International day of unborn child 2023: अबॉर्शन करवाने से होते हैं ये गंभीर साइड इफेक्ट्स, गर्भपात से पहले जान ले ये जरूरी बातें

International day of unborn child 2023: अनचाही प्रेग्नेंसी या सेहत से जुड़े किसी अन्य गंभीर कारण की वजह से गर्भपात करवाना या हो जाना हेल्थ के लिए काफी रिस्की हो सकता है। वहीं बार बार अबॉर्शन करवाने से गर्भाशय की क्षमता से लेकर कन्सीव करने की संभावना तक में भारी घटत होती है। यहां देखें अबॉर्शन से होने वाले साइड इफेक्ट्स और कुछ जरूरी बातें।

World International Day of unborn child 2023

World International Day of unborn child 2023

International day of unborn child 2023: मां बनने का सुख एक औरत की जिंदगी में बहुत खास होता है, हालांकि कई मामलों में महिलाएं इस सुख का अनुभव नहीं कर पाती हैं। अब ऐसा होने के पीछे प्राकृतिक और अप्राकृतिक दोनों ही तरह के कारण हो सकते हैं। कारण कोई भी हो इस तरह की स्थिति पैदा होने पर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को क्षति पहुंचती ही पहुंचती है। अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा पाने के लिए करवाया गया गर्भपात हो या किन्हीं मेडिकल कारणों से हुआ गर्भावस्था गर्भपात हो, दोनों ही मामलों में महिला के शरीर पर होने वाले साइड इफेक्ट्स खतरनाक होते हैं।

इन लॉन्ग और शॉर्ट टर्म साइड इफेक्ट्स में बच्चे दानी का कमजोर होना, बच्चे दानी फट या खिसक जाना, बांझपन, भविष्य में कन्सीव करने में दिक्कत तथा बार बार गर्भावस्था गर्भपात शामिल है। अप्राकृतिक ढंग से कोख में पल रहे बच्चे को गिराने की प्रक्रिया बहुत जोखिम वाली होती है, जिसमें बच्चे के साथ साथ मां की जान जाने का भी खतरा रहता है। वहीं अगर गर्भपात बार बार करवाया जाए, तो महिलाओं की शारीरिक स्थिति और खराब हो सकती है। यहां देखें अबॉर्शन करवाने से होने वाले साइड इफेक्ट्स और गर्भपात की प्रक्रिया से जुड़े रिस्क की जानकारी। जिन्हें आपको गर्भपात करवाने या कोई ऐसा जोखिम उठाने से पहले जरूर ध्यान में रखना चाहिए -

Side Effects of Abortion, अबॉर्शन के साइड इफेक्ट्स

प्राकृतिक या अप्राकृतिक दोनों ही प्रकार के ढंग से गर्भ में बच्चे की मृत्यु हो जाना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा पाने के लिए बार बार करवाया गया गर्भपात या फिर गर्भावस्था गर्भपात शरीर के लिए बहुत भारी पड़ सकता है। गर्भपात के कारण महिलाओं में उच्च रक्तचाप, दिल की कोई गंभीर बीमारी, टाइप 2 डायबिटीज, इंफेक्शन आदि की समस्या उत्पन्न हो सकती है। देखें अबॉर्शन से होने वाले गंभीर शॉर्ट एवं लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट्स -

3 हफ्तों तक ब्लीडिंग

गर्भपात होने के बाद लगभग 3 से 4 हफ्तो तक खून का रिसाव होता है। अब क्योंकि अप्राकृतिक तरीके से बच्चे को पेट में गिराया गया है, जिसकी वजह से ब्लीडिंग होना तय ही होता है।

एनीमिया का रिस्क

गर्भपात के कारण महिलाओं में आयरन की कमी हो जाती है, जिससे एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी का रिस्क बहुत हद तक बढ़ जाता है। दरअसल गर्भपात की प्रक्रिया में खून की बहुत ज्यादा कमी होती है, और सही से इलाज न होने पर महिलाएं कमजोर और एनीमिक हो जाती हैं।

इंफेक्शन

अबॉर्शन की प्रक्रिया के बाद वैजाइना, बच्चे दानी आदि में किसी भी तरह का अंदरूनी इंफेक्शन होने का बहुत ज्यादा रिस्क रहता है। अबॉर्शन प्रक्रिया में इस्तेमाल किए गए औज़ार या अबॉर्शन के बाद खराब देखभाल और गंदगी के कारण ऐसा हो सकता है।

उल्टी, दर्द और चक्कर

गर्भपात के लंबे समय तक महिलाओं को क्रैम्प, दर्द, उल्टी, जी मिचलाना, ठंड लगना, सिर घूमना, थकान, बुखार, कमर दर्द आदि की शिकायत हो सकती है।

दोबारा प्रेग्नेंट होने में दिक्कत

बार बार गर्भपात या गर्भपात होने की स्थिति में गर्भाशय की परत पर बहुत नकारात्मक असर होता है। जिससे दोबारा प्रेग्नेंट होने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। कई स्थितियों में गर्भपात के कारण बांझपन की शिकायत भी हो सकती है।

यूटरस फटने का खतरा

अबॉर्शन के कारण महिलाओं के यूटरस यानी की गर्भाशय फटने की भी बहुत संभावना रहती है। गर्भपात या गर्भपात की स्थिति में बच्चे दानी के खिसकने या फटने के पीछे कमजोर मांसपेशियां, बढती उम्र, दबाव, तनाव जैसे कारण मुख्य हैं।

पीरियड्स साइकिल में गड़बड़ी

गर्भवस्था और गर्भपात दोनों ही स्थितियों में पीरियड्स साइकिल यानी की मासिक चक्र पर बुरा प्रभाव पड़ता है। सर्जिकल अबॉर्शन के कारण पीरियड्स का फ्लो कम या बहुत हो सकता है। साथ इससे पीरियड्स में अनियमितता भी आ जाती है।

गर्भपात का जोखिम

अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा पाने के लिए करवाए गए गर्भपात के कारण भविष्य में भी गर्भपात होने का बहुत रिस्क रहता है। अबॉर्शन में अप्राकृतिक ढंग से बच्चा गिराया जाता है, जिसके कारण शरीर की आंतरिक प्रक्रियाओं पर बहुत बुरा असर होता है। और इसी वजह से भविष्य में प्लान्ड प्रेग्नेंसी में गर्भपात हो जाने का रिस्क दुगना हो जाता है।

अबॉर्शन में होने वाले रिस्कअबॉर्शन करवाया गया हो या फिर खराब मेडिकल स्थिति के कारण हो गया हो, दोनों ही स्थितियों में महिला के शरीर को बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिसमें शॉर्ट और लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट्स शामिल हैं, इसी के साथ अबॉर्शन प्रक्रिया मे होने वाले रिस्क भी बहुत ज्यादा होते हैं, जिसमें मां की जान जाने तक का खतरा मौजूद रहता है। इसलिए गर्भपात करवाने या गर्भपात की स्थिति पैदा होने पर सही इलाज और प्रक्रिया का पालन करना बहुत जरूरी है। अथवा कैंसर, इन्फेक्शन, बांझपन समेत मृत्यु होने की संभावना दुगनी हो जाएगी।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

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अवनि बागरोला author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर ट्रेनी कॉपी राइटर कार्यरत हूं। मूल रूप से मध्य प्रदेश के उज्जैन की रहने वाली लड़की, जिसे कविताएं लिखना, महिलाओं से ज...और देखें

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