से लोग नहीं जानते कि रक्त में कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol in Blood) बढ़ गया है। इसलिए कोई सावधानी नहीं बरती जाती है। नतीजतन, यह स्ट्रोक, उच्च रक्तचाप और कभी-कभी दिल के दौरे जैसे गंभीर परिणामों का सामना करने का समय है। दरअसल, अगर इंसान के शरीर का ह्यूमन बॉडी मैथ गलत हो जाए तो यह कई बार हमें किसी न किसी तरह से संकेत देता है। कोलेस्ट्रॉल के मामले में भी यही सच है। उच्च कोलेस्ट्रॉल के लक्षण हमारे शरीर में कुछ अन्य परिवर्तन होते हैं।

उच्च कोलेस्ट्रॉल के लक्षण (High Cholesterol Symptoms) इसलिए उन परिवर्तनों पर गंभीरता से ध्यान देना आवश्यक है। अगर समय रहते इन लक्षणों को पहचान लिया जाए तो हम समय पर देखभाल या दवा से कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में ला सकते हैं और आगे के जोखिम से बच सकते हैं। तो आप कैसे जानेंगे कि कोलेस्ट्रॉल हाई है?

जैंथिलास्मा : बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के मुख्य लक्षणों में से एक है जैंथिलास्मा (xanthelasma)। आंखों के आसपास पीलापन नजर आने लगता है। त्वचा के नीचे जमा कोलेस्ट्रॉल के कारण यह पीलिया प्रकट होता है। इससे कोई दर्द नहीं होता है इसलिए इस लक्षण को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

Orcus senilis : Orcus senilis एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपकी आंखों के कॉर्निया के आसपास एक नीली या सफेद परत जमा होने लगती है। कॉर्निया के ऊपर या नीचे की तरफ निशान बनने लगते हैं। वे समय के साथ बढ़ सकते हैं। ऐसा शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा होने के कारण होता है।

सेंट्रल रेटिनल आर्टरी रेटिनल वेन ऑक्लूजन : इस लक्षण में आंखों की नसों में ब्लॉकेज के कारण आंखों में खून के थक्के बनने लगते हैं। या पूरी आंख लाल नजर आने लगती है। हालांकि इससे कोई दर्द नहीं होता है, लेकिन इससे दृष्टि संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। दृष्टि खोने का भी खतरा होता है। इसलिए यह लक्षण (Central retinal artery retinal vein occlusion) दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना जरूरी है।

शरीर पर गांठ होना : अक्सर शरीर पर कहीं भी गांठ हो जाती है। इसे लिपोमा कहते हैं। यह एक प्रकार का ट्यूमर है। यह बड़ा या छोटा हो सकता है। लेकिन गांठों के कारण (Lump on Body) कोई दर्द नहीं होता है। खून में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर इस तरह के ट्यूमर कंधे, हाथ या पैर में बनते हैं। शरीर पर ऐसे ट्यूमर की उपस्थिति को बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल के संकेत के रूप में समझा जाना चाहिए।

सोरायसिस : नए शोध के अनुसार हाई कोलेस्ट्रॉल और सोरायसिस (Psoriasis) के बीच संबंध है। इसे हाइपरलिपिडिमिया कहते हैं। इसमें कई बीमारियां शामिल हैं। इससे रक्त में वसा की मात्रा बढ़ जाती है। हालांकि हाइपरलिपिडिमिया का इलाज किया जा सकता है, यह अक्सर एक आजीवन समस्या होती है। इसलिए समय रहते जीवनशैली में सही बदलाव कर समस्या को कम किया जा सकता है।

त्वचा का रंग बदलना : यदि कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है, तो यह त्वचा के नीचे की नसों में रक्त के प्रवाह को कम कर सकता है। इससे त्वचा की कोशिकाओं को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता और त्वचा का रंग बदलने (Skin color change) लगता है। इसके अलावा, यदि आप लंबे समय तक खड़े रहते हैं, तो पैरों के आस-पास का क्षेत्र बैंगनी हो सकता है। वहीं अगर पैरों को किसी ऊंचे स्थान पर रखा जाए तो ये पीले रंग के दिखाई दे सकते हैं।

पैरों और हाथों की त्वचा पर प्रभाव : पैरों के तलवों पर आंखों के चारों ओर नीले और पीले मोमी पैच बन गए थे और हाथों की पीठ पर नीले और पीले कण बन गए थे। इसे जैतोमा कहा जाता है।

शरीर में इस लक्षण को पहचानकर और समय पर सावधानी बरतने से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रण में रखने में मदद मिल सकती है। इसके लिए कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए सही आहार लेना (Foods For Cholesterol) पर्याप्त नींद लेना और व्यायाम करना सही विकल्प होंगे। तनाव कम करना भी जरूरी है। अगर उचित देखभाल की जाए तो कोलेस्ट्रॉल को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

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प्रणव मिश्र author

मीडिया में पिछले 5 वर्षों से कार्यरत हैं। इस दौरान इन्होंने मुख्य रूप से टीवी प्रोग्राम के लिए रिसर्च, रिपोर्टिंग और डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए काम किया...और देखें

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