Desk Job: डेस्क पर काम करते समय देर तक बैठने के बजाय खड़े होना है फायदेमंद? वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

Desk Job: लंबे समय तक खड़े रहना मस्कुलोस्केलेटल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। लंबे समय तक खड़े रहने से मांसपेशियों में थकान, पैरों में सूजन, नसों में समस्या और पीठ के निचले हिस्से और कूल्हों, घुटनों, टखनों तथा पैरों में दर्द और परेशानी जैसे लक्षण हो सकते हैं।

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Desk Job: डेस्क पर काम करते समय देर तक बैठने के बजाय खड़े होना है फायदेमंद?

तस्वीर साभार : भाषा

Desk Job: आधुनिक समय में हममें से अधिकतर लोग जागते हुए अपना अधिकांश समय बैठकर गुजारते हैं। हाल में एक अनुसंधान में लंबे समय तक बैठने के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभावों को रेखांकित किया गया है। कई कार्यस्थलों पर ‘सिट-स्टैंड’ डेस्क सिस्टम को अपनाया गया है, जिस पर आप लंबे समय तक बैठने के नुकसान से बचने के लिए डेस्क को बटन या लीवर दबाकर ऊंचा कर सकते हैं और खड़े होकर काम कर सकते हैं। लेकिन खड़ा होना बेहतर कैसे है? और क्या बहुत अधिक खड़े होने के भी नुकसान हैं? बहुत अधिक बैठने और खड़े होने के जोखिमों के बारे में अनुसंधान क्या कहता है, और क्या ‘सिट-स्टैंड’ डेस्क में निवेश करना ठीक है।

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बहुत अधिक बैठने के क्या नुकसान हैं?

जो लोग बहुत अधिक बैठते हैं उनमें टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के विकसित होने और उनका जीवन कम होने की आशंका बढ़ जाती है। लंबे समय तक बैठे रहने से मांसपेशियों, हड्डियों में, खासकर गर्दन और पीठ में दर्द संबंधी शिकायत बढ़ जाती है। उन लोगों को अधिक बैठने से और भी ज्यादा नुकसान हो सकता है जो बहुत कम व्यायाम करते हैं या एक मानक स्तर तक शारीरिक गतिविधियां नहीं करते। निष्क्रय होने की वजह से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहना महत्वपूर्ण है, लेकिन इससे हर दिन लंबा समय बैठकर गुजारने के नकारात्मक प्रभावों को पूरी तरह दूर नहीं किया जा सकता।

लंबे समय तक खड़े रहना भी हानिकारक है

लंबे समय तक खड़े रहना मस्कुलोस्केलेटल (मांसपेशियों, हड्डियों आदि के) स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। लंबे समय तक खड़े रहने से मांसपेशियों में थकान, पैरों में सूजन, नसों में समस्या और पीठ के निचले हिस्से और कूल्हों, घुटनों, टखनों तथा पैरों में दर्द और परेशानी जैसे लक्षण हो सकते हैं। हाल के शोध से पता चलता है कि एक बार में लगातार खड़े होने की समय-सीमा लगभग 40 मिनट निर्धारित करने से देर तक खड़े रहने से मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होने की संभावना कम हो जाएगी। यह उन लोगों पर लागू होता है जिनमें पहले लक्षण हो भी सकते हैं और नहीं भी।

लंबे समय तक खड़े रहने वाले हर व्यक्ति को इन ‘मस्कुलोस्केलेटल’ लक्षणों का अनुभव नहीं होगा, और कुछ लोग दूसरों की तुलना में लंबे समय तक खड़े रहने के प्रभावों के प्रति अधिक लचीलापन रखने वाले हो सकते हैं। बहरहाल, भले ही आप खड़े होने के बीच में विश्राम लेते हैं और यदि आपको पहले कभी खड़े होने से संबंधित दर्द और पीड़ा हुई है, तो जब आप फिर खड़े होते हैं तो आपको यह समस्या फिर से होने की अधिक संभावना होती है।

