वर्क लाइफ बैलेंस मेंटेन करने के चक्कर में वर्किंग लोगों में बढ़ रहा हाइपरटेंशन, स्टडी में हुआ खुलासा
Hypertension and Work Life Balance: अच्छे स्वास्थ्य के लिए संतुलित जीवनशैली सबसे जरूरी है। वहीं, अच्छे मानसिक स्वास्थ्य और नींद के लिए आपको कामकाजी जीवन को संतुलित करने की भी सबसे ज्यादा जरूरत है। लेकन आजकल वर्किंग लोगों में हाइपरटेंशन का मामला बढ़ रहा है, आइये विस्तार से जानते हैं-
ऑफिस के चक्कर में हो रही है सेहत खराब
Hypertension Causes: वर्क लाइफ बैलेंस न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन आजकल अधिकतर आबादी वर्किंग है। हर कोई जीवनयापन के लिए कहीं न कहीं कोई काम कर रहा है। पुरूषों और महिलाओं की बात करें तो वह घर के काम के साथ ऑफिस के आम को भी मैनेज कर रहे हैं। ऑफिस प्रेशर, उनके बॉस की खरी खोटी उनके मेंटल हेल्थ पर इम्पैक्ट डाल रहा है।ऐसे में उनके जीवन में तनाव होना होना स्वाभाविक है और तनाव के कारण हाइपरटेंशन का बढ़ना तय है। यह एक स्टडी में बात सामने आयी है। जिंदल नेचरक्योर इंस्टीट्यूट ने खुलासा किया है कि काम और जीवन के बीच संतुलन न होने के कारण कामकाजी आबादी में हाइपरटेंशन बढ़ रहा है।
हॉस्पिटल जिंदल नेचरक्योर इंस्टीट्यूट (Jindal Naturecure Institute) ने स्टडी में पाया कि कामकाजी आबादी में हाइपरटेंशन के केसों में चिंताजनक वृद्धि हुई है क्योंकि लोग आलस भरी लाइफस्टाइल और तनावपूर्ण कामकाजी रूटीन में फिर वापस आ गए हैं। भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल के कारण लोगों के पास योग, एक्सरसाइज और स्वस्थ डाइट जैसी महत्वपूर्ण चीजों को करने के लिए बहुत कम समय रह गया है। इस वजह से हाइपरटेंशन की घटना बढ़ी है।
पुरुष मरीजों में 200% और महिला मरीजों में 425% की वृद्धि
जिंदल नेचरक्योर इंस्टीट्यूट (JNI) द्वारा साल 2021-2022 और 2022-2023 के लिए इकट्ठा किए गए डाटा से हाइपरटेंशन की शिकायत के साथ इंस्टीट्यूट में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि का पता चलता है। इस समय के दौरान कलेक्ट किए गए डाटा की तुलना करने पर हाइपरटेंशन के मरीजों में 153.42% की वृद्धि देखी गई है। उम्र के आधार पर डेटा का एनालिसिस करने पर पता चलता है कि यह एक चिंताजनक ट्रेंड है। 19 से 35 वर्ष के आयु वर्ग में 2021-2022 से 2022-2023 तक पुरुष मरीजों में 200% की वृद्धि और महिला मरीजों में 425% की वृद्धि हुई है।
इसी प्रकार 36 से 50 वर्ष आयु वर्ग में पिछले साल की तुलना में पुरुष मरीजों में 171% की वृद्धि और महिला मरीजों में 152% की वृद्धि हुई है। सबसे चिंताजनक वृद्धि 51 से 70 वर्ष आयु वर्ग में देखी गई, जहां पुरुष मरीजों में 132% की वृद्धि हुई और वहीं इस आयु वर्ग में महिला मरीजों में 153% की वृद्धि हुई है। यहां तक कि वृद्ध आबादी (70 साल से ज्यादा) में भी हाइपरटेंशन के केसों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस आयु वर्ग के पुरुष मरीजों में 300% की वृद्धि हुई है और महिला मरीजों में 154% की वृद्धि हुई है।
हाइपरटेंशन की वजह से हार्ट अटैक और स्ट्रोक में होती है बढ़ोतरी
भारत में केवल 12% लोग ही हैं जो अपने हाइपरटेंशन का मैनेजमेंट प्रभावी ढंग से करते हैं। यह डाटा अनकंट्रोल्ड हाइपरटेंशन की चिंताजनक स्थिति पर प्रकाश डालता है, क्योंकि हाइपरटेंशन की वजह से हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी हृदय संबंधी बीमारियों (CVDs) में वृद्धि होती है। चिंताजनक बात यह है कि हृदय से संबंधित बीमारियां भारत में कुल मृत्यु दर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा, विशेष रूप से एक तिहाई मौत के लिए जिम्मेदार है।
जिंदल नेचरक्योर इंस्टीट्यूट की चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ बबीना NM ने कहा, "कोविड के बाद नए नॉर्मल में आलस भरी लाइफस्टाइल होने से लोग शारीरिक गतिविधि नही कर रहे हैं। लोग अस्वस्थ भोजन को ज्यादा खा रहे हैं। हालांकि कोविड के दौरान या लॉकडाउन समाप्त होने के बाद भी लोग अपनी इम्यूनिटी के बारे में चिंतित थे और एक्टिव होकर हेल्दी डाइट और एक्सरसाइज का पालन कर रहे थे लेकिन अब लोग बिना किसी शारीरिक एक्सरसाइज के अनहेल्दी डाइट और नॉर्मल डेली रूटीन पर वापस आ गए हैं। इस कामकाजी लोगों में हाइपरटेंशन के केस बढ़े हैं। इस उसे उन्हें हृदय से संबंधित बीमारियों के होने खतरा काफी ज्यादा बढ़ गया है।
इस तरह कम कर सकते हैं हाइपरटेंशन
नियमित फिजिकल एक्टिविटी गतिविधि जैसे योग और खान-पान की आदतों को अपनी डेली रूटीन में शामिल करके अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं। निष्क्रिय लाइफस्टाइल अपनाने से हृदय संबंधी बीमारियों के होने का खतरा हो सकता है। हाइपरटेंशन की वजह से आर्टरीज का सख्त होना और उनके भीतर प्लाक का जमा होना शामिल है। जब आर्टरीज हार्ड और पतली हो जाती हैं, तो यह हार्ट की पंपिंग सिस्टम पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे हाइपरटेंशन में वृद्धि होती है। नियमित रूप से किसी न किसी प्रकार का योग करने से मांसपेशियों को आराम देने और हाई ब्लड प्रेशर के प्रभावों को कम करने की क्षमता मिलती है। हाई ब्लड प्रेशर को कम करने पर इसके डायरेक्ट इफ़ेक्ट के अलावा लगातार योग करने से हाइपरटेंशन से जुड़े खतरों को भी कम किया जा सकता है।
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