युवाओं में Cholesterol के बढ़ते मामले देख भारत ने जारी की गाइडलाइन, कोलेस्ट्रॉल के मरीज करना शुरू कर दें फॉलो, कम होगा हृदय रोगों का खतरा
India Introduce First-Ever Lipid Guidelines: देश में हाई कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोगों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह लोगों की मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक बन चुके हैं। इसकी गंभीरता को देखते हुए भारत ने पहली बार लिपिड को कंट्रोल करने के लिए गाइडलाइन जारी की है। यहां जानें गाइडलाइन में क्या सुझाव दिए गए हैं...

India Introduce First-Ever Lipid Guidelines
India Introduce First-Ever Lipid Guidelines: देश में बढ़ते कोलेस्ट्रॉल के मामलों के देखते हुए भारत ने इससे निपटने के लिए बहुत महत्वपूर्ण कदम उठाया है। देश हृदय रोगों के खतरे को कम करने के लिए लिपिड को लेकर गाइडलाइन्स जारी की हैं। जैसी कि हम सभी जानते हैं, हाई कोलेस्ट्रॉल हृदय रोगों के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है। कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (CSI) ने डिस्लिपिडेमिया (हाई कोलेस्ट्रॉल) के प्रबंधन पर भारतीयों के लिए पहली बार दिशानिर्देश जारी किए। डिस्लिपिडेमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हमारे रक्त में लिपिड (फैट) का स्तर असामान्य हो जाता है। जैसे हाई कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड्स। इसकी वजह से ही हार्ट अटैक, स्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिलती हैं। इन खतरों को कम करने और सेहतमंद रहने के लिए लिए गाइडलाइन में क्या कुछ बताया गया है, इस लेख में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं..
भारतीयों के लिए नए लिपिड गाइडलाइन में क्या सुझाव दिए गए हैं?
नॉन-फास्टिंग लिपिड माप: नई गाइडलाइन में यह बताया गया है कि जोखिम के आकलन और उपचार के लिए नॉन-फास्टिंग लिपिड माप की सलाह देती हैं।
खानपान से जुड़े कारक: ज्यादा चीनी और कार्बोहाइड्रेट ब्लॉकेज बढ़ाने में योगदान देते हैं। यह मामूली फैट से अधिक नुकसानदेह हो सकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल प्रबंधन: कोलेस्ट्रॉल को दवा के साथ मैनेज किया जा सकता है। गैर-स्टेटिन दवाएं यदि अप्रभावी हो, तो इंजेक्टेबल लिपिड-कम करने वाली दवाएं जैसे पीसीएसके9 इनहिबिटर या इनक्लिस ले सकते हैं।
अधिक जोखिम वाले कारक: गाइडलाइन में हृदय रोग के अत्यधिक जोखिम वाले व्यक्तियों की पहचान करने का सुझाव दिया गया है। ऐसे लोग जो वर्षों से आवर्ती संवहनी घटनाओं जैसे परिधीय धमनी रोग और एथेरोस्क्लेरोसिस से जूझ रहे हैं।
डायबिटीज और आनुवंशिकी: अगर किसी व्यक्ति को 20 वर्षों से अधिक समय से डायबिटीज है, या परिवार में किसी को रही है, तो यह खराब कोलेस्ट्रॉल हाई होने के पीछे जिम्मेदार हो सकते हैं।
शीघ्र पता लगाना: एफएच जीन का शीघ्र पता लगाने से कोलेस्ट्रॉल के इलाज में काफी मदद मिल सकती है।
लिपोप्रोटीन (ए): यह 25% भारतीयों को प्रभावित करने वाले लिपोप्रोटीन है। यह 50 मिलीग्राम/डीएल से नीचे होना चाहिए। हालांकि इस स्थिति के लिए कोई विशिष्ट उपचार मौजूद नहीं है।
ट्राइग्लिसराइड्स और गैर-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल: जिन लोगों में इनका स्तर 150 मिलीग्राम/डीएल से अधिक है, उन्हें तुरंत जीवनशैली में बदलाव के साथ उपचार लेन चाहिए।
स्क्रीनिंग के लिए सही उम्र: एक्सपर्ट की मानें तो 18 साल की उम्र में पहली लिपिड प्रोफाइल स्क्रीनिंग की जा सकती है।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
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