सांप काटने पर घोड़े की मदद से किया जाता है इलाज, जानिए कैसा हो प्राथमिक उपचार जिससे बचाई जा सके जान

जहर को जहर ही काटता है, ये कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये केवल कहावत नहीं है ऐसा सच में होता है। जी हां सांप के काटने पर जो एंटीवेनम लगाया जाता है, वो सांप के जहर से ही बना होता है। तो आइए जानते हैं सांप काटने की दवा कैसे बनती है और इसमें घोड़ों को क्या योगदान है, साथ ही जानेंगे सांप के काटने पर तुरंत क्या करना चाहिए।

how snake antivenom made

दुनिया में सांपों की करीब 3000 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से केवल 600 ही विषैली हैं। यानी दुनिया के मात्र 20 प्रतिशत सांप ही जहरीले हैं। भारत की बात करें, तो देश में सांपों की लगभग 270 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 70 के करीब ही जहरीली हैं। भारत में, हर साल लगभग 30 से 40 लाख लोग सर्पदंश का शिकार होते हैं, जिसमें से लगभग 50,000 लोगों की मौत हो जाती है, जो वैश्विक स्तर पर सांप के काटने से होने वाली सभी मौतों का आधा है। 90% मामले चार सांपों के कारण होते हैं- कॉमन क्रेट (करैत), इंडियन कोबरा, रसेल वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर। इनमें से ज्यादातर लोग उपचार में देरी के चलते मरते हैं। आइए जानते हैं क्या है सांप के काटने पर सही उपचार क्या है।

सांप के काटने पर क्या करना चाहिए?

  1. सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति को शांत रखने की कोशिश करें, उसे भरोसा दिलाएं कि ज्यादातर सांप जहरीले नहीं होते।
  2. सांप के रंग और आकार को याद रखने की कोशिश करें।
  3. प्रभावित हिस्से को ढीला रखें, वहां से घड़ी, जूते, आभूषण वगैरह हटा दें, ताकि खून के बहाव में कोई रुकावट न आए।
  4. जिस हिस्से को सांप ने काटा है, उसे बांधें नहीं, ना ही वहां से जहर चूसने की कोशिश करें।
  5. घाव को पानी और साबुन से साफ करें लेकिन घाव के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ से बचें।
  6. मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाएं और उसे एंटीवेनम दिलवाएं।
  7. सांप काटने के बाद पीड़ित को डॉक्टर तक ले जाने और इलाज शुरु होने तक किया गया प्राथमिक उपचार बहुत प्रभावी होता है, लेकिन जान बचाने में सबसे प्रभावी होता है, एंटीवेनम।

कैसे बनाया जाता है एंटीवेनम?

सांप काटने की दवा या एंटीवेनम बनाने के लिए सांप के ही जहर का इस्तेमाल किया जाता है। ये सांप के जहर को निष्क्रिय कर देता है। फ्रांसीसी वैज्ञानिक और चिकित्सक अल्बर्ट कैलमेट को पहला एंटीवेनम बनाने का श्रेय दिया जाता है। इसके उत्पादन में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला जानवर घोड़ा है। सांप के जहर को सबसे पहले नियंत्रित मात्रा में घोड़े को दिया जाता है। जिसके बाद जहर की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाई जाती है। घोड़ों को जहर दिए जाने के कुछ दिन बाद उनका इम्यून सिस्टम प्राकृतिक रूप से इसके खिलाफ एंटीबॉडी (Antibodies) बनाता है। इसके बाद इन घोड़ों के खून से प्लाज्मा निकाला जाता है, जिसमें एंटीबॉडीज होते हैं। इस प्लाज्मा को कई प्रॉसेस से गुजारने के बाद एंटीवेनम तैयार किया जाता है।

End Of Feed