भारत में डोलो-650 को कैडबरी जेम्स की तरह खाते हैं लोग, अमेरिकी डॉक्टर ने दी चेतावनी, लापरवाही हो सकती है जानलेवा

Indians take Dolo-650 like it's Cadbury Gems: डोलो-650 कोई मिठाई नहीं है जिसे बिना वजह भी खा सकते हैं। यह एक असरदार दवा है, लेकिन तभी तक जब तक इसका सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए। हाल में एक अमेरिकी डॉक्टर का एक ट्वीट काफी वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने बताया है कि भारत में लोग डोलो-650 को कैडबरी जेम्स की तरह खा रहे हैं, जो जानलेवा हो सकता है। यहां जानें यह क्यों है स्वास्थ्य के लिए खतरनाक।

Indians take Dolo-650 like it's Cadbury Gems In Hindi

Indians take Dolo-650 like it's Cadbury Gems

Indians take Dolo-650 like it's Cadbury Gems: अगर आप भारत में रहते हैं, तो डोलो-650 नाम की यह सफेद छोटी गोली आपके लिए किसी परिचय की मोहताज नहीं होगी। सिरदर्द हो, बुखार आए या बस थोड़ा थकान महसूस हो तो लोग तुरंत डोलो खा लेते हैं, बिना ये सोचे कि इसकी जरूरत है भी या नहीं। कोविड-19 के समय तो जैसे हर घर में डोलो का स्टॉक अनिवार्य हो गया था। पर क्या आपने कभी सोचा है कि इस दवा का बार-बार सेवन सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है?

अमेरिका के डॉक्टर पलनियप्पन मणिक्कम का एक ट्वीट काफी तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने कहा है "भारतीय डोलो-650 को कैडबरी जेम्स की तरह खाते हैं।" यह सुनने में मजाक जैसा लग सकता है, लेकिन इसने एक बहुत गंभीर मुद्दे की ओर इशारा किया है- वह है भारत की पिल-पॉपिंग आदत, यानी जरूरत हो या न हो, बस गोली खा लो।

डोलो-650 की लोकप्रियता कैसे बनी?

डोलो-650 को माइक्रो लैब्स (Micro Labs) बनाता है और इसमें 650mg पैरासिटामोल होता है, जो आमतौर पर मिलने वाली 500mg की तुलना में ज्यादा डोज है। कोविड-19 की दूसरी लहर में जब बुखार और वैक्सीन के साइड इफेक्ट से राहत के लिए पैरासिटामोल लेने की सलाह दी गई, तब डोलो-650 की मांग अचानक से आसमान छूने लगी। IQVIA की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उस समय इसकी बिक्री रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई थी।

मीम्स से लेकर मेडिकल किट तक: “इंडिया का फेवरेट स्नैक”

सोशल मीडिया पर डोलो को लेकर इतने मीम्स बने कि लोग इसे "इंडिया का फेवरेट स्नैक" तक कहने लगे। मजाक में ही सही, लेकिन यह दिखाता है कि लोग इसे कितनी सहजता से इस्तेमाल करने लगे हैं जैसे ये कोई टॉफी हो। और यहीं से शुरू होती है असली समस्या।

जब जरूरत न हो, तब भी गोली

लोग अब डोलो सिर्फ बुखार में नहीं, बल्कि थकान, तनाव, और कभी-कभी “सिर्फ एहतियात” के तौर पर भी ले लेते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि बिना किसी डॉक्टर से पूछे ही लोग इसे नियमित रूप से लेने लगते हैं। यह आदत धीरे-धीरे शरीर में दवा की आदत डाल देती है और इसके साइड इफेक्ट्स नजर आने लगते हैं, खासकर लीवर पर बुरा असर पड़ता है।

डॉक्टर क्यों दे रहे हैं चेतावनी?

पैरासिटामोल को सुरक्षित दवा माना जाता है, लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा शरीर के लिए जहरीली हो सकती है। बार-बार और बिना निगरानी के इसका सेवन लीवर डैमेज, यहां तक कि लीवर फेलियर का कारण बन सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि भारत में दवा लेने की आदत में बदलाव लाना बहुत जरूरी हो गया है।

हर परेशानी में गोली नहीं जरूरी

हर सिरदर्द या थकान का मतलब ये नहीं कि गोली खा ली जाए। कई बार आराम, पानी पीना या हल्का खाना ही काफी होता है। जरूरी है कि हम अपनी सेहत को लेकर थोड़ा और जागरूक बनें और डॉक्टर की सलाह के बिना दवाएं लेना बंद करें।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

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Vineet author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर चीफ कॉपी एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से दिल्ली का रहने वाला हूं। हेल्थ और फिटनेस जुड़े विषयों में मेरी खास दिलचस्पी है।...और देखें

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