Gastroesophageal Reflux Disease: हार्ट बर्न से हैं परेशान तो ये हैं इसके पीछे के कारण, ऐसे पाएं छुटकारा
Gastroesophageal reflux disease: आजकल अधिकतर लोगों का पाचन तंत्र गड़बड़ रहता है। इसके कारण भी उन्हें हार्ट बर्न या सीने में जलन की समस्या रहती है। बता दें कि जिन लोगों के लिए ये प्रोब्लम क्रोनिक बन गई है, वे कुछ भी खाने से डरते हैं। चिकित्सकीय बोलचाल में गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज कहते हैं। इस बीमारी से पीड़ित लोगों को लगता है कि सीने में जलन हो रही है। स्फिंक्टर को सही से आराम नहीं मिलता या यह कमजोर हो जाता है। यहीं गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स बीमारी होती है।
सीने में जलन है तो घबराएं नहीं, अपने डॉक्टर के पास जाएं।
तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
- स्फिंक्टर कमजोर होने से गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स बीमारी होती है
- भोजन के बाद स्टोमक का एसिड ऊपर की ओर आहार नली में आने लगता है
- इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है अपनी दिनचर्या में बदलाव
अधिक मसालेदार व तले भोजन से पाचन तंत्र में गड़बड़ी वाले लोगों को सीने में जलन होने के साथ ही खट्टी डकारें आने लगती हैं। जिसे चिकित्सकीय बोलचाल में गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज कहते हैं। इससे पहले एसिड रिफ्लक्स होता है, बाद में जब यह क्रोनिक बन जाता है तो यह जीईआरडी में तबदील हो जाता है। भोजन करने के बाद स्टोमक का एसिड उपर की ओर आहार नली में आने लगता है। इस वजह से इस बीमारी से पीड़ित लोगों को लगता है कि सीने में जलन हो रही है। गौरतलब है कि भोजन नली हार्ट के पास से गले तक जाती है, इसलिए लोगों को लगता है कि हार्ट में जलन हो रही है।
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क्या है इस समस्या की जड़
दरअसल आहार नली के पिछले हिस्से में चारों ओर मांसपेशियों का एक झुंड होता है। जिसे मेडिकल भाषा में स्फिंकटर कहते हैं। स्फिंकटर हमारे मुंह और आंत के बीच में दरवाजे का काम करता है। जब हम खाना निगलते हैं तो यह स्वतः खुल जाता है और खाना पेट के अंदर जाता है तो यह बंद हो जाता है। अब ध्यान देने की बात ये है कि अगर स्फिंकटर को सही से आराम नहीं मिलता या यह कमजोर हो जाता है गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स बीमारी होती है।
ये लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर को बताएं
अगर आपको भोजन करने के बाद रात को सोते समय सीने में जलन होती है तो घबराएं नहीं। इसके अलावा जलन का बढ़ना, खट्टी डकारें आना, पेट के ऊपरी हिस्से या सीने में दर्द, भोजन निगलने में दिक्कत होना, गले में गांठ के जैसे लगना व सीने में स्पूटम जैसा महसूस होना, आहार नली में सूजन या फिर दमा के लक्षण नजर आना आदि अगर लगे तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं। दरअसल, ये सब लक्षण गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स की वजह से रोगी को शरीर में महसूस होते हैं।
इस तरह से लें उपचार
गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स के रोगी की डॉक्टर एंडोस्कोपी के जरिए जांच पता लगाते हैं कि उसे कहां समस्या हो रही है। इसके बाद दवाओं के माध्यम से रोग को ठीक किया जाता है। हालांकि इस बीमारी के लिए कुछ घरेलू नुस्खे भी कारगर होते हैं। जैसे हमेशा बाईं ओर करवट बदलकर सोएं, अपनी दिनचर्या में बदलाव करें व तेल, मसालेदार भोजन व जंक फूड सहित शराब व धूम्रपान से परहेज करें। गर्म पानी पिएं, व्यायाम करें व समय पर भोजन करें। इनसे काफी हद तक आप इस बीमारी से बच सकते हैं।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
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