लंबे समय तक बैठने के बीच विश्राम लें

बैठे-बैठे काफी समय होने पर बीच में खड़े होने या आसपास चहलकदमी करने से आपके शरीर में रक्तप्रवाह, हृदय की सेहत, मानसिक सेहत और जीवन की अवधि बढ़ सकती है। मॉडलिंग अध्ययनों से पता चलता है कि प्रतिदिन एक घंटे बैठने की जगह एक घंटे खड़े रहने से मोटापा, वसा और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में सुधार होता है। जब बैठने की जगह टहला जाए या मध्यम से लेकर कठिन गतिविधियां की जाएं तो फायदा अधिक होगा। बैठे-बैठे हर 20 मिनट के बाद दो मिनट तक टहलना या 30 मिनट तक बैठने के बाद पांच मिनट तक टहलना शरीर में रक्त शर्करा में सुधार के लिए कारगर हो सकता है। अन्य एक अनुसंधान में पता चला है कि हर 30 मिनट में तीन मिनट की हल्की चहलकदमी या स्क्वैट जैसे सरल प्रतिरोध व्यायाम भी प्रभावदायी होते हैं।

‘सिट-स्टैंड’ डेस्क से जुड़े साक्ष्य

‘सिट-स्टैंड’ डेस्क, डेस्क से जुड़े काम करने वाले कर्मियों के बीच कार्यदिवस के दौरान बैठने के समय को प्रभावी ढंग से कम कर सकती हैं। ‘सिट-स्टैंड’ डेस्क उपयोगकर्ता लंबे समय तक खड़े रहने के बजाय बैठने और खड़े होने की मुद्राओं को बदलते रहना पसंद करते हैं। हालांकि, खड़े होकर काम करने की नई आदत विकसित करने की सबकी अपनी क्षमता हो सकती है और कई लोग एक समय बाद देर तक बैठकर काम करने के अपने पिछले तरीके पर लौट आते हैं।

डेस्क पर काम करने वाले कर्मियों के बैठने के समय को कम करने के लिए अकेले ‘सिट-स्टैंड’ डेस्क पर्याप्त नहीं हैं। नियोक्ताओं और संस्थानों को अपनी कार्यस्थल की नीतियों, माहौल और संस्कृति में यह शामिल करना चाहिए कि ‘कम बैठने और अधिक चलने-फिरने’ की पहल प्रभावी ढंग से लागू हो।

क्या मुझे अपनी ‘सिट-स्टैंड’ डेस्क से छुटकारा पाना चाहिए?

अगर आपके पास ऐसी डेस्क है तो आपको इसे अपने पास रखना चाहिए या हटा देना चाहिए, यह बात अनेक कारकों पर निर्भर करती है।

आपको अपने काम करने के तरीके पर गौर करना होगा। क्या आप नियमित रूप से खड़े होकर डेस्क पर काम करते हैं या मुख्य रूप से बैठकर काम करते हैं? आप अपनी सुविधा के हिसाब से तय करें। काम करते हुए देर तक खड़े होने या बैठने से कोई असुविधा होती है या शरीर में थकावट महसूस होती है? यदि ऐसा है तो आपको अपने बैठने और खड़े होने के पैटर्न में बदलाव करना होगा। या फिर आपको कुछ और चीजें जोड़नी होंगी। मसलन सुविधाजनक तरीके से खड़े होने के लिए फर्श पर कोई मैट हो या आरामदायक तरीके से बैठने के लिए फुटरेस्ट का उपयोग हो।

यदि आपको पहले से सेहत संबंधी समस्या है या मांसपेशियों में दर्द जैसी कोई शिकायत है तो किसी विशेषज्ञ से सलाह लें या नियोक्ता से किसी ‘एर्गोनोमिक’ विशेषज्ञ के माध्यम से मूल्यांकन कराने का अनुरोध करें। विशेषज्ञ की सलाह से आपको सही फैसला लेने में मदद मिल सकती है। ‘एर्गोनोमिक’ कार्यस्थल पर लोगों के काम करने के माहौल और परिवेश का अध्ययन होता है।

शारीरिक रूप से सक्रिय रहना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है

ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों की सरकारों और विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी एजेंसियों के शारीरिक गतिविधि संबंधी दिशानिर्देश में वयस्कों को बैठने में बिताए जाने वाले समय को सीमित करने की सलाह दी जाती है। बैठने के समय को कम करने और उसकी जगह शारीरिक गतिविधियां करने, भले ही हल्की फुल्की शारीरिक सक्रियता रखने से स्वास्थ्य संबंधी लाभ होता है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि लंबे समय तक बैठने से शरीर को होने वाले नुकसानों को कम करने के लिए केवल खड़ा होना पर्याप्त नहीं है। हमें कम बैठने और अधिक हिलने-डुलने पर ध्यान देना होगा।

